रोक दिया तेजस्वी ने! लालू प्रसाद चाहते तो कब के पैदल हो गये रहते नीतीश कुमार: डा. आर के वर्मा

मधेपुरा।

बहुत लोगों को सिर्फ इतना ही पता है कि नीतीश कुमार गाय‌ पालते हैं. दरबारी और चमचा पालते हैं. बहुत कम लोगों को पता है कि वह बड़ी मात्रा में मुगालता भी पालते हैं. जी, हां. वह इस ऐब को लंबे समय से पाल रहे हैं. यही देखिए न, ताजा मुगालता यह कि बड़े भाई लालू प्रसाद उनकी सरकार गिरा कर बेटे की सरकार बनाना चाह रहे थे. संख्या बल में कमी के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे थे. यह मुगालता ही था. सच यह है कि लालू प्रसाद जिस दिन चाह लेते उनकी सरकार गिरा कर बेटे की सरकार बना देते.

राजद में भी तोड़- फोड़
फार्मूला वही , जिसके तहत नीतीश कुमार ने दूसरे दलों में और यहां तक कि बड़े भाई के दल राजद में भी तोड़ – फोड़ किया था. याद होगा, 2013 में भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने भाजपा और राजद के कुछ विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिलवा दिया था. फिर उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया. कुछ को मंत्री भी बना दिया. राजद में रह रहे रामलषण राम रमण और पूर्व विधायक विजय कुमार मिश्र उन्हीं में थे. रामलषण राम रमण राजद में थे. विजय कुमार मिश्र भाजपा में . दोनों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. विधान परिषद के सदस्य बने थे. रामलषण राम रमण को मंत्री बनाया गया था.

सवा दर्जन विधायक
उस फार्मूला पर जब लालू प्रसाद ने विचार किया, तो नीतीश कुमार के करीब सवा दर्जन विधायक लाइन लग गये. दर्जन भर विधायकों ने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की . तीन ने कहा कि हमें विधान परिषद में भेज दीजिए. लालू प्रसाद मुस्कुराए. अगर 15 विधायक कम हुए तो विधानसभा सदस्यों की संख्या 228 रह जायेगी. सरकार बनाने के लिए सिर्फ 215 विधायक चाहिए. राजद, कांग्रेस और वाम दलों को मिलाकर 114 हैं. एक एमआईएम के हैं. एक निर्दलीय हैं. रही सही कसर विधानसभा अध्यक्ष पूरी कर देंगे.

रोक दिया तेजस्वी ने!
लालू प्रसाद चाहते, तो किसी भी समय इस फार्मूला को लागू कर नीतीश कुमार को पैदल कर देते. लेकिन, इस रास्ते में सबसे बड़ी बाधा खुद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव बन बैठे. उनका कहना रहा कि राजनीति में गद्दारी उनके परिवार की परम्परा नहीं है. उनके पिता यानी राजद अध्यक्ष भी कभी किसी राजनीतिक सहयोगी को धोखा नहीं दिया है. वह राजनीति की शुरुआत कलंक लगा कर नहीं कर सकते हैं. तेजस्वी प्रसाद यादव का कहना है कि अभी राजनीति (Politics) करने के लिए उनके पास चार दशक का समय है. नीतीश कुमार की तरह बुजुर्ग थोड़े हो गये हैं कि हडबड़ी दिखायें।