पंडित शंभू नाथ शुक्ला के नाम से प्रारंभ नगर पालिका की लाइब्रेरी 40 वर्षों बाद बंद जरूरतमंद लाभ से वंचित । वरुण चटर्जी

अनूपपुर । जिला भगवा पार्टी के जिला महामंत्री वरुण चटर्जी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अनूपपुर जिले की एकमात्र लाइब्रेरी के बंद होने पर कड़ी आपत्ति जताई है एवं जिला प्रशासन से तत्काल प्रारंभ करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि कहते हैं जो शहर जितना ज्यादा शिक्षित होता है उस क्षेत्र का तीव्र गति से विकास होता है।लेकिन दुर्भाग्य है अनूपपुर में नगर पालिका द्वारा संचालित एकमात्र पंडित शंभूनाथ शुक्ला स्मारक लाइब्रेरी लगभग 40 वर्षों बाद बंद हो चुकी है।निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने के कारण अब पूरी तरह से उपेक्षा का शिकार हो चुकी है।
कलेक्टर अनूपपुर द्वारा हाल ही में समय सीमा बैठक में जिला मुख्यालय स्थित नगरपालिका की लाईब्रेरी को पुनः प्रारम्भ करने हेतु भवन का परीक्षण करने के निर्देश दिए गए थे।जिससे लोगों में आशा जगी। लेकिन कब तक इसका क्रियान्वयन हो पाएगा इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई है।
वर्ष 1984 में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष भाई लाल पटेल ने शंकर बाबू की प्रेरणा से जिला आयुर्वेद अस्पताल के बगल से लाइब्रेरी की शुरुआत की थी।जो वर्ष 1988 में थाने के सामने बिल्डिंग में उस समय के प्रमुख सचिव शरतचन्द्र बेहार जी के द्वारा उद्घाटन के पश्चात नयी साज सज्जा के साथ प्रारंभ की गई थी।जहां रामनारायण पांडे को लाइब्रेरियन के तौर पर रखा गया था।वे अपनी सेवानिवृत्ति के पश्चात दो वर्ष और कुल 32 वर्ष की सेवाएं लाइब्रेरी को प्रदान की।वर्तमान परिषद जब से अपने अस्तित्व में आई है तब से लाख प्रयास के बावजूद लाइब्रेरी नहीं खुल पाई।इसके लिए जहां नागरिकों ने प्रयास किया,वहीं प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा तथा नगर के मनीषी चिंतक शंकर बाबू शर्मा द्वारा कलेक्टर को ज्ञापन देकर शुरू करने का निवेदन किया गया।उक्त लाइब्रेरी में जहां बहुमूल्य लगभग 4000 किताबें हैं।वही फर्नीचर,अलमारियां तथा अन्य समान
मिलाकर 10-15 लाख की हैं जो धूल खा रही है।
अनूपपुर शहर में युवावर्ग की पढ़ने तथा कम्पटीशन की तैयारी करने के लिए नगर की एकमात्र पंडित शंभूनाथ शुक्ला स्मारक लाइब्रेरी ही थी।जहां से उसे कम्टीशन की तैयारी करने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध हो जाती थी।शायं 4 बजे से रात्रि 9 बजे तक प्रतिदिन खुलने वाली लाइब्रेरी में गरीब विद्यार्थी को भी मंहगी से मंहगी किताबें और पत्रिकाएं फ्री में पढ़ने को मिल जाती थी।इतना ही नहीं नगर के उम्रदराज व्यक्ति,महिला,किशोर एवं बच्चों के पढ़ने के लिए भी पर्याप्त सामग्री उपलब्ध होती थी।आज भी नगर के लोग यह बात नहीं भूले हैं।यह कहने से काम नहीं चलने वाला है कि मोबाइल के जमाने में पढता कौन है।हमें लोगों में पढ़ने की आदत बनाएं रखनें के लिए लाइब्रेरी का संचालन किसी योग्य व्यक्ति के हाथ में सौंपनी होगी तभी नगर पालिका का उद्देश्य पूरा होगा जिसमें सफाई, स्वास्थ्य और शिक्षा शामिल है ।
नगर पालिका परिषद अनूपपुर के प्रथम अध्यक्ष भाईलाल पटेल,ओम प्रकाश द्विवेदी,प्रेम कुमार त्रिपाठी, पल्लविका पटेल, श्रीमती प्रवीण कुमारी द्विवेदी ,श्रीमती उषा त्रिपाठी, रामखेलावन राठौर के द्वारा संरक्षित व प्रोत्साहित लाइब्रेरी के माध्यम से संपूर्ण जिले के हजारों छात्र-छात्राओं ने समाज में नाम कमाते हुए अच्छी नौकरी एवं प्रतिष्ठा प्राप्त की।उक्त लाइब्रेरी में जहां साहित्य का भंडार है,पुराने नए लेखकों की पुस्तकें पर्याप्त संख्या में है।दूर-दूर तक अपनी खूबियों के लिए पहचानी जाती थी आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।
नगर के साहित्यकार राम नारायण पांडे लाइब्रेरी की अपनी 30 वर्ष की सेवा के उपरांत सेवानिवृत हो गए हैं।
श्री पांडे की व्यक्तिगत रुचि के कारण लाइब्रेरी का उत्तरोत्तर विकास हुआ।सैकड़ों युवक तथा अपना बौद्धिक विकास किया।इतना ही नहीं लाइब्रेरियन के द्वारा महापुरुषों की जयंती या आने वाले विद्वानों के सम्मान में परिचर्चा,गोष्ठीया,पंडित शंभूनाथ शुक्ला की जयंती,साहित्यकारों की जयंती,विभिन्न विषयों पर गोष्ठी, कविता,कहानी,गोष्ठी,मासिक गोष्ठी आयोजित कर नगर तथा जिले में साहित्यिक, सांस्कृतिक प्रभाव बनाए रखना गोष्ठियों के माध्यम से कई नए रचनाकारों का उदय हुआ।
इसके बाद लाइब्रेरी की कमान कर्मचारी को सौंप दी गई जिसके वश में नहीं है कि वह लाइब्रेरी जैसी संस्था का संचालन कर सकें।इसी वजह से पूरी लाइब्रेरी अस्त व्यस्त हो गई।रही सही कसर कोरोना काल ने पूरी कर दी।
ज्ञातव्य हो की लाइब्रेरी दोपहर 4 से 10 बजे तक संचालित होती थी।रविवार को साप्ताहिक अवकाश के अतिरिक्त पूरे साल लाइब्रेरी खुलती थी।हमेशा यह कोशिश होती थी की दोपहर 4 बजे के पहले लाइब्रेरी खुल जाए जिससे स्कूल से छुट्टी होने पर छात्र-छात्राएं आकर पढ़ सकें।प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं भी यहां आकर अपनी पुस्तके लेकर शांत वातावरण में यहां पढ़ाई करते थे।उक्त लाइब्रेरी में जहां बहुमूल्य लगभग 4000 किताबें हैं वही फर्नीचर अलमारियां तथा अन्य समान मिलकर 10-15 लाख की हैं जो धूल खा रही है।
आकस्मिक रूप से लाइब्रेरी बंद हो जाने से नगर के समाचार पत्र-पत्रिका विक्रेताओं के कई लाख रुपए नगर पालिका में डूब गए हैं।जिन समाचार विक्रेताओं के पैसे फंसे हुए हैं उनमें प्रमुख रूप से अरविंद बियानी, चैतन्य मिश्रा, अमित शुक्ला, राजकुमार शुक्ला,राजेश शुक्ला,मनोज शुक्ला एवं बद्री तिवारी शामिल है।इसके अलावा और भी कई फुटकर पत्र विक्रेताओं के पैसे नगर पालिका द्वारा भुगतान नहीं किए गए।जबकि वह बराबर लाइब्रेरी में अपने समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं की सप्लाई करते आए हैं।
जिले के लोकप्रिय कलेक्टर से आग्रह है कि पंडित शंभूनाथ शुक्ला पब्लिक लाइब्रेरी को फिर से प्रारंभ
कराते हुए समाचार पत्रिकाओं के विलों का भुगतान कराने का कष्ट करें।साथ ही लाइब्रेरी को विधिवत शुरू कर शिक्षित बेरोजगार और प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले अभ्यार्थियों को राहत दिलाने का कष्ट करें।

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