रूस से कच्चा तेल लेकर आ रहे अमेरिकी प्रतिबंध वाले पोत को रोके जाने की उम्मीद नहीं

इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कच्चे तेल के बारे में लगी सीमा का उल्लंघन करने पर कई समुद्री कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

अमेरिकी प्रतिबंध झेल रहा पोत दो दिनों में भारत पहुंचने का अनुमान है। यह उम्मीद नहीं कि रूस से कच्चा तेल लेकर आ रहे इस पोत को रोकने के लिए भारत सरकार कोई निर्देश जारी करेगी। इस मामले की जानकारी रखने वाले विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि केंद्र द्वारा इस पोत को लंगर डालने से रोकने का निर्देश दिए जाने की उम्मीद नहीं है।

वरिष्ठ नियामकीय अधिकारी ने बताया, ‘अभी तक इस पोत को आने से रोकने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है। नौवहन निदेशालय के महानिदेशक श्याम जगन्नाथन ने बीते सप्ताह कहा था कि नियामक विदेश मंत्रालय के संदेश का इंतजार करेगा। अभी तट के समीप लागू नियम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों वाले जहाज पर लागू नहीं होते हैं।’ उन्होंने कहा कि इस बारे में केंद्र को फैसला लेने का अधिकार है।

रिपोर्ट के मुताबिक पोत एनएस सेंचुरी उन तीन में से है जो नियमित तौर पर रूस के कच्चे तेल की आपूर्ति भारत में कर रहा है। यह भारत में गुजरात के तट पर शनिवार को पहुंचने की उम्मीद है।

वाडिनार बंदरगाह एक गैर प्रमुख बंदरगाह है। केंद्र सरकार के अधीन ज्यादातर प्रमुख बंदरगाह हैं और गैर प्रमुख बंदरगाहों का संचालन निजी क्षेत्र व समुद्री सीमा से जुड़े संबंधित राज्य के पास है। गुजरात के मैरीटाइम बोर्ड के पास वाडिनार बंदरगाह का संचालन है और इस पोत के संचालन में केंद्र सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।

युद्ध में खोई बढ़त

बीते साल सात देशों के समूह ने पश्चिमी नौवहन व बीमा कंपनियों को रूस के 60 डॉलर से अधिक के कच्चे तेल के सौदे को प्रतिबंधित कर दिया था। इन सात देशों में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूके हैं। इसके अलावा रूस के कच्चे तेल और रिफाइंड शिपमेंट पर यूरोपीय संघ के देशों ने भी प्रतिबंध लगा रखा है।

Smooth sailing for US-sanctioned Russian crude vesse

इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कच्चे तेल के बारे में लगी सीमा का उल्लंघन करने पर कई समुद्री कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने बाद में रिपोर्ट दी थी कि एनएस सेंचुरी के साथ-साथ दो अन्य पोतों कजान, लिगोव्स्की प्रॉस्पेक्ट का नाम सूची में रखा गया है। इन तीनों पोतों पर लाइबेरिया का ध्वज है। नाम गु्प्त रखने की शर्त पर विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘अभी तक इस पोत को रोके जाने पर कोई फैसला नहीं हुआ है।’