श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस में सुदामा चरित्र का हुआ वर्णन

बगहा से नीरज मिश्रा के रिपोर्ट

श्री मद्भागवत कथा के सप्तम दिवश में सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए निराला तिवारी जी ने कहा कि भगवान कृष्ण ने तीन मुठी चावल के बदले सुदामा जी को त्रिलोक की संपत्ति देदी लेकिन लेकिन लेकिन एकबार भी बताया नही की क्या दिया है
भगवान जब भक्त को देते है तो गुप्त रूप से देते है सुदामा जी को भागवतकार ने गरीब कहा लेकिन दरिद्र नही कहा दरिद्र वो है जिसके पास असंतोष हो सुदामा जी तो परम संतोषी है सरीर पे घोती फटी है लेकिन मस्तक पे ब्रह्म तेज है ब्राम्हण को यैसे ही होना चाहिए
भगवान कृष्ण ने सोलह हजार एक शौ आठ विवाह किया लेकिन सबके साथ प्रभु का समान व्यवहार किया और एक सद्गृहथ को कैसा होन्स चाहीए इसकी शिक्षा प्रभु देते है भगवान श्री कृष्ण के परिवार में भी विकार आगया भागवत जी मे वर्णन किया गया यदि भगवत कृपा नही है तो अधिक रूप का होना धन का होना उच्च पद प्रतिष्ठा का होना भी बिकार का कारन होता है निराला तिवारी जी ने भागवत कथा के विश्राम में नाम शंकिर्तन करा के ये बताया कि पूरे भागवत कथा का सार है भगवान का नाम ।