दिनकर मनुष्य चेतना की स्वतंत्रता के कवि हैं –साहित्यकार डा. राघवेन्द्र नारायण सिंह

समाज जागरण अनिल कुमार
हरहुआ वाराणसी।
राजेश्वरी महिला महाविद्यालय हरहुआ वाराणसी में आज राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ राघवेन्द्र नारायण सिंह ने छात्राओं और शिक्षकों को उद्बोधित करते हुए कहा कि दिनकर की कविता इस समय और भी प्रासंगिक हो गई है जब दलित विमर्श ने साहित्य के दरवाजे पर दस्तक दी है और पूरी राजनीति दलित आदिवासी और उपेक्षित वर्ग के इर्द-गिर्द केंद्रित हो चुकी है। दिनकर ने एकलव्य और सूतपुत्र कर्ण के माध्यम से अपने साहित्य में जो दलित आदिवासी और उपेक्षित वर्ग का विमर्श दिया है वह उन्हें वर्तमान समय का सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्यकार स्थापित करता है।

दिनकर दलित चेतना के साहित्यकार हैं जिनकी दृष्टि मनुष्य की पीड़ा शोषण और उत्पीड़न पर टिकी हुई है। वे मनुष्य की गरिमा के विरुद्ध होने वाले सामाजिक अन्याय,मानसिक उत्पीड़न और स्वतंत्र चेतना को अवरुद्ध करने वाली शक्तियों के खिलाफ नयी दृष्टि से सोचने समझने और विमर्श करने वाले कालजयी साहित्यकार हैं। दिनकर की कविता का संदेश आज के संदर्भ में जब विश्वयुद्ध का खतरा आसन्न है और भी अधिक सामयिक हो गया है । रश्मिरथी और कुरुक्षेत्र जैसी कालजयी रचनाएं सिर्फ दिनकर ही लिख सकते हैं। इस अवसर पर दिनकर जी के चित्र पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।

कार्यक्रम में छात्राओं ने दिनकर जी की कविताओं का सस्वर पाठ किया। डॉ धीरेन्द्र तिवारी, इकबाल अहमद, महिमा मिश्रा, प्रियंका श्रीवास्तव, प्रतिभा सिंह, संजय मिश्रा, विनय दुबे, अनिल भारती, बसंती देवी ने कार्यक्रम में सक्रिय शिरकत करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम संयोजन उपप्रबंधक अंशुमान सिंह और संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुमन सिंह ने किया।