सोनसा पहाड़ी की चट्टानों पर बिखरी पड़ी हैं गणेश की दर्जनों आकृतियां


रीता कुमारी
दैनिक समाज जागरण
नवादा (बिहार)। जिले के हिसुआ प्रखंड का सोनसा गांव ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण रहा है। गांव में छोटी-बड़ी दो पहाड़ियां हैं। दोनों पहाड़ियों के इर्द-गिर्द आबादी बसी है। बड़ी पहाड़ी को धरहरा नाम से जाना जाता है। इसके ऊपर परशुराम और नाग मंदिर हैं। छोटी पहाड़ी को लोग मुरली पहाड़ी कहते हैं। मुरली पहाड़ी की अनेक बड़ीे चटटानों पर गणेश की आकृति बनी है। इस पहाड़ी पर धीरे-धीरे आबादी बस गयी है। इसके चलते कई आकृतियों का अस्तित्व खत्म हो गया है। फिर भी, गांव की गलियों में कई ऐसे चटटान मौजूद हैं, जिनपर भगवान गणेश की आकृति हैं।
जानकारी के अभाव में स्थानीय लोग कई चटटानों पर गोबर के उपले थाप उसकी महत्ता को नष्ट करने में लगे हैं। इसके चलते कई आकृतियां ढक गयी हैं। जो बची हैं, वह ऐतिहासिक महत्व को दर्शा रही हैं। ये मूर्तियां किस कालखंड की हैं, यह स्पष्ट नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक, ये आकृतियां पाषाणकालीन हैं। पाषाणकाल में पत्थरों पर मूर्तियां बनायी जाती रही हैं। वरिष्ठ एसएस कॉलेज, मेंहुस में प्राध्यापक इतिहासकार डॉ बुद्धसेन कहते हैं कि मगध का इलाका प्राचीन काल से ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा है। गुप्तकाल में यहां मूर्तिकला का काफी विकास हुआ था। इसके अनेक उदाहरण रहे हैं। जिले के ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात ककोलत में भी पाषाणकाल के कई अवशेष मिल चुके हैं।