प्रेगनेंट के बाद भी बच्चों को सिखा रही तीरंदाजी के गुर, बिहार के लिए लाया था पहला मेडल

दैनिक समाज जागरण
आरा(बिहार) 22 अप्रैल।
शुभम सिन्हा

बिहार के आरा में पूजा अपनी साहस की मिसाल पेश कर रही है। नौ महिने प्रेगनेंसी के बावजूद वो प्रतिदिन अपने स्टूडेंट्स को तीरंदाजी की गुर सिखा रही है। ऐसे में पूजा के पति नीरज सिंह भी उसका पूरा सपोर्ट करते है। पूजा अपने प्रेगनेंसी के चौथे महीने और आठवें महीने होने के बाद भी दो मैच खेलने के लिए आरा से बहार गुजरात गई थी। वहीं अभी प्रेगनेंसी के नौ महीने पूरा होने के बाद भी पूजा बच्चों को तीरंदाजी सिखा रही है। कहा जाता है कि तीरंदाजी वनवासियों का खेल है। लेकिन आरा शहर में रहने के बाद भी पूजा कुमारी ने अपनी लगन की बदौलत तीरंदाजी में एक अलग मुकाम हासिल किया है।

ऑल ओवर इंडिया में लाया था पहला स्थान

राजस्तरीय और राष्ट्रीय स्तर प्रतियोगिता में पूजा कुमारी ने कई मैडल जीते है। साल 2018 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर बिहार का गौरव बढ़ाया था। यह बिहार के लिए पहला मेडल था जो झारखण्ड से अलग होने के बाद बिहार की किसी महिला खिलाडी ने जीता था। साथ ही 2019 में बिहार खेल से भी सम्मानित हो चुकी है। वहीं पूजा कुमारी ने 36वें नेशनल गेम्स में पहला स्थान प्राप्त किया था। यह खेल गुजरात के संस्कार धाम में हुआ था। पूजा कुमारी अब तक दस से ज्यादा नेशनल गेम्स खेल चुकी है। फिलहाल, वह भोजपुर तीरंदाजी अकादमी की वरिष्ठ खिलाड़ी और कोच की भूमिका में नवोदित खिलाड़ियों को तीरंदाजी का गुर सिखा रही हैं।

कई खिलाडी खेल चुके है राजस्तरीय और राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता

पूजा कुमारी आरा शहर के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में बच्चों को कोचिंग कर रही है। उनके देखरेख में जिले के कई खिलाड़ी राज्यस्तरीय ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में जिला और बिहार प्रदेश का नाम अपनी प्रतिभा की बदौलत रौशन किया है। शिव सागर गुलाम उच्च विद्यालय, हरिगांव में खुलने वाले राज्य आवासीय एकलव्य प्रशिक्षण केंद्र के लिए कोच के रूप में पूजा का चयन हुआ है। यहां ये नवोदित तीरंदाजों को प्रशिक्षण देंगी।

मैडम ने कहा था तीरंदाजी सीखने के लिए अब लाना चाहती है गोल्ड मेडल

बड़हरा प्रखंड के बबुरा निवासी स्व देवेंद्र सिंह और मीनू सिंह की पुत्री पूजा कुमारी ने इतिहास से एमए और बीपीएड की डिग्री ली है। पूजा कुमारी ने बताया कि मुझे मेरी मैडम अर्चना जी ने तीरंदाजी सीखने के लिए कहा था। उनकी सलाह और माता-पिता की सहमति पर पूजा ने वरिष्ठ तीरंदाज और कोच नीरज कुमार सिंह से संपर्क किया। नीरज सिंह की देखरेख में राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में शामिल होकर प्रदेश का मान बढ़ाया। अब पूजा अपने देश और अपने बिहार का नाम और भी रौशन करना चाहती है। पूजा का अगला टारगेट गोल्ड मेडल पर है।

कई सम्मानित पुरस्कार से हो चुकी है सम्मानित

पूजा के पति नीरज ने बताया कि पूजा के नाम सफलता की लंबी सूची बिहार से झारखंड अलग होने के बाद साल 2018 में उड़ीसा के बाराबती स्टेडियम, कटक में आयोजित 26वां एनटीपीसी सीनियर आर्चरी चैंपियनशिप के इंडियन राउंड वर्ग में मेडल प्राप्त पहली महिला विजेता बनने का रिकॉर्ड बनाया है। वहीं, साल 2022 में गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित नेशनल गेम्स में इंडियन राउंड में पहली रैंक प्राप्त करने का गौरव प्राप्त किया। इसके अलावा, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर कई पुरस्कार हासिल किए है। खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए साल 2019 में बिहार खेल सम्मान से सम्मानित हुई थी।

2021 में पूजा कुमारी की हुई शादी अब बनने वाली है माँ

पूजा ने बताया कि नीरज सिंह से साल 20 जून 2021 में शादी हुई थी। पूजा दस हजार रुपये के तीर से निशाना साधती है। हालांकि, तीरंदाजी प्रतियोगिता के रिकर्व राउंड में निशाना साधने के लिए ढाई-तीन लाख रुपये के तीर की जरूरत होती है। लेकिन पूजा की आर्थिक स्थिति के अनुसार उनके वश से बाहर है। परिवार के साथ ससुराल वालों से भी पूजा को सहयोग मिलता है। सास-ससुर और पति नीरज कुमार सिंह उसकी प्रतिभा को निखारने और शौक पूरा करने में निरंतर सहयोग कर रहे हैं। लेकिन आर्थिक आभाव के कारण तीरंदाजी पिछड़ता जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकार और भोजपुर तीरंदाजी अकादमी को भी खिलाडियों पर ध्यान देना होगा।

प्रेगनेंसी के समय बाहर जाने से मना करते थे लोग

वहीं पूजा के हसबैंड नीरज ने बताया कि कई लोग बोलते है इस समय (प्रेगनेंसी) बाहर नहीं जाना चाहिए। इनफैक्ट घर वाले, डॉक्टर भी यहीं सलाह देते है। लेकिन उस स्थिति में भी बिहार से बाहर गुजरात जाकर पूजा ने पूरे बिहार का गौरव बढ़ाया है। साथ ही वैसी लड़कियों के लिए भी मिशाल बनते जा रही है जो किसी कारणवश या समाज की वजह से घर से बाहर नहीं निकल पाती है। प्रेगनेंसी के समय की बात ही नहीं बल्कि कई घर वाले ऐसे भी लड़कियों को बहुत से काम नहीं करने देते है। लेकिन पूजा समाज के लिए एक मिशाल बन रही है।