– मॉडल रोड के साथ समिति ग्राम अंचलों को जोड़े जाने की जरूरत
समाज जागरण धनपुरी। नगर पालिका धनपुरी 1 अरब 24 करोड़ का बजट पेश किया गया है जो नगर के विभिन्न वार्डों विकास सौंदरीकरण में लगाया जाएगा, निर्माण तेज गति से शुरू भी हो गया है। नगर के विकास व सौंदर्यीकरण का सपना सही मायने में तभी पूर्ण होगा, रोजगार और सुविधा मूलक विकास की दमदार कार्य योजना तैयार कर उस पर अमल किया जाए। जब धनपुरी नगर पालिका कार्यालय से बघइया पुल तक लगभग 2 किलोमीटर मॉडल रोड का निर्माण किया जाए और नगर के कटे हुए रास्तों को नगर से जोड़ा जाए जिससे नगर का विकास होगा तभी नगर का उत्थान भी होगा। नगर के कई पढे लिखे होनहार बच्चे नगर नगर के व्यापार भविष्य को देखते हुए अधिकांश बच्चे बाहर सर्विस करने के लिए दिवस है अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब नगर में कौवे भी दिखाई नहीं देंगे। नगर पालिका के पास बजट की कोई कमी नहीं है नगर के विकास के साथ-साथ व्यापार भी बढ़े ऐसी प्लानिंग की जरूरत है। अस्तित्व का संकट कई दशकों तक कोयला खदानों के दम पर जिला ही नहीं पूरे प्रदेश में अपनी संपन्नता के लिए ख्यातिलब्ध धनपुरी नगरपालिका अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने पर मजबूर है। यूं तो शासन प्रशासन ने नगर विकास के लिए करोड़ों रुपए का भारी-भरकम बजट खर्च कर दिया लेकिन एसईसीएल प्रबंधन द्वारा समय अनुकूल कार्यवाही न किए जाने के परिणाम स्वरूप विकास कि वह तस्वीर देखने को नहीं मिली जिसकी उम्मीद आम नागरिक को थी। विकास के नाम पर जो राशि खर्च हुई वह भी कर्ता-धर्ताओं के स्वार्थ पूर्ति का माध्यम ही बनी और नगर व क्षेत्र का विकास तब से लेकर अब तक दोयम दर्जे पर ही देखा गया है। हर वर्ग को मिला रोजगार एसईसीएल सोहागपुर एरिया की खदानों में 1994 तक सीधी भर्ती हुई उसके बाद से भर्ती की प्रक्रिया बंद हो गई। कोल कंपनी के द्वारा समय-समय पर डिप्लोमा होल्डर, माइनिंग परीक्षा पास, आईटीआई पास एवं अनपढ़ युवाओं के साथ ही कालरी में कार्यरत कर्मचारीयों के अनफिट होने पर उनके जगह पर उनके बच्चों को नौकरी दी गई। एक्सीडेंटल केस के अलावा कालरी मे जमीन फसने पर भूमि स्वामी और उनके आश्रितों को नौकरी दी गई है| बाजार में थी रौनक सन 1985 तक सोहागपुर एरिया मे 10 खदानें संचालित हुआ करती थी और लगभग 18 हजार कालरी कर्मचारी कार्यरत थे। उस जमाने में कॉलरी कर्मचारियों की पेमेंट होने पर बाजारों की रौनक देखते बनती थी। सुबह से शाम तक भीड़ हुआ करती थी नगर के सभी तरह के दुकानों और व्यापारियों को इंतजार होता था कि कालरी का पेमेंट कब होगा, नगर में एक जलजला था यहां तक की धनपुरी कोलाचल होने के चलते बुढार शहडोल तक के व्यापार में रौनक देखने को मिलती थी। लगातार कमी सोहागपुर एरिया कि कोयला खदानों में तीन दशक से भर्ती की प्रक्रिया बंद हो गई और लगातार हर माह कालरी कर्मचारियों का रिटायरमेंट होना जारी है परिणाम स्वरूप देखते देखते 18000 कर्मचारियों में से 35 वर्षों में 4000 कर्मचारी शेष बचे हैं| धनपुरी के व्यापार में वह रौनक देखने को नहीं मिल रही है बल्कि धीरे-धीरे स्थिति और भी खराब होती जा रही है। कालरी की बदौलत ही धनपुरी के व्यापार मे रौनक बनी रहती थी जो अब देखने को नहीं मिल रही है। नगर प्रशासन की नाकामी कॉलरी, ओरियंन्ट पेपर मिल के अलावा व्यापार व नौकरी के लिए कोई सरकारी या प्राइवेट संस्था नहीं है जहां रिटायर होने वाले कालरी कर्मचारियों के बच्चों या अन्य पढ़े-लिखे बच्चों को नौकरी नही मिल सके युवा पढ़ लिख कर डिग्री लेकर घूम रहे हैं | धनपुरी नगरपालिका के कर्ता-धर्ता में दशकों से करोड़ों रुपए की राशि खर्च की लेकिन ओपीएम या अन्य खदानों से लगे क्षेत्रों को धनपुरी से जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण तक नहीं कराया जिससे लोग नगर तक आ जा सके और स्वयं अपने विकास के साथ ही नगर के विकास में सहभागी बन सकें। नगर विकास के नाम पर सरकारी धन सिर्फ वही उड़ाया गया जहां कर्ता-धर्ता नेताओं अधिकारी कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती हो जन विकास या क्षेत्रीय विकास को कभी महत्व दिया ही नहीं गया है। एक भागीरथ की दरकार धनपुरी कोयलांचल क्षेत्र में काला हीरा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है कोयला ऊर्जा की कोई कमी नहीं इससे संबंधित यहां तरह-तरह के लघु उद्योग खोले जा सकते हैं, लेकिन ऐसा प्रयास करने वाला कोई भी चमकता हीरा नहीं है जो यहां के भौगोलिक स्थिति की जानकारी परिचित होने के बाद भी सांसद जनप्रतिनिधि नगर नगर से जुड़े वर्षों से कमियों को दूर क्यों नहीं कर रहे हैं | वास्तव में धनपुरी कोयलांचल क्षेत्र को एक ऐसे भागीरथ की जरूरत है जो उपलब्ध संसाधनों के साथ ही शासन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों तथा एसईसीएल मैनेजमेंट के साथ समन्वय स्थापित कर सहायक लघु उद्योगों की स्थापना के माध्यम से यहां के लोगों को रोजगार और विकास को नई गति दे सके। जिले के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने भी इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जिसका खामियाजा न सिर्फ धनपुरी नगर व क्षेत्र के लोगों बल्कि पूरे जिले व संभाग को भुगतना पड़ सकता है। अभी भी है अवसर विकास के नाम पर अरबों रुपए नगर पालिका द्वारा कहां खपा दिये गए दिखता ही नहीं है| नगर को विकास से जोड़ने वाले कई रास्ते बंद हो गए हैं| नगरीय एवं ग्रामीण आबादी क्षेत्र को नगर से सीधा जोड़ने जाने वाले रास्ते अगर बन जाऐ तो धनपुरी विकास को गति मिल सकती है। ओपीएम को स्टेट हास्पिटल के पास एक पुल बनाकर सीधा जोडा जा सकता है|,सरईकापा,आस पास जुडे कई गांव आज नगर से कट गऐ है नगर के व्यापारियो ने कई बार नगर से कटे रास्ते को जोडने, नगर के विकास से जुड़ी उलझनें दूर करने की मांग नगर पालिका से उठाई लेकिन करोड़ों रूपये विकाश के नाम पर खर्च करने वाली नगरपालिका के कर्ताधर्ता अपनी मनमानी लोगों की इस मांग को हमेशा अनसुना ही किया है जिसका असर व्यापार में लगातार गिरावट देखा जा रहा है|