निजी क्लीनिक में बच्चेदानी का ऑपरेशन कराने के एक सप्ताह बाद गंभीर हालत में सदर अस्पताल पहुँची महिला की इलाज के दौरान मौत*

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दैनिक समाज जागरण
ब्यूरो चीफ अनिल कुमार मिश्रा

औरंगाबाद :- सदर अस्पताल औरंगाबाद में बीते कल एक महिला की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया और औरंगाबाद में उपलब्ध स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े किए । दरअसल औरंगाबाद सदर प्रखंड क्षेत्र के बड़की बेला निवासी हेमंती देवी ने गाँव के ही एक निजी क्लीनिक माँ नर्सिंग होम में बच्चेदानी का ऑपरेशन करवाया था ऑपरेशन के एक सप्ताह बाद जब माँ नर्सिंग होम के डॉक्टर विकास यादव के पास पहुँची तो कोई प्रतिक्रिया नही मिली जिसके बाद गंभीर हालत में महिला को औरंगाबाद के सदर अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया गया जहाँ इलाज़ के क्रम में महिला की मौत हो गई । परिजनों का आरोप है कि उचित समय पर इलाज मिलता तो महिला की जान बच सकती थी।

फर्जी तरीके से बोर्ड पर चिकित्सकों का नाम लिखकर हो रहा अवैध क्लीनिक का संचालन, सूत्र।


औरंगाबाद में फर्जी क्लीनिक और फर्जी डॉक्टरों का जमावड़ा इस कदर है कि इनके यहाँ बुखार से लेकर ऑपरेशन तक कि व्यवस्था होती है । औरंगाबाद में चल रहे तमाम फर्जी क्लीनिक में बच्चेदानी , बंध्याकरण , अपेंडिक्स , सिजेरियन डिलीवरी तक कि ऑपरेशन की व्यवस्था होती है । ये ऑपरेशन किसी सर्जन के द्वारा नहीं किया जाता है बल्कि झोलाछाप सर्जन जो कभी कंपाउंडर हुआ करते थे उनके द्वारा किया जा रहा है ।अब इनमे से कई फर्जी क्लीनिक के मालिक है ।
सताते चलें कि औरंगाबाद में तमाम फर्जी क्लीनिक के बाहर किसी न किसी डॉक्टर के नाम का बोर्ड लगा होता है । ये अलग बात है कि बोर्ड पर जिन डॉक्टर का नाम लिखा होता है वे इन फर्जी क्लीनिक में नहीं बैठते बल्कि बोर्ड पर नाम लिखने के एवज में इनका भी महीना फिक्स है ।

औरंगाबाद में सदर अस्पताल के चारों ओर फैला है अवैध निजी क्लीनिक का जाल , निजी क्लीनिक में मरीजो को पहुंचाने के एवज में दलालों को मिलता है कमीशन

औरंगाबाद के सदर अस्पताल के चारो ओर अवैध निजी क्लीनिक का जाल बिछा हुआ है । सदर अस्पताल से भी मरीजो को बहला फुसला कर इलाज के नाम पर इन क्लीनिकों में पहुंचाया जाता है जहाँ बीमारी के हिसाब से मरीजों को पहुंचाने वाले दलालों को निजी क्लीनिक के द्वारा कमीशन दिया जाता है ।सूत्रों की माने तो एक मरीज पर एक हजार से लेकर तीन हजार तक का कमीशन दलालो को निजी क्लीनिक के संचालक के द्वारा दिया जाता है ।सूत्रों की माने तो इन निजी क्लीनिकों की स्वास्थ्य महकमे में अच्छी पैठ है जिसके कारण स्वास्थ्य महकमा इन्हें अनदेखा करता है ।