रिश्वत अकेले नहीं आती है ,देने वाली की बदुआ, मजबूरियां, दुख ,वेदना ,किरोध, तनाव, चिंता भी नोटों से लिपटी हुई होती है—- मोहम्मद इरशाद रजवी*

** समाज जागरण संवाददाता फहीम सकलैनी *एक बहुत ही गंभीर लेख मोहम्मद इरशाद रजवी की कलम…