प्रार्थना व ध्यान से करें योग की शुरूआत, मिलेगा अधिक लाभ- मंजू

समाज जागरण ब्यूरो विवेक देशमुख

बिलासपुर टिकरापारा। ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में चल रहे योग प्रशिक्षण एवं अभ्यास शिविर में आज आसनों के फायदे बताते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि योग की शुरूआत हम प्रार्थना से करते हैं जिससे मन शान्त और सकारात्मक हो जाता है। इससे योग के फायदे बढ़ जाते हैं।

21 जून के अभ्यास क्रम के प्रथम चरण में चालन व शिथिलिकरण का अभ्यास किया जाता है जिसमें गर्दन, कंधे, कमर व घुटने के लिए ग्रीवा चालन, स्कन्ध संचालन, कटि चालन व घुटना संचालन शामिल है।

इसके पश्चात् योगासन में खड़े होकर किये जाने वाले अभ्यास करते हैं। शरीर को सुदृढ़ व एक निश्चित उम्र तक कद बढ़ाने के लिए ताड़ासन, शरीर के संतुलन पैरों की मांसपेशियों को सुदृढ़ बनाने के लिए वृक्षासन, मेरूदण्ड को लचीला बनाने व भूख बढ़ाने के लिए पादहस्तासन, मेरूदण्ड की नाड़ियों को सुदृढ़ बनाने व श्वसन क्षमता बढ़ाने के लिए अर्धचक्रासन व त्रिकोणासन का अभ्यास कराया गया।

बैठकर किये जाने वाले अभ्यासों में भद्रासन, वज्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, पूर्ण उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तान मण्डूकासन व वक्रासन का अभ्यास कराया गया। इनसे गर्दन, पीठ, कमर, जांघ व उदर से संबंधित लाभ प्राप्त होते हैं।

पेट के बल लेटकर किये जाने वाले आसनों में पीठ की समस्याओं, तनाव व चिंता दूर करने के लिए मकरासन, भुजंगासन व शलभासन सिखाया गया। इसी तरह पीठ के बल लेटकर किये जाने वाले आसन भी कराये गए। इसमें सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्ध हलासन, पवन मुक्तासन व शवासन शामिल रहे।

आसनों के बाद दीदी ने प्राणायाम का अभ्यास और संकल्प कराया कि अपने मन को संतुलित रखते हुए कर्तव्य निर्वाह, कुटुम्ब, कार्य, समाज, व समूचे विश्व में शान्ति और सौहार्द के प्रसार के कृत संकल्प हूं।

आसक्ति मे डूबे मन के साथ परमात्मा पर बुद्धि एकाग्र नही हो सकती: बीके मंजू

सहनशक्ति भारतवंशियों का लक्षण है…

परमात्मा की याद इस प्रकार हो कि कोई अलग न कर सके

बिलासपुर स्थिरप्रज्ञ स्थिति के लिये इंद्रियों के आकर्षण से मुक्त होना आवश्यक है। प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा में श्रीमद् भगवद्गीता के दुसरे अध्याय मे परमात्मा अर्जुन से बुद्धि एकाग्र कर एक परमात्मा के ध्यान मे केंद्रित करने की विधि सिखला रहे है। बुद्धि सतोप्रधान होने से संकल्प सिद्ध होने लगते है परन्तु पुरुषार्थ मे कर्मभोग का सामना करना पडता है। केशव का अर्थ गीता के दुसरे अध्याय मे स्पष्ट है कि ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के रचयिता भगवान है। भगवान ने अर्जुन अर्थात हम आत्माओं को सहनशक्ति की प्रेरणा देते हुए कहा कि सहन करना तो भारतवंशियों का ही गुण है।

परमात्मा के महावाक्य पर चिंतन करते कहा कि कर्मयोग का अर्थ है कर्म करते बुद्धि परमात्मा की याद मे लीन रहे। परमात्मा से प्यार ऐसा हो जो कोई भी परिस्थिति अलग न कर सके।