शारदेय नवरात्रि पावन पर्व पर जवारा कलश की स्थापनाभटिया मंदिर में उमड़ रहा है भक्तों का जन सैलाब

समाज जागरण
शहडोल

शारदेय नवरात्र पर जवारा कलश की स्थापना की गई है , नवरात्र की परंपरा सुख समृद्धि के प्रतीक होते हैं। पूजा में जवारे अन्न के सम्मान का संदेश है। इस विधान में नवरात्रि में मां दुर्गा की पुजा जबारों के बगैर अधूरी रहती हैं। घर हो या मंदिर हर जगह माता के दरबार में जवारे बोए जाते हैं। और कलश स्थापना करते हैं। इस पवित्र विधि में कलश के सामने मिट्टी के पात्र में जौ को बोते हैं। नवरात्र में हिन्दू धर्म में पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान कर कलश स्थापना विशेस महत्व होता है। शास्त्रों में शक्ती पीठ पर कलश स्थापना से सुख समृद्धि ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है।
कथा मुंडन का कार्यकृम
शक्ती पीठ भटिया में मां के दरबार में भक्तों के द्वारा अपनी मन्नत पूर्ण होने पर कथा मुंडन का कार्यक्रम करते हैं ट्रस्ट द्वारा कथा मुंडन कार्यकृम के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है।
जिले एवम अन्य जिले प्रांत के अधिकारियों ने मत्था टेका आज नवरात्रि के पंचम दिन प्रांत एवम अन्य जिले एवम जिले के अधिकारियों ने माता के दरबार में उपस्थित होकर माई के दरबार में माथा टेका और अपनी अपनी अर्जी मिन्नत किए । और बहुत सारे अधिकारी ने मत्था टेक कर माता जी से आरजू मिन्नत किए। इसी क्रम में हरिद्वार मठ से संकराचार्य माता जी माई के दरबार में पधारकर माता जी से आरजू मिन्नत किए एवम क्षेत्र की खुशहाली के लिए भी आरजू मिन्नत किए मंदिर तक पहुंचने का साधनएवम मंदिर का इतिहासशक्ति पीठ भटिया जिला से लगभग 50किलोमीटर की दूरी पर माता रानी की मंदिर मां सिंहवाहिनी देवी की विशाल प्रतिमा भटिया में विराजमान हैं । शक्तिपीठ भटिया मंदिर जाने के लिए शहडोल ,बुढ़ार ,अनूपपुर ,कोतमा ,व्योहारी रेलवे स्टेशन में उतरकर सड़क से बस, टैक्सी के माध्यम से माता रानी के दर्शन हेतु पहुंचने का प्रमुख साधन है ।माता रानी की ख्याति भारत वर्ष में चारों तरफ फैली हुई है। मां के दर्शन हेतु शहडोल एवम अनूपपुर, उमरिया, रीवा, सीधी, सिंगरौली आदि जिले के कोने कोने से एवम मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, एवम अन्य प्रांतों से भी साल भर प्रतिदिन भक्तों की भीड़ बनी रहती है लेकिन नवरात्रि में उक्त सभी जगहों से भक्तों की काफी भीड़ हो जाती है। आज नवरात्री के प्रथम दिन भारत के कोने कोने से हजारों भक्तों ने माता रानी को मत्था टेक कर अपना अपना अर्जी मिन्नत किए। माता रानी से जो भी भक्त सच्चे मन से जो भी मांगते हैं मां उनकी हर मुराद पूरी करती हैं।हर वर्ष की भांति इस वर्ष मन्दिर की साज सज्जा बड़े ही आकर्षण ढंग से सजाया गया है। भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो इस बात का विशेस ध्यान रखा गया है। धर्मशालाओं में रुकने की व्यवस्था की गई है। मां के भक्तों द्वारा जगह जगह भंडारे का अयोजन भी किया जा रहा है।भटिया देवी मंदिर का बहुत पुराना इतिहास है।पूर्वजों के प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मंदिर कलचुरी काल का है।पहले यह मंदिर घासफूस से बना था । सन 1970 में श्री शंकराचार्य महाराज जी द्वारा आम जन सहयोग से विशाल श्री लक्ष्मी महायज्ञ का आयोजन किया गया तभी से मंदिर का विकास कार्य शुरू हुआ।इसके बाद सभी के जन सहयोग से एक छोटा सा मंदिर का निर्माण कराया गया था ।इसके बाद अब विशाल मंदिर का निर्माण ट्रस्ट एवम सभी के जनसहयोग से किया गया है मंदिर के उत्तर दिशा में देवी तालाब है जो लगभग 10 एकड़ का है। आज भी तालाब में शंख घड़ियाल नगाड़े की ध्वनि कभी कभी सुनाई देती है पूर्बजों का ऐसा मानना है कि तालाब के बीचो बीच सोने की मंदिर है , सुबह 3 से 4 बजे के बीच में यहां संख घरियार की ध्वनि सुनाई देती है।भटिया एवं भटिया से लगा गावं कोल्हुआ एवं आस पास गांव के बहुत सारे लोग बताते हैं आज भी कभी कभी संख घरियार की ध्वनि सुनाई देती है ।इस मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। माता सिंहवाहिनी जी की विशाल प्रतिमा है सभी मूर्तिया खुदाई से प्राप्त हुई है।।
बुद्धि की देवी है मां सिंहवाहनी
*सनातन परंपरा में मां सिंहवाहनी से विद्या बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी पूजा जाता है। परिक्षा, प्रतियोगिता की तैयारी में जुटे छात्र मां सिंहवाहनी का विशेस आशिर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। मां सिंहवाहनी की सच्चे मन से पूजा करने वाले साधक को सुख समृद्धि का आशिर्वाद प्राप्त होता है, साथ ही माता की कृपा से वह हमेशा तमाम प्रकार के भय रोग आदि तमाम प्रकार की व्याधि से बचा रहता है यह सब जानकारी धार्मिक आस्था और धार्मिक मान्यताओंपर आधारित है। सूर्य नारायण भगवान की प्रतिमा ,अष्ठभुज गणेश की मूर्ति ,माँ के सातों रूपों की प्रतिमा खुदाई से प्राप्त हुई है जो भटिया मंदिर में विराजमान हैं। पूर्बजों के अनुसार श्री राम अपने वनवास काल में कुछ समय यहां बिताए थे ग्राम कोल्हुवा में सीता माता के द्वारा बनाया हुआ चौक आज भी विद्यमान है जिसे सीता चौक के नाम से जाना जाता है इसकी भी विशेष महिमा है। पांडव अपने वनवास काल में बहुत सारा समय अपना यहीं व्यतीत किये थे। भटिया से लगा एक छोटा सा गावं भीखमपुर के नाम से जाना जाता है जहां पूर्व में भीष्म पुर था ,भीष्म वहीं निवास करते थे भीष्म के नाम से ही इस गावं का नाम पड़ा।दोनों नवरात्रि में भक्तों की काफी भीड़ रहती है प्रशासन एवं ट्रस्ट एवम क्षेत्रीय समिति द्वारा यहां की सम्पूर्ण व्यवस्था की जाती है।भटिया मंदिर के नाम से 22एकड़ 26 डिसमिल जमीन है।। मेला एवम मन्दिर का सजावट आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बना है।भटियासे कोल्हुवा 1 किलोमीटर की दूरी पर सिद्ध बाबा का आश्रम है जो दर्शन करने का महत्त्व पूर्ण स्थान है।

Leave a Reply