दैनिक समाज जागरण
विश्व नाथ त्रिपाठी
प्रतापगढ़।
यह संयोग कहा जाय या मिली भगत।जिले के आला अफसरों के उपेक्षात्मक रवैये ने जनता का दम तोड़ना शुरू कर दिया है।चारों तरफ व्याप्त अराजकता ने खुद ही अपना मुंह छिपाने के लिए जगह ढूंढ़ने लगी है लेकिन जिम्मेदारों की बेशर्मी के कारण वह चारों दिशाओं में चोरों की तरह घूम घूम कर आला अफसऱों की कहानियां सुनाने को मजबूर हो गयी है ।यही कारण है कि झोलाछाप डाक्टरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि मुख्य मार्गों पर भी विना पंजीकरण के नर्सिंग होमों का संचालन तक करने लगे हैं ।ब्लाक बिहार से मिली खबर के अनुसार इस क्षेत्र में दर्जनों झोला छाप डाक्टरों ने खुलेआम अस्पताल चला रहे हैं जिनकी कोई वैधता नहीं है । कितने ऐसे डाक्टर गली कूचों में दवा देते हुवे मिल जायेंगे जिनकी शिक्षा केवल दवा की दूकान का अनुभव ही है ।
वैसे तो प्रतापगढ़ एक ऐसा जिला है जहां शिकायतों संज्ञान लिया ही नहीं जाता क्यों सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं । अधिकारियों की मिलीभगत कुछ करने से उनको रोकती है क्योंकि वे ही चिनार और वे ही डोला के साथ ।अर्थात दोनों तरफ अधिकारी ही है ।जनता करे तो क्या करें सरकारी डाक्टर मिलते ही नहीं चिर पोस्टेड हैं तो दो ही डाक्टर अस्पताल में मिलेगा,पूछने पर किसी के पास कोई उत्तर नहीं बाघराय सरकारी चिकित्सालय में एक जिम्मेदार डाक्टर साहब है जो कई वर्षों से दिन में एक बजे के बाद ही आते हैं।जनता झोलाछाप के पास जाने को मजबूर हैं । बाघराय,बिहार,सिया,साहुकी चरही ,शकरदहा,हीरागंज महेशगंज जेठवारा पिटारा आदि सैकड़ों स्थान ऐसे हैं जहां निरक्षर ही दवा देते मिलेंगे। शिकायती तंग आ चुके ,जनता का शोषण हो रहा है ,।