विश्व रक्तदाता दिवस पर सहयोग ने रक्तदान शिविर लगा किया रक्तदान

ब्लड डोनेशन एक दर्द रहित क्रिया है जो किसी जरूरतमंद की जिंदगी बचा सकती है:डॉ. अजीत

पूर्णियां।

विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर सहयोग अध्यक्ष डॉ अजीत प्र सिंह के द्वारा सहयोग स्वास्थ्य एवं सामाजिक सेवा संस्थान के वालंटियर एवं सदस्यों के साथ मिलकर इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के प्रांगण में रक्तदान शिविर का आयोजन कर रक्तदान किया इस अवसर पर सहयोग अध्यक्ष डॉक्टर आदित्य प्रताप सिंह ने सर्वप्रथम अपना रक्तदान करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। वर्ष 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सुरक्षित रक्त रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं के सुरक्षित जीवन रक्षक रक्त के दान करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आभार व्यक्त करना है।
लोगों में रक्तदान करने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए
रक्तदान करने से शरीर में आयरन का संचय कम हो जाता है और स्वस्थ रक्त चिपचिपापन बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे आपके रक्त के थक्के, दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है। शोध से पता चलता है कि साल में कम से कम एक बार रक्तदान करने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा 88 प्रतिशत तक कम हो सकता है।एक यूनिट में 350 मिलीग्राम खून लिया जाता है, जिसकी कमी शरीर में 24 घंटे में पूरी हो जाती है। बस अच्छी क्वांटिटी में हेल्दी डाइट के साथ फ्रूट, जूस और दूध लेना चाहिए।

खून की एक बूंद किसी की जिंदगी बचा सकती है। खून के बिना बॉडी मांस और हड्डियों से बना सिर्फ एक कंकाल रह जाता है। देश और दुनिया में हजारों लोग खून की कमी के कारण अपनी जान गवां देते हैं। जरूरतमंद को समय पर अगर खून मिल जाए तो किसी की जान को बचाया जा सकता है। हर दिन हजारों लोग सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं और उनका सारा खून बह जाता है, ऐसे मरीजों को अगर समय पर इलाज नहीं मिले और बॉडी में खून की कमी पूरी नहीं हो तो उनकी जान भी जा सकती है।

ब्लड डोनेशन एक दर्द रहित क्रिया है जो किसी जरूरतमंद की जिंदगी बचा सकती है। विश्व भर में इस दिन को मनाने का मकसद सभी को रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि अधिक लोगों की जान बचाई जा सके।
नियमित रक्तदान से हृदय संबंधी स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और जोखिम कम हो सकता है। यह रक्त की चिपचिपाहट को कम करता है और बेहतर रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता है। जब रक्त प्रवाह बेहतर होता है, तो यह रक्त के थक्कों को बनने से रोकता है। यह दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है।
रक्तदान करने से शरीर में किसी तरह की कमजोरी नहीं आती है। जबकि इससे शरीर और स्वस्थ बनता है। डोनेट करने के बाद 24 घंटे में वापस शरीर में उतना ही ब्लड बन जाता है।