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समाज जागरण
संवाददाता फहीम अहमद सकलैनी
_____ बरेली — विगत 7 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के भोजीपुरा विधायक शहजिल इस्लाम अंसारी का पेट्रोल पंप यह कहते हुए बीडीए ने बुलडोजर से ये कहते हुए ध्वस्त करवा दिया था कि इसका नक्शा पास नहीं है और यह अवैध है जब यह कार्यवाही शुरू हुई तो जिले से लेकर राजधानी तक मीडिया में हंगामा मच गया था और पूरे प्रदेश में चर्चा आम हो गई मगर सपा जिला नेतृत्व मौन साधे बैठा रहा मात्र एक पार्टी के नेता भगवत शरण गंगवार ने अपना बयान देकर शहजिल इस्लाम का बचाव किया था शहजिल के पेट्रोल पंप पर हुई कार्रवाई से जहां पूरे प्रदेश में हंगामा था मगर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनकी कोई सुध नहीं ली ना ही कोई आंदोलन ना ही कोई रणनीति ऊपर से उनकी चुप्पी जरूर विधायक को विचलित करती रही होगी उधर शिवपाल यादव ने प्रदेश की राजनीति में अचानक गर्मी क्या पैदा की के सपा सुप्रीमो तापमान को महसूस करने लगे डर सताने लगा के आजम खान के समर्थकों की तरह कहीं शहजिल समर्थक भी बगावत का बिगुल न बजा दे क्योंकि सपा के मुस्लिम कद्दावर सांसद शफीक उर रहमान वर्क पहले ही पार्टी पर मुस्लिमों की उपेक्षा और उनकी अनदेखी का आरोप लगा पार्टी को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं उसी को ध्यान में रखते हुए पेट्रोल पंप पर कार्रवाई के 16 दिन बाद पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने नेता प्रतिपक्ष संजय लाठर की अगुवाई में एक जांच कमेटी का 12 सदस्यीय दल का गठन कर बनाया गया जिसको घटनास्थल का मौका मुआयना व उच्चाधिकारियों से मिलना घटना की पूरी जानकारी जुटाकर हाईकमान के समक्ष रखना था उसी क्रम में पूरा दल पेट्रोल पंप पर पहुंचा मगर वहां सब कुछ था पर भुक्तभोगी पार्टी के विधायक शहजिल इस्लाम अंसारी व उनके पिता बरेली की राजनीति के चाणक्य इस्लाम साबिर नदारद रहे जो एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा हुआ प्रतिनिधिमंडल ने मीडिया से बात भी की सभी बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा की इस कार्रवाई को पूर्णता गलत और तानाशाही रवैया बताया इसके बाद यह टीम जिले के आला अधिकारियों से मिली पूरा फीडबैक लिया और चले गए मगर विधायक का इतना दूरी बनाना जरूर बड़ा संदेश स्थानीय से लेकर पार्टी के मुख्य नेतृत्व को चिंता में डाल गया दूसरी तरफ पार्टी के रोजा इफ्तार कार्यक्रम में शामिल ना हो ना उसके उलट ऑल इंडिया रजा एक्शन कमेटी के कार्यक्रम में शामिल होना कुछ नया होने का संकेत दिखाई दे रहा है वैसे भी सपा सुप्रीमो को मुसलमानों के वोट तो चाहिए पर मुस्लिमों पर हो रहे जुल्म अत्याचार पर कुछ नहीं बोलने पर यह समाज अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है सपा के मुस्लिम नेताओं पर प्रदेश भर में किसी न किसी रूप में कार्रवाई जारी है मगर पार्टी के उचित प्लेटफार्म पर बात ना उठाकर चुप्पी साध रखी है जो एक संदेह की स्थिति पैदा किए हुए हैं चाहे आजम खान का मुद्दा हो या नाहिद हसन राणा या शहजिल इस्लाम आदि किसी भी मामले में पार्टी ने कोई बड़ा आंदोलन ना कर उनको न्याय दिलाने का प्रयास नहीं किया गया जो अकेले ही अपने बचाव में संघर्षरत दिखाई दे रहे हैं अगर ऐसा ही चलता रहा तो पार्टी का क्या हश्र होगा जो भविष्य में छुपा हुआ एक गंभीर प्रश्न है_____ (यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं)_________