(देश भर के अधिवक्ताओं के भारी विरोध के कारण केंद्र सरकार को वापस लेना पड़ा अधिवक्ता संशोधन बिल)
ब्यूरो चीफ़ विजय कुमार अग्रहरी।
दैनिक समाज जागरण
सोनभद्र। केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 वापस लेना देश भर के अधिवक्ताओं के एक जुटता का परिणाम है यह बाते संयुक्त अधिवक्ता महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शरण मिश्र ने पत्रकारों से बात करते हुए कही। श्री मिश्र ने कहा कि अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के विरोध में पिछले दस दिनों से देश भर के अधिवक्ताओं द्वारा धरना प्रदर्शन और आंदोलन किया जा रहा था जिसके कारण केंद्र सरकार को फिलहाल उक्त बिल वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। पत्रकारों से वार्ता के दौरान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अधिवक्ता संशोधन बिल में कोई ऐसी बात नही लिखी गई थी जो संविधान सम्मत हो और ना ही इस बिल में अधिवक्ताओं के कल्याण और सुरक्षा के लिए ही कोई बात लिखी गई थी बल्कि इसके विपरीत अधिवक्ताओं के अस्तित्व, अधिकार और उनकी अभिव्यक्ति को पूरी तरह कुचलने की विधिक व्यवस्था सरकार द्वारा बनाई गई थी जिसका संज्ञान होते ही देश भर के अधिवक्ता बार कौंसिल ऑफ इंडिया, बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश एवम संयुक्त अधिवक्ता महासंघ सहित अनेकों अधिवक्ता संघों के आहवान पर पूरी ताकत के साथ अक्रोशित और आंदोलित होकर इस बिल का पुरजोर विरोध किए और परिणाम स्वरूप सरकार को 28 फरवरी जो इस बिल पर आपत्ति एवम सुझाव की अंतिम तारीख तय की गई थी के पूर्व ही कल बाईस तारीख को ही पत्र जारी कर वापस लेना पड़ा जिसका स्वागत संयुक्त अधिवक्ता महासंघ करता है। श्री मिश्र ने कहा कि संयुक्त अधिवक्ता महासंघ यह अपेक्षा करता है कि केंद्र सरकार भविष्य में इस बिल को लाने के पूर्व देश के वरिष्ठ अधिवक्ताओं से इस पर विधिवत विचार विमर्श कर उनकी पूर्ण सहमति के बाद ही इस बिल को लाएगी अन्यथा आगे भी अधिवक्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
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