कौन बनेगा शहडोल में बीजेपी जिलाध्यक्ष
शहडोल। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा खेमे में पसरा हुआ सन्नाटा अब हलचल में तब्दील हो गया है। साथ-साथ जिला अध्यक्ष के लिए संभावित दावेदार उचित प्लेटफार्म के साथ सार्वजनिक स्थलों पर भी अपने दावेदारी पेश करते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि अभी तक मिली जानकारी अनुसार यही तथ्य सामने आ रहे हैं कि पहले मंडल फिर जिला और उसके बाद प्रदेश के अध्यक्ष बदले जाएंगे लेकिन अगर प्रदेश अध्यक्ष को घोषणा पहले हो गई तो जिले में जिला अध्यक्ष की दावेदारी करने वाले दावेदारों की मेहनत पर पानी भी फिर सकता है।फिलहाल जिला मुख्यालय शहडोल सहित बुढार, धनपुरी, व्यौहारी और जैतपुर क्षेत्र से कई भाजपा नेता अपनी-अपनी दावेदारी पेश करने की जुगत में हैं। हालांकि कुछ नेता कार्तिकेय की भांति ब्रह्मांड के चक्कर मतलब दिल्ली और भोपाल की परिक्रमा कर रहे हैं या कर चुके हैं या करने ही वाले हैं। जैसे गणेश ने भगवान शिव और पार्वती को ही बृह्मांड मानकर उनकी परिक्रमा कर ली थी वैसा ही अनुसरण करते हुए कुछ नेतागण स्थानीय राजनैतिक स्तंभों की गणेश परिक्रमा कर अपनी राजनैतिक स्थिति को मजबूत करने में जुटे हुए है। तो कुछ नेताओं ने अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए दिल्ली, भोपाल के साथ-साथ स्थानीय राजनैतिक स्तंभों की परिक्रमा भी कर डाली है। हालांकि इन सब से इतर वर्तमान जिलाध्यक्ष भी अपनी उपलब्धियों को गिनाकर पुनः बागडोर संभालने की मंशा रखते है।
राजनैतिक गलियारों में चर्चा का दौर जारी
हालांकि शहडोल की आम और खास जनता जानना चाहती है कि अगला भाजपा जिलाध्यक्ष कौन होगा और कई नामों की चर्चा पक्ष और विपक्ष के साथ- साथ राजनैतिक गलियारों में हो रही है। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि शहडोल जिले के धनपुरी में भाजपा संगठन की सेहत थोड़ी नासाज मालूम पड़ रही है इस बात का ठीकरा जिला मुख्यालय के भाजपा नेताओं पर पूरा का पूरा फोड़ना सही नहीं होगा, क्योंकि कांग्रेसी खेमे में पूर्व विधायक की ताजपोशी जिला संगठन के मुखिया के रूप में होने के बाद विपक्ष में कांग्रेस के रहने के बावजूद भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के उत्साह में ईजाफा हुआ है। तो यह तो साफ है कि संतुलन के सिंद्धान्त के अनुसार अगर उत्साह कहीं बढ़ेगा तो कहीं तो घटेगा जरूर और हुआ भी यही जिला मुख्यालय में भाजपा सिर्फ संगठन के कैलेंडर को फॉलो करती हुई नजर आई है। ऐसा राजनैतिक जानकारों का मानना है।
बुढार क्षेत्र से ये हो सकते हैं दावेदार
अब जब संगठन चुनावों का आगाज हो चुका है तोऐसे में जैतपुर विधानसभा अंतर्गत बुढार क्षेत्र की दावेदारी जिले के वरिष्ठ भाजपा नेताओं की गुड लिस्ट में शामिल हैं। पिछली बार जिला संगठन से बुढार नगरी क्षेत्र के नेताओ की दूरी इस बार के चुनाव के बाद दूर होगी या नहीं यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा।
बुढार से पूर्व जिला महामंत्री के अलावा कोई नाम नहीं
बुढार क्षेत्र के कई भाजपा नेताओं ने खुद को दावेदार माना ही नहीं तो कई नेताओं ने कहा कि दो पूर्व जिला महामंत्री ही बुढार क्षेत्र से एक मात्र नेता के रूप में भाजपा जिलाध्यक्ष पद के लिए पुनः दावेदार के रूप में सामने आएंग, वहीं शहडोल निवासी भाजपा जिलाध्यक्ष की बात करें तो प्रदेश नेतृत्व ने उम्र दराज नेताओं को किनारे कर प्रदेश में एक जो नई लाइन थी, उसी पंक्ति के मतही की थीप में कमल प्रताप सिंह सामने आए थे। बताया जा रहा है कि वर्तमान जिलाध्यक्ष भी खुद को रेस में मान रहे हैं। अब आगे आने वाले समीकरणों पर वर्तमान जिलाध्यक्ष का आना न आना तय करेगा। वहीं पूर्व जिला महामंत्री कैलाश विशनानी एवं राकेश पांडे की प्रबल दावेदारी जिला अध्यक्ष पद के लिए मानी जा रही है।कई मायनों में स्वाभाविक है। अधिकतर विधानसभा चुनाव में भाजपा को लीड देने वाला बुढार क्षेत्र दावेदारी के मामले में इस बार मुखर होकर सामने आएगा। बताया जा रहा है पिछले संगठन चुनाव में भाजपा जिलाध्यक्ष के दावेदार के रूप में आए कैलाश विशनानी और राकेश पांडे बुढार क्षेत्र से दावेदारी कर रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के रास्ते भाजपा में पैठ बनाने वाले एक ओर जहाँ सूर्यकांत निराला प्रबल दावेदार हैं वही युवा मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष अमित मिश्रा भी इस बार दावेदारी के पूरे मूड में दिखाई दे रहे हैं। निराला एवं मिश्रा युवा नेता है और युवा होने के नाते उन्हें प्रदेश संगठन पर पूरा भरोसा है कि युवाओं को कमान इस बार सोप जाएगी ।बताया जा रहा है कि प्रदेश भाजपा कार्यालय में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सहित कई दिग्गजों ने प्रदेशाध्यक्ष वीडी शमां के नए सफलतम प्रयोगात्मक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा है कि पिछली बार भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए 50और मण्डल अध्यक्ष के लिए 40 की उम्र का मापदंड तय किया गया था। यह काफी सफल रहा। यदि इस बार भी यह मापदंड आधार माना जाएगा तो फिर एकबार दावेदारों की एक बड़ी फेहरिस्त को निराशा हाथ लग सकती है। कई जानकरों का कहना है कि इस बार उम्र का मापदंड आड़े नही आएगा तो कई ऐसा भी कहते हैं कि नई पीढ़ी का नेतृत्व जब खड़ा हो चुका है तो प्रदेश संगठन इसे आगे ही लेकर जाएगा नाकि दोबारा सीनियर कैडर को सामने लाकर बीती मेहनत पर पानी फेर देगा. हालाकिं मापदंड क्या था यह तो घोषणा के बाद ही पता चल पाएगा।
ये भी दावेदारी में शामिल
तमाम दावेदारों में जिला भाजपा के उपाध्यक्ष अशोक मिश्र, पूर्व जिला महामंत्री विमलेश मिश्रा का भी नाम चर्चाओं में है। कई भाजपा कार्यकर्ताओं में नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अक्सर देखा जा रहा है कि जिला भाजपा अध्यक्ष का पद नगरीय क्षेत्र के निवासी को ही मिल रहा है जबकि संगठन को ग्रामीण क्षेत्र से भी बिलॉन्ग करने वाले कार्यकर्ताओं को महत्व देना चाहिए। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र से बिलॉन्ग करने वाले दावेदारों की दावेदारी को कम आंकना नहीं चाहिए। कुछ दावेदार नीति निर्धारण संगठन के गुड लिस्ट के भी है। वहीं कुछ अनुभव की एक लंबी फेहरिस्त के साथ मैदान में हैं, कुल मिलाकर संघ, संगठन और सत्ता पक्ष का समग्र आशीर्वाद प्राप्त करने में जो सफल होगा वही भाजपा जिलाध्यक्ष बन पाएगा।