फेसबुक पर एक्टिव अध्यक्ष का रियलिटी टेस्ट… राहगीरों के कंठ सूखे, प्याऊ नदारद

जैतहरी।जिले के जैतहरी नगर परिषद में यूं तो बजट है। संभवतः खर्च भी जनहित में किया जा रहा हो लेकिन इस मौसम में नगर परिषद का भीषण गर्मी में जनहित कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है हम बात कर रहे हैं नगर में गर्मी में राहत देने की नियत से हर वर्ष खोले जाने वाले प्याऊ की। जिसकी इस मौसम में दरकार है लेकिन फेसबुक पर एक्टिव रहने वाले एक वोट से जीते अध्यक्ष के पास लगता है कि मानवीय संवेदना से कोई सरोकार नहीं रहा वरना इस तपीस में जनहित कम से कम अध्यक्ष उमंग गुप्ता को तो दिखाई देना चाहिए था। जो नहीं दिखाई दिया। प्याऊ की व्यवस्था नहीं की गयी है।

कथनी करनी में अंतर

अध्यक्ष नगर के प्रथम नागरिक जनप्रतिनिधि के कद में सुशोभित है लेकिन जनता का दर्द समझते तो बेहतर होता। हर वर्ग के व्यक्तियों को पेयजल को भटकते देखा जा रहा है काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है दरअसल दिन के 9 बजे से ही तापमान का पारा चढ़ने लगता है और दोपहर तक तपीस चरम स्थिति में पहुंच जाता है। बीते दिनों से दिन में औसतन पारा 40.42 डिग्री से पार तापमान जा रहा हैणू इस माह में शादी. विवाह का सीजन भी जोरों पर है।वहीं लोग चिलचिलाती धूप में भी साग. सब्जी व फ्ल फूल से लेकर कपड़ा बर्तन आदि खरीदने को मजबूर हैं। भीषण गर्मी के इस दौर में पेयजल की महती आवश्यकता है। बोतलबंद पानी खरीदने की मजबूरीः प्याऊ के अभाव में लोगों को बाजार से पानी खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है। पिछले वर्षों में प्याऊ कीजाती थी। लेकिन इस बार गर्मी ने अपने तेवर मार्च माह से ही दिखाने शुरू कर दिएए जिससे राहगीरों को अब रास्तों में ही प्यास की जरूरत महसूस होने लगीण अप्रैल माह खत्म होने वाला हैण् पारा भी 40 डिग्री के ऊपर पहुंच गया हैए लेकिन अभी तक बाजार क्षेत्र में प्याऊ नहीं खुला है। घर से बाहर निकले लोगों को पानी नहीं मिलने से प्यास बुझाने के लिएराहगीरों को राहत देने नगर परिषद के साथ ही सामाजिक संगठन और विभिन्न संस्थानों द्वारा सड़क के किनारे जगह जगह प्याऊ की व्यवस्था की जाती थी प्याऊ खोले जाने से चिलचिलाती धूप और गर्मी से परेशान राहगीर उपलब्ध प्याऊ पर आकर अपना गला तर कर लेते थे शहर में एक भी प्याऊ की व्यवस्था नहीं की गई है और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। लोगों का कहना है एक वोट से जीते अध्यक्ष की असंवेदनशीलता ही है वरना बीते हर कार्यकाल में तात्कालिक नगर अध्यक्षों ने राज धर्म को बाखूबी निभाया था। जो अब नगर में दिखाई नहीं पढ़ रहा है भीषण गर्मी है नगर में ऐसे लोग भी हैं जो कामगार आसपास इलाके से आते है और बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर हैं। नगर परिषद की लापरवाही है। समय रहते ध्यान देनाचाहिए।हर वर्ष 15 अप्रैल से प्याऊ खोले जाते थे इस वर्ष यह लापरवाही जो बरती गई है अध्यक्ष की मानसिकता बताती है।

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