चित्रकूट धाम में “प्रदक्षिणा” और “झील बनी निर्झरिणी” पुस्तक का हुआ विमोचन।

समाज जागरण
विजय तिवारी
शहडोल।2 अक्टूबर से पुरानी लंका आश्रम चित्रकूट धाम में विष्णु महायज्ञ एवं भागवत कथा का आयोजन हो रहा था समापन दिवस में विभिन्न मठों, आश्रमों और मंदिरों के मठाधीशों और संतों का व्यापक स्तर पर भव्य समागम का आयोजन किया गया। इसी अवसर पर शहडोल जिले की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रियंका त्रिपाठी की दो पुस्तकों का विमोचन भी हुआ।”प्रदक्षिणा” (गुरु चरणारविंद) पुस्तक जो पुरानी लंका आश्रम के मठाधीश “जगतगुरु श्री स्वामी रोहिणीश्वर प्रपन्नाचार्य जी” पर केंद्रित है इस पुस्तक का लेखन एवं संकलन डॉ प्रियंका त्रिपाठी एवं श्रवण त्रिपाठी ने किया है। पुस्तक में चित्रकूट धाम का इतिहास, चित्रकूट के धार्मिक और दार्शनिक स्थलों का संक्षिप्त परिचय एवं पुरानी लंका आश्रम के इतिहास और मठाधीशों के बारे में विशेष कर वर्तमान मठाधीश जगतगुरु स्वामी श्री रोहिणीश्वर प्रपन्नाचार्य जी महाराज के जीवन की विस्तृत विवेचना की गई है। दूसरी पुस्तक “झील बनी निर्झरिणी” जो संभवत हिंदी साहित्य के इतिहास का पहला छंद मुक्त महाकाव्य है यह महाकाव्य श्रृंगार के दोनों पक्षों संयोग और वियोग पर आधारित है ।इन दोनों पुस्तकों का विमोचन भागवत कथा के पावन मंच पर किया गया। विमोचन के समय मंच पर परमार्थ शिरोमणि श्रीमज्जगतगुरु रामानुजाचार्य पुरानी लंका पीठाधीश्वर स्वामी श्री रोहिणीश्वर प्रपन्नाचार्य जी महाराज, युवराज स्वामी श्रीमज्जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री देवप्रवर प्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्रीमज्जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री मधुसूदनाचार्य जी महाराज सुल्तानपुर, श्रीमज्जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री दिलीप दास जी, बड़ा अखाड़ा मैहर श्री सीता वल्लभ जी महाराज, संतोषी अखाड़ा श्री राम जी महाराज,निर्मोही अखाड़ा के उत्तराधिकारी श्री दीपकदास जी, रामायणी कुटी के रामभद्र दास, सच्चिदानंद जी महाराज, संत भागवत दास जी महाराज, बालकदास जी महाराज एवं चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रमुख आदरणीय अभय महाजन जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।

कार्यक्रम के दौरान डॉ. प्रियंका त्रिपाठी के द्वारा स्वामी जी पर लिखी गई आरती का गायन भी किया गया। इस अवसर पर चित्रकूट धाम के सभी आश्रम, मठों और मंदिरों के महंत और मठाधीश एवं विभिन्न तीर्थों के संत, महंत एवं जगतगुरू एवं क्षेत्र के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।