भोलेनाथ वाटिका में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार को भक्तों ने एकाग्र होकर सुनी कथा*


समाज जागरण/संभल ब्यूरो चीफ
संभल/चंदौसी।वृंदावन के कथावाचक आचार्य संतोष भारद्वाज ने वामन अवतार का प्रसंग सुनाया।राजा अम्बरीष और दानवीर राक्षसराज बलि की भी कथा सुनाई। इस दौरान भगवान के वामन अवतार का प्रत्यक्ष दर्शन उपस्थित लोगों को हुआ। भगवान के वामन अवतार के रूप में बाल स्वरूप में मनमोहक झांकी के रूप में बालक को देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
आचार्य संतोष भारद्वाज ने श्रीमद भागवत कथा के माध्यम से लोगों में भगवान के प्रति भक्ति का संचार करने का प्रयास किया। उन्होंने राजा अम्बरीष के विषय में बताया कि उनका मन सदा के लिए कृष्ण के श्री चरणकमलों में लगा हुआ था, वाणी उन्हीं के गुण अनुवाद में लगी रहती थी। जिनके हाथ जब भी उठते श्रीभगवान के मंदिर की सफाई के लिए ही उठते और कान सिर्फ भगवान की कथा सुनने को आतुर रहते थे। उनकी आंखें सदैव हरि मूर्ति दर्शन को प्यासी रहती थीं और अपने शरीर से भक्तों की सेवा में ही लगे रहना चाहते थे। उनकी नासिका भगवान के श्रीचरणों में चढ़ी हुई श्रीमती तुलसी देवी के सुगन्ध लेने में तथा अपनी जिह्वा के स्वाद के लिए भगवान को अर्पित नैवेद्य के स्वाद में लगा दिया। अपने पैरों को उन्होंने तीर्थ दर्शन हेतु पैदल चलने में लगा दिया और सिर तो सदैव भगवान के श्रीचरणों में झुके ही रहते थे। माला,चन्दनादि जो भी दिखावे अथवा भोग सामग्रियां थीं, वे सब उन्होंने भगवान के श्रीचरणों में अथवा अलंकार हेतु समर्पित कर दिया और भोग भोगने अथवा भोगों की प्राप्ति हेतु नहीं, अपितु भगवत चरणों में निर्मल भक्ति की प्राप्ति हेतु अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।यज्ञाचार्य मनीष भारद्वाज ने विधि विधान से पूजन सम्पन्न कराया।यजमान प्रतीक एवम श्रीमती महिमा वार्ष्णेय रहे।
इस दौरान सुशील भोलेनाथ,डॉ टीएस पाल,सुभाष चंद्र वार्ष्णेय,शकुंतला देवी,मोनिका वार्ष्णेय,दुर्गेश्वरी,बीना वार्ष्णेय,नम्रता गुप्ता,प्रीति सरिता,सीता,रेनुकुमारी,डोली,अंजना,हिना,शोभा,कुमकुम,गुलशन कुमार,मुनीश वार्ष्णेय,मुकेश वार्ष्णेय,शकुंतला देवी,उमेश लल्ला,ध्रुव वार्ष्णेय,राजीव हाजी,वन्दना,सुमनेश वार्ष्णेय,दीपक ,विनीत वार्ष्णेय आदि उपस्थित रहे।