इटावा की शालिनी लिंग परिवर्तन कर बन गई शानू

जेंडर डिस्फोरिया के तहत लिंग परिवर्तन के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ता है

सुशील कुमार ब्यूरो चीफ दैनिक समाज जागरण इटावा
इटावा। वैज्ञानिक युग में हर क्षेत्र में तरक्की हो रही है वहीं लिंग परिवर्तन भी इस कड़ी का हिस्सा है। इटावा के सुल्तानपुर ग्राम (नियर आईटीआई) की 28 वर्षीय शालिनी ने लिंग परिवर्तन कर शानू बन गया है।
इससे पहले शालिनी ने जीवन जीने के लिए लिंग परिवर्तन के लिए सर्जरी करवाने की बात अपने परिवार से की तो कुछ असहजता से परिवार ने अपनी प्रतिक्रिया की लेकिन उनके समझाने के प्रयास पर परिवार की सहमति मिल गई।
वर्तमान के नौजवान शानू ने बताया कि जेंडर डिस्फोरिया के तहत बचपन से उसे लड़कों की तरह रहना पसंद था और लड़कों के साथ खेलना समय बिताना अच्छा लगता था। शानू के अनुसार जब उसे जेंडर चेंज सर्जरी के बारे में पता चला तो उसने लिंग परिवर्तन करने का निर्णय लिया और परिवार की सहमति के साथ सहयोग लिया।
हालांकि इस बीच सामाजिक रूप से बीच बीच में तमाम लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिलती रहें लेकिन उसका अपना निर्णय अटल हो चुका था। पूर्व की शालिनी और वर्तमान के नौजवान शालू ने बताया लिंग परिवर्तन के लिए अलग-अलग कई चरणों से गुजरना पड़ता है जिसमें पहली प्रक्रिया साइकोलॉजिकल इवोल्यूशन द्वारा होती है, जिसमें साइकोलॉजिस्ट की अनुमति जरूरी होती है। उसके बाद हार्मोन थेरेपी फिर सर्जरी की प्रक्रिया होती है।
शानू ने बताया कि उसके जीवन में लिंग परिवर्तन के बाद उसका जीवन आत्मविश्वास उत्साह और आनंद से भर गया है, और उसे पहले से बेहतर महसूस होने लगा था। इसीलिए उन्होंने एक बात अवश्य कही जो लोग लिंग परिवर्तन करना चाहते हैं उन्हें हीन दृष्टि से न देखा जाए उनकी भावनाओं और वैचारिक स्वतंत्रता का सम्मान सभी को करना चाहिए,और ऐसे लोगों को समाज में सामान्य रूप से ही अपनाना चाहिए।

विशेषज्ञ की राय

उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैंफई के जनरल सर्जरी विभाग के प्रो०डॉ०सोमेंद्र पाल ने बताया कि जेंडर डायस्फोरिया के लक्षण के कारण अकसर लड़की लड़के की तरह लड़का लड़की की तरह जीना चाहते हैं लेकिन समाज के डर से वह इन बदलावों को बताने से डरते हैं और जब वह अपने जीवन को सामान्य बनाना चाहते हैं तब वह जेंडर चेंज के लिए सर्जरी का फैसला लेते हैं। हालांकि जेंडर चेंज करने वालों को समाज में अलग-अलग नजरिए से देखा जाता है और लोग उनसे कई सवाल भी करते हैं। उन्होंने बताया जेंडर चेंज सर्जरी एक चुनौती पूर्ण काम है इसमें लाखों का खर्च आता है इस सर्जरी को करने से पहले मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है, उसके बाद हार्मोन थेरेपी की जाती है फिर महिला से पुरुष बनने से पहले ब्रेस्ट हटाया जाता है और पुरुष का प्राइवेट पार्ट डेवलप किया जाता है। डॉ०सोमेंद्र ने बताया जेंडर चेंज सर्जरी प्रक्रिया में मनोरोग विशेषज्ञ, सर्जन,गाइनेकोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन भी मौजूद रहते हैं और इस सर्जरी के लिए कम से कम 21 साल से अधिक की उम्र होनी चाहिए।

प्रमाणपत्र में संशोधन में डीएम से लेनी पड़ती है अनुमति

जेंडर बदलने के बाद जेंडर बदलने वाले व्यक्ति के प्रमाण पत्र फिर से बनाए जाते हैं इसके लिए डॉक्टर से लिखित प्रमाण पत्र और डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है फिर आधार कार्ड, पासपोर्ट व अन्य प्रमाण पत्र में नई पहचान दर्ज होती है इसमें नई फोटो के साथ नया नाम भी दर्ज होता है।