बिहार में 2 तथा 3 मार्च को ट्रकों की होगी आंशिक हड़ताल

समाज जागरण पटना जिला संवाददाता:- वेद प्रकाश

पटना/ बिहार में होली से पहले ट्रक मालिकों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया है। बिहार ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन ने 2 और 3 मार्च को दो दिवसीय आंशिक हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। इस हड़ताल के दौरान बालू, गिट्टी और मिट्टी जैसी सामग्री की ढुलाई बंद रहेगी, हालांकि अन्य जरूरी सामानों की ढुलाई जारी रखी जाएगी। एसोसिएशन के अध्यक्ष भानु शेखर प्रसाद सिंह ने बताया कि यह हड़ताल उनकी मांगों को लेकर है और अगर सरकार इन मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो ट्रक मालिक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। एसोसिएशन ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय को एक पत्र भी भेजा है। ट्रक मालिकों की मुख्य मांगों में माइनिंग चालान के साथ ट्रकों पर लगने वाले आर्थिक दंड और मुकदमों से मुक्ति, बालू और पत्थर लदे ट्रकों के लिए समुचित आवागमन की सुविधा, और पुलिस को बालू, पत्थर और मिट्टी की जांच के अधिकार से वापस लेना शामिल है। इसके अलावा, एसोसिएशन ने हर महीने जिला स्तर के अधिकारियों के साथ खनन और परिवहन विभाग की नियमित बैठक कराने की भी मांग की है। एसोसिएशन ने फिलहाल दो दिनों की आंशिक हड़ताल का फैसला लिया है, लेकिन अगर सरकार उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती है, तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो सकती है। इससे बिहार में होली से पहले होने वाली ढुलाई और आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, खासकर बालू, गिट्टी और मिट्टी जैसी सामग्री की। हालांकि, अन्य जरूरी सामानों की ढुलाई जारी रखने का फैसला किया गया है, ताकि आम जनजीवन पर ज्यादा असर न पड़े। इस हड़ताल का मुख्य उद्देश्य सरकार का ध्यान ट्रक मालिकों की समस्याओं की ओर खींचना है। ट्रक मालिकों का कहना है कि उन्हें अक्सर माइनिंग चालान और अन्य कानूनी मुद्दों के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें आर्थिक दंड और मुकदमों से छुटकारा चाहिए। साथ ही, उन्हें बालू और पत्थर लदे ट्रकों के लिए बेहतर आवागमन की सुविधा चाहिए, ताकि उनका काम आसान हो सके। इस हड़ताल का असर बिहार के निर्माण कार्यों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि बालू, गिट्टी और मिट्टी जैसी सामग्री की ढुलाई बंद हो जाएगी। हालांकि, एसोसिएशन ने यह स्पष्ट किया है कि वे केवल अपनी मांगों को लेकर यह कदम उठा रहे हैं और अगर सरकार उनकी बात सुनती है, तो हड़ताल खत्म की जा सकती है। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह ट्रक मालिकों की मांगों पर कितनी जल्दी और कितनी गंभीरता से विचार करती है।