सीमांचल के कई थानों में है दिनेश राठौड़ के विरुद्ध आपराधिक मुकदमें दर्ज



अररिया।

कुख्यात दिनेश राठौर ने भी अपराध की दुनिया में हलचल मचाये रखा. कुछ दिनों तक दिनेश की कमान विनोद संभालता रहा. लेकिन वह भी जब पुलिस के हत्थे चढ़ बैठा तो सबसे छोटे भाई ने गिरोह की कमान संभाल ली. इन पर विभिन्न जगह सड़क लूट, बाइक लूट, रंगदारी के मामले दर्ज हुए. जब तक विजय पुलिस के गिरफ्त में आता तब तक उसके विरुद्ध भी एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किये गये. एपीपी हत्याकांड में भी विजय राठौर ने ही मुख्य निभायी थी ऐसा खुद उसने ही पुलिस के समक्ष कबूल किया था.
विनोद राठौर अररिया में पुलिस की सख्त निगेहबानी के कारण विनोद ने अपने अपराध की दुनिया पूर्णिया में बसायी. वह पूर्णिया पुलिस के लिए सिरदर्द बना अपराधी बिट्टू सिंह गिरोह का मुख्य शूटर माना जाने लगा. वह बिट्टू सिंह के इशारे पर पूर्णिया के व आस-पास के जिले में आपराधिक वारदातों को अंजाम देता रहा. पुलिस के डर से वह नेपाल में अपनी पत्नी व साला के साथ रहने लगा. उसकी पत्नी व साला के साथ नेपाल पुलिस के हत्थे चढ़ गया. कहा जाता है कि उसकी गिरफ्तारी में पूर्णिया के तत्कालीन एसपी निशांत तिवारी द्वारा नेपाल पुलिस व काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास को दी गयी. हालांकि उसे भारत लाने के लिए पूर्णिया पुलिस इंटरपोल की मदद ले रहा है. ऐसी जानकारी मिल रही है. पूर्णिया के केहाट थाना कांड संख्या 80/18 व केहाट थाना कांड संख्या 16/18 में भी वह नामजद अभियुक्त है, जिसके अंतर्गत न्यू पटना फर्नीचर व्यवसायी व बस स्टैंड में गोलीबारी की घटना में वह बिट्टू सिंह के साथ शामिल था.
कुख्यात अपराधी दिनेश राठौर को सजा मिलने से पुलिस के प्रति आम जनता का विश्वास बढ़ा था. आसपास के जिलों में हर्ष का माहौल था और अन्य अपराधकर्मियों में भी दहशत रही तत्कालीन एसपी धूरत शायली ने न्यायालय द्वारा दिनेश राठौर को आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद पत्रकारों से कही. उन्होंने कहा कि कुख्यात अपराधी राठौर जिले के विभिन्न थानों में हत्या, लूट, डकैती, गृहभेदन, रंगदारी, आर्म्स एक्ट व चोरी के 52 मामलों में आरोपित है. अभी भी उस पर 08 से 09 मामलों में स्पीडी ट्रायल चल रहा है. कहा कि अपराधी राठौर वर्ष 2003 से ही काराधीन है. काराधीन रहते हुए भी अररिया जिले में इसके ऊपर दर्ज कांडों के गवाहों को धमकाने का कार्य किया जाता था. जिससे गवाही कार्य में बाधा उत्पन्न होती थी. अपराधी द्वारा पूर्व में भी जो अपर लोक अभियोजक जो इस वाद को देख रहे थे, उनकी हत्या कोर्ट परिसर में ही कर दी गयी थी. जब से कोई भी लोक अभियोजक व अपर लोक अभियोजक सही तरीके से कार्य नहीं कर पाते थे. पुरे जिले व जिले के आसपास के जिलों में इसका काफी दहशत बना हुआ था. उनका भाई फिलहाल जेल से बाहर है।