“सनातन संस्कृति के बगैर बेहतर जीवन की कल्पना असंभव : महेंद्र पाण्डेय”

पश्चिमी विचारधारा का परित्याग कर सनातन को अपनाएं युवा

वाराणसी।

“उन्मेष” प्रज्ञा प्रवाह काशी प्रान्त युवा आयाम द्वारा आभाषी प्लेटफार्म गूगल मीट पर “भारतीय पहचान: अर्थ और सन्दर्भ” विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह आयोजन प्रान्त संयोजक डॉ. शांतनु सौरभ सिंह और सह संयोजक डॉ. कुवार शेखर गुप्ता के नेतृत्व में हुआ।

इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता “उन्मेष” प्रज्ञा प्रवाह काशी प्रान्त के सदस्य एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के सीनियर रिसर्च फेलो श्री महेंद्र पाण्डेय जी थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति को सर्वोच्च बताते हुए कहा कि भारतीय परिप्रेक्ष्य के इतिहास को लिखने, पढ़ने और समझने की आवश्यकता है, और इसका केंद्र काशी होगा।

महेंद्र पाण्डेय जी ने आगे कहा, “पश्चिमी विचारधारा का परित्याग कर सनातन संस्कृति को अपनाए बिना हम सुखद जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। सनातन संस्कृति के बिना एक बेहतर जीवन असंभव है।”

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर भी चर्चा की और भारत के वर्तमान इतिहास में आवश्यक परिवर्तनों पर जोर दिया। साथ ही पंडित मदन मोहन मालवीय और भगत सिंह जैसे महानुभावों के जीवन मूल्य और संघर्षों को भी रेखांकित किया। उन्होंने पुस्तकों और पत्रिकाओं की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास को समझने में सहायक हैं।

यह व्याख्यान प्रज्ञा प्रवाह के केंद्रीय टोली सदस्य व उत्तर प्रदेश के पूर्व क्षेत्रीय संयोजक रामाशीष जी के जन्मोत्सव पर आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में युवा आयाम संयोजक डॉ. शांतनु सौरभ जी, डॉ. विशाल विक्रम सिंह जी, डॉ. अमितेश जी, डॉ. कुवार शेखर जी, डॉ. शैलेश सिंह जी, महेंद्र जी, प्रफुल जी, प्रशांत जी, रचना जी, नीरज जी, अरुण जी, रत्नेश जी, अमन जी, आशीर्वादम जी, उत्तम जी, सुधांशु जी, लक्ष्मी जी सहित दर्जनों युवा उपस्थित थे।

Leave a Reply