अररिया सीट से हुए राजद के प्रत्याशी , ईद बाद पूर्व सांसद सरफराज आलम तोड़ेंगे चुप्पी
अररिया/डा. रूद्र किंकर वर्मा।
आर जे डी टिकट बंटवारे में लालू यादव का तस्लीमुद्दीन के बेटों के साथ गजब के खेल में जहां सीमांचल के गांधी पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मरहूम तस्लीम साहब के छोटे साहबजादे सूबे के पूर्व काबीना मिनिस्टर सह जोकीहाट के राजद विधायक जनाब शाहनवाज आलम को टिकट देकर उनके ऊपर दाव खेला है वहीं छोटे भाई द्वारा बड़े को को मिली इस शिकस्त से तस्लीम बाबू के पुत्र पूर्व सांसद जो राजद टिकट की दौड़ में शामिल थे वे आहत दिखे और उन्होंने चुप्पी साध ली है।
पूर्व सासंद सरफराज के समर्थकों की मानें तो ईद पर्व के अगले दिन उनके आवास पर आयोजित एक बैठक में वे जनता दरबार एवम कार्यकर्ताओं की सहमति मिलने पर वे चुप्पी तोड़ेंगे और चुनावी अखाड़े में कूदने के लिए कदम बढ़ाएंगे।
कैंडिडेट सलेक्शन में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तस्लीमुद्दीन के एक बेटे को किया नजरअंदाज
बिहार लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में आरजेडी ने गजब खेल किया है। अररिया लोकसभा सीट पर कैंडिडेट सलेक्शन में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तस्लीमुद्दीन के एक बेटे को नजरअंदाज कर दूसरे पुत्र शाहनवाज आलम पर भरोसा जताया है।पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के दोनों बेटे टिकट की आस लगाए थे।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की सहमति पर मंगलवार की देर शाम 22 उम्मीदवारों का लिस्ट जारी किया है। इस बार राजद ने पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री तस्लीमुद्दीन के छोटे पुत्र और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री शाहनवाज आलम पर भरोसा जताया है। राजद ने अररिया से शाहनवाज आलम को उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि राजद से टिकट की लालसा में पूर्व सांसद एवं तस्लीमुद्दीन के बड़े पुत्र सरफराज आलम भी कतार में थे। बकायदा चार पांच साल से लगातार पार्टी के कार्यक्रमों के साथ इलाके में होने वाले कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट लेने में वह कामयाब नहीं हो पाए। फलस्वरूप शाहनवाज आलम राजद के टिकट पर भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह से दो-दो हाथ करेंगे।
2018 में जीत दर्ज कर चुके हैं सरफराज आलम
2018 में राजद के सरफराज आलम को 5 लाख 9 हजार 334 मत प्राप्त हुए। जबकि भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को 4 लाख 47 हजार 346 मत मिले। सरफराज आलम ने प्रदीप कुमार सिंह को 61 हजार 988 मत प्राप्त हुआ। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह ने 6 लाख 18 हजार 434 मत प्राप्त कर राजद के सरफराज आलम को पटखनी दी। सरफराज आलम को 4 लाख 81 हजार 193 मत प्राप्त हुए थे। जबकि उस चुनाव में अररिया के 20 हजार 606 मतदाताओं ने नोटा पर बटन दबाया था।
जोकीहाट विधानसभा से शुरू हुई तस्लीमुद्दीन के बेटों के बीच अदावत
तस्लीमुद्दीन के दोनों बेटे सरफराज आलम और शाहनवाज आलम के बीच अदावत जोकीहाट विधानसभा से शुरू हुई। पिता तस्लीमुद्दीन की मौत के बाद जहां सरफराज आलम 2018 के लोकसभा के उप चुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बन गए। उस समय सरफराज आलम जोकीहाट के विधायक थे। जोकीहाट विधानसभा की खाली सीट पर शाहनवाज आलम ने मई 2018 में हुए उप चुनाव में राजद के टिकट पर विधायक चुने गए। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पराजित होने के बाद 2020 में जोकीहाट विधानसभा चुनाव में जब राजद ने अपने सिटिंग विधायक शाहनवाज आलम का टिकट काटकर उनके बड़े भाई सरफराज आलम को टिकट दिया तो ए आई एम आई एम के असदुद्दीन ओवैसी ने शाहनवाज आलम को अपने पार्टी के सिंबल से न केवल चुनाव लड़ाया, बल्कि शाहनवाज आलम को लेकर पूरे सीमांचल में जमकर प्रचारित करते हुए उसे भुनाया भी। इसका असर मुस्लिम मतदाताओं में खासकर कुल्हैया बिरादरी में असर भी देखा गया।
शाहनवाज आलम ने 59 हजार 596 मत लाकर चुनाव जीत गए। जबकि राजद के सरफराज आलम को 52 हजार 213 मत प्राप्त हुए। तीसरे स्थान पर भाजपा के रंजीत यादव को 48 हजार 933 मत प्राप्त हुए थे। बाद में शाहनवाज आलम ने एआईएमआईएम के तीन अन्य विधायकों अंजार नईमी, सैयद रुकनुद्दीन अहमद और इज़हार असफी को ए आई एम आई एम से तोड़ कर सभी के साथ 29 जून 2022 को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की उपस्थिति में राजद में शामिल हो गए।
शाहनवाज आलम के साथ चार विधायकों के राजद में शामिल करने के बाद राजद विधानसभा में 80 सदस्यों के साथ भाजपा को पछाड़कर सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरी। बाद में जदयू राजद कांग्रेस महागठबंधन वाली बिहार सरकार में शाहनवाज आलम को आपदा प्रबंधन विभाग का मंत्री बनाया गया।
राजद सिंबल से वंचित पूर्व सासंद उठा सकते हैं बड़ी कदम
टिकट ना मिलने से तिलमिलाए पूर्व सांसद संसदीय चुनाव में खेला कर सकते हैं। उनको पता है कि यदि मेरा छोटा भाई जीत जाता है तो उस सीट से बड़े भाई मोकिम को चुनावी अखाड़े में उतारेगा। हार गया तो सीट उसका है हीं।
बहरहाल राजनीतिक जिज्ञाशु लोग ईद के दूसरे दिन का इंतजार कर रहे हैं कि उनका अगला कदम क्या होगा?