मिर्जापुर के वरिष्ठ साहित्यकार अधिदर्शक चतुर्वेदी का शनिवार को अंतिम संस्कार नोयेडा में मिर्जापुर में रविवार को अस्थि कलश विसर्जित किया जाएगा

शशि भूषण दूबे कंचनीय यूपी स्टेट ब्यूरो प्रमुख

मिर्जापुर 13 जुलाई ।ग़ाज़ीपुर, ज़मानिया के मूल निवासी श्री अंजनी प्रताप चतुर्वेदी साहित्य जगत में “अधिदर्शक” के उपनाम से जाने जाते रहे हैं! उनका जन्म १८ अगस्त १९४८ को उनके ननिहाल मानसिंहवाला, देहरादून में हुआ! पिताजी स्व. शिवनायक चतुर्वेदी जी आई सी मिर्ज़ापुर में संस्कृत के अध्यापक के तौर पे कार्यरत थे और यही के होके रह गए, फिर अधिदर्शक जी ने भी मिर्ज़ापुर को ही अपनी कर्मस्थली बना लिया!
स्वाभाव में निडरता, बेबाकी और दो टूक संवाद शैली उनको औरों से अलग करती है, एक इंजीनियर के तौर पे अपने शुरूआती दिनों में वो सीमेंट कारपोरेशन डाला, चुर्क और चुनार में कार्यरत रहे लेकिन अपनी स्वच्छ व् बेदाग क्षवि के कारण कुछ अफसरों और नौकरशाहों के आँखों की किरकिरी बने रहे और उनकी जी हुजूरी करने की अपेक्षा उन्होंने अपनी नौकरी तक का त्याग कर दिया लेकिन संघर्ष जारी रहा!
लेखन व् प्रकाशन के क्षेत्र में भी उनका योगदान अमूल्य है. सन १९६१ में दैनिक आज से प्रारम्भ करते हुए जनवार्ता, गांडीव, दैनिक जागरण के माध्यम से उनकी कवितायेँ प्रकाशित होती रही साथ ही दूरदर्शन के माध्यम से भी उनकी कविताओं के प्रसारण होता रहा! सन १९८२ में पत्रकारिता से जुड़ने के बाद उन्होंने साहित्य की जगह धर्म-संस्कृति, राजनीति, उद्योगों व् राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बड़ी ही स्पष्टवादिता के साथ जमकर लिखा, सरकार की कमियों को भी
उजागर करने में पीछे नहीं रहे चाहे शासन किसी का रहा हो, अपनी लेखन में उन्होंने पूरी ईमानदारी का परिचय दिया. सोशल मीडिया में भी बहुत ही सक्रिय और लोकप्रिय अधिदर्शक जी ने फिर से साहित्य की ओर लौटे और ७५ वर्ष की उम्र में सन २०२३ उनका पहला संग्रह “आपके हाथ में गुलाब आये” फिर “दोस्त! आनंद भवन रोता है” हिन्दीश्री पब्लिकेशन के माध्यम से प्रकाशित हुआ पर दुर्भाग्यवश अपना आखिरी संकलन “राम कहानी” हमको सौंप कर जाने की इच्छा अधूरी ही रह गयी!
कैंसर जैसे बीमारी से लड़ते हुए गुरुवार दिनांक ११ जुलाई २०२४(अष्टमी- गुप्त एकादशी) रात १०:४० पर वो इस दुनिया को छोड़कर वो बैकुण्ठवासी हो गए! अपने पुत्र योगेश के निवास (नोएडा) पर उन्होंने अपनी अंतिम श्वास ली जहाँ नोएडा शमशानगृह (अंतिम निवास) में उन्हें मुखाग्नि दी गयी और अंतिम संस्कार किया गया- उनकी अस्थियों का विसर्जन और सारे संस्कार उनके गृहजनपद मिर्ज़ापुर में पुरे किये जायेंगे जो उनकी कर्मभूमि रही है!
स्व चतुर्वेदी की अस्थि कलश लेकर उनके इकलौते बेटे योगेश चतुर्वेदी आज मिर्जापुर स्थिति अपने कर्मभूमि में आ रहे हैं जिनके अस्थि कलश का विसर्जन रविवार को गंगा नदी में विसर्जित किया जाएगा।
स्व श्री चतुर्वेदी 2000 से 2012 तक मिर्जापुर जिले में राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इण्टक के जिला महामंत्री रहे और सदैव शोषितो पीड़ितों के मददगार रहे। वह डाला सीमेंट निगम के इन्जीनियर पद पर कार्यरत रहकर समाज सेवा एवं शोषितो की सेवा हमेशा करते रहे।
स्व चतुर्वेदी के निधन की खबर सुनकर केन्द्रीय मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने उनके निधन पर गहरी सम्वेदना ब्यक्त करते हुए कहा कि वे निर्भिकता और निस्वार्थ हमेशा साहित्य जगत में अविस्मरणीय रहे उनकी रिक्तता मिर्जापुर साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है।
जबकि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद अरूण सिंह ने स्व चतुर्वेदी के वाक पटुता की चर्चा करते हुए एक नेकदिल इंसान बताया है।