दूसरी महिला भी भर्ती के लिए एक घण्टे तड़पती रही, चिकित्सा अधीक्षक ने कराया भर्ती, भर्ती से पहले मांगा जा रहा था दो बोतल ब्लड
पहले दो बोतल ब्लड दो तब किया जाएगा भर्ती, सबसे ज्यादा लापरवाही गायनी विभाग में,
विना जांच भर्ती करने से पहले मांगा जाता है ब्लड, न देने पर घंटो तड़पती रहती है महिलाएं
(सुघर सिंह सैफई)
सैफई ( इटावा) सैफई के मेडिकल यूनिवर्सिटी में स्त्री एवं प्रसूति विभाग का बहुत बुरा हाल है शुक्रवार को सुबह एक महिला का समय पर इलाज न करने से मौत हो गयी परिजनों का आरोप है कि तीन घण्टे तक महिला का इलाज नही किया गया जिससे उसकी मौत हो गयी। यहां भर्ती से पहले मरीज के तीमारदारों से दो बोतल खून मांगा जाता है खून न देने पर महिला को घण्टों तड़पाया जाता है ऐसी हालत में मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कर लिए मजबूर हो जाता है।
देश के पूर्व रक्षामंत्री व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे स्व० मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल सैफई में इस अस्पताल का निर्माण यह सोचकर कराया गया था कि इटावा, औरैया, मैनपुरी, जनपदों के लाखों मरीज को यहां सुविधा मिल सके। और हुआ भी यही, यहां करोड़ों मरीजों का इलाज हुआ और जटिल से जटिल ऑपरेशन करके देश भर में इस अस्पताल ने प्रसिद्ध हासिल की। यहां तक की बड़े और प्रसिद्ध अस्पतालों से निराश होकर लौटे मरीजों को इस अस्पताल में नया जीवन मिला। पहले यहां के मरीज को आगरा और ग्वालियर में इलाज के लिए ले जाया जाता था जहां मरीज पर हजारों लाखों खर्च आता था। लेकिन अब मरीज का परिवार न सिर्फ इलाज के दौरान आये खर्च से बर्बाद होने से बचता है बल्कि मरीज का जीवन भी बचता है। क्यों कि जहर व सल्फास खाये हजारों मरीजों व सांप काटे हजारों मरीजों को यहां जीवनदान मिला है।
लेकिन इस समय सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के जो हालात है वो किसी से छिपे नही है यहां सबसे ज्यादा लापरवाही जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही महिलाओं के साथ की जाती है यहां स्त्री एवं प्रसूति विभाग/गायनी विभाग के लेबर रूम में महिलाओं को बिना जाँच किये बिना देखें खून की मांग की जाती है चाहे भले ही मरीज में खून पूरा हो लेकिन खून देने के नाम पर मरीज को घण्टों तड़पाया जाता है। शुक्रवार को सुबह कुसमा पत्नी सोनू उम्र 32 वर्ष निवासी हजरतपुर थाना वैदपुरा को घर पर नॉर्मल डिलीवरी से पुत्री पैदा हुई इसी दौरान महिला की ब्लीडिंग बंद नही हो रही थी तो 6 बजे सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के गायनी वार्ड के लेबर रूम में लेकर आये लेकिन लेबर रूम डॉक्टरों ने भर्ती नही किया। परिजनों का आरोप है कि 3 घण्टे तक प्रसूता को अंदर बाहर करते रहे मेरे मरीज का कोई नही किया इलाज में लापरवाही बरतने से कुसुमा की मौत हो गयी।
कल शुक्रवार को सुबह लगभग 9 बजे मोहिनी पुत्री अंशुल ग्राम नगला अज़ाब लेबर रूम पहुंची तो उससे तत्काल बिना जांच किये एक बोतल खून मांगा गया उसके साथ गए तीमारदारों ने कहा कि हम लोग खून देने को तैयार है पहले मरीज को भर्ती तो कर लो और मेरा खून ले लो। लेकिन लेबर रूम में तैनात नर्सें इसी बहस में उलझी रही कि पहले खून दो फिर भर्ती करेंगे। तीमारदारों ने इसकी शिकायत गायनी विभाग की एचओडी डॉ कल्पना से की तो उन्होंने कहा कि में रास्ते मे हूं और जाकर देखती उसके बाद तीमारदारों ने चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसपी सिंह से की तब जाकर महिला को भर्ती किया गया।
👉 दो घंटे जांच के नाम पर मीडियाकर्मी को गुमराह करती रही डॉ कल्पना
गायनी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ कल्पना से उक्त महिला के भर्ती होने में बरती गई लापरवाही की शिकायत की गई तो वह बोली कि अभी हॉस्पिटल पहुंच रही हूं में आपको पूरी जानकारी देती हूं उसके बाद पुनः डॉ कल्पना का पक्ष जानने के लिए कॉल की तो बताया कि अभी में देख रही हूं अभी में कुछ नही कर पाऊंगी जो भी होगा अपने सीनियर को जानकारी दे दूंगी। यह कहते हुए फ़ोन काट दिया। जब कि डॉ कल्पना खुद अपने विभाग की विभागाध्यक्ष है उसके बाद भी मीडियाकर्मी को गुमराह किया। सूत्र बताते है कि कल्पना कभी गायनी वार्ड का निरीक्षण नही करती और ड्यूटी पर बहुत कम टाइम देती है। इसी बजह से उनके अधीनस्थ स्टाफ डॉक्टर, नर्स, व अन्य लापरवाह हो गए है। सूत्र बताते है कि जब से कल्पना को गायनी का विभागाध्यक्ष बनाया है मरीजों के साथ लापरवाही बढ़ी है लेकिन जब डॉ अरुण नागरथ, डॉ शिखा सेठ व