साल की पूजा के साथ शुरू हुआ महोत्सव।
शहडोल 11 अप्रैल 2025:- जिला मुख्यालय उमरिया के स्थित सगरा मंदिर के सामुदायिक भवन में गुरुवार को उरांव जनजाति समुदाय का सरहुल पर्व आयोजित किया गया जिसमे उमरिया, कटनी, अनूपपुर एवं शहडोल के उरांव जनजाति समुदाय के लोगों ने बढ़चढकर हिस्सा लिया आयोजन की शुरुआत पीपलेश्वर शिव धाम में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर की गई,उरांव जनजातीय समुदाय ने अपने परम्परागत तरीके के साल के वृक्ष की पूजा की और आगामी साल भर के लिए खुशहाली की कमाना की है,जिसके बाद सामुदायिक भवन में जनजातीय समुदाय का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया,जनजाति समुदाय के पुरुष एवं महिलाओं ने अपने पारंपरिक वेष भूषा में पारंपरिक वाद्य यंत्र मादर के साथ अपने सामाजिक नृत्य और गीत संगीत की प्रस्तुति दी जिसके बाद सहभोज के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। आयोजन में उरांव समाज शहडोल के अध्यक्ष अध्यक्ष देवनारायण तिर्की उमरिया अध्यक्ष मोहर साय भगत,सचिव अजय भगत,उपाध्यक्ष ममता भगत,महिला संगठन अध्यक्ष संजीता भगत एसडीएम उमरिया कमलेश राम नीरज समेत जनजातीय समुदाय के काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
*प्रकृति पूजा का द्योतक है सरहुल महोत्सव।*
सरहुल त्यौहार जनजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, खासकर उरांव जनजाति के लिए। उरांव जनजाति प्रकृति की पूजा करती है और सरहुल त्यौहार के दौरान वे साल के पेड़ की पूजा करते हैं। यह पर्व चैत्र मास शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा (एक्ति) से लेकर पूर्णिमा तक अपनी सुविधानुसार नव वर्ष के आगमन पर अपने घर परिवार स्वजन तथा गांव देश सबकी खुशहाली एवं सुख समृद्धि की कामना करते हुए साल के पेड के पास हमारे प्रत्यक्ष देवों के जो हम सीधे तौर से पालित पोषित एवं संरक्षित हैं जो हमारे वातावरण में विद्यमान सूर्य, चन्द्र, नदी, तालाब, जंगल, और धरती माता की पूजा करते है,परंपरा के अनुसार, सरहुल पृथ्वी और सूर्य के बीच विवाह का भी प्रतीक है,यह कुडुख और सदान समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, कुडुख के बीच,इसे खद्दी ( कुडुख भाषा में जिसका अर्थ “फूल” है) के नाम से जाना जाता है। सरहुल त्योहार पर्यावरण की रक्षा का मैसेज भी देता है। इस दिन लोग नदी, तालाब, जंगल और धरती माता की पूजा करते हैं और उनके संरक्षण का वादा करते हैं। सरहुल पर्व, प्रकृति की पूजा का त्योहार है. यह आदिवासी समाज का सबसे बड़ा त्योहार है. यह पर्व, प्रकृति और जीवन के बीच संतुलन का प्रतीक है।
