एक व्यक्ति, एक वृक्ष श्रेष्ठ शुभ संकल्प एवं समर्पण भाव से अवश्य लगाएं : धीरेंद्र दुबे
समाज जागरण संवाददाता विवेक देशमुख
बिलासपुर। 1 एकड़ वृक्षारोपण से 6 टन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित होता है एवं 4 टन ऑक्सीजन हमें प्राप्त होता है। एक वृक्ष 64 लीटर पानी संरक्षित करता है। वर्तमान समय हमारा भू-जल 4 मीटर नीचे चला गया है इसका सीधा संबंध वृक्ष से है अतः एक व्यक्ति, एक वृक्ष श्रेष्ठ शुभ संकल्प एवं समर्पण भाव से अवश्य लगाएं। उक्त विचार माननीय धीरेंद्र दुबे जी (भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष) ने ब्रह्माकुमारी, ओम शांति सरोवर, उसलापुर के प्रांगण में 75 वीं आजादी के अमृत महोत्सव पर 50वां विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित “वृक्षारोपण एवं कल्पतरूह प्रोजेक्ट” के उद्घाटन कार्यक्रम । उन्होंने आगे कहा कि मानवीय दैनिक जीवन में जल, ऑक्सीजन, अनाज, कपड़े, धन, वाहन इत्यादि के अलावा वृक्ष भी अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह आने वाली पीढ़ी के लिए हम बहुत सी चीजें एकत्रित करते हैं उसी प्रकार बच्चों के भविष्य के लिए पर्यावरण संरक्षित होना चाहिए और इसके लिए वृक्षारोपण आवश्यक है। कोरोना काल में जिस तरह ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु दर में वृद्धि हुई इससे सिद्ध होता है कि वृक्षों को काटने से आने वाली पीढ़ी को अत्यंत नुकसान होगा। दैनिक जीवन में जब हम मॉर्निंग वॉक में जाते हैं तो वहां लगे पेड़ पौधों पर प्रतिदिन एक बोतल पानी अवश्य डालें तो आत्म संतुष्टि मिलेगी। औपचारिक वृक्षारोपण ना करें वृक्षों को बढ़ने तक संभालकर देखभाल भी करें।
माननीय भ्राता श्री अशोक ऋषि जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 1960 में बिलासपुर काफी हरा भरा था। लेकिन मनुष्य अपने भौतिक और दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पेड़ पौधों को काटता गया, जिससे तापमान में वृद्धि होती गई।
हमारे भारत की हजारों साल की संस्कृति को बनाए रखना हमारा फर्ज है और इसके लिए विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर हमें पेड़ पौधे लगाने चाहिए और उसका संरक्षण भी करना चाहिए एवं ऐसी संस्थाओं के द्वारा जागरूकता अभियान कार्यक्रम भी आयोजित करने चाहिए। यदि वृक्ष लगाने की जगह नहीं है तो गमले में तुलसी, पालक, मेथी…….. इत्यादि के पौधे लगाएं। एक वृक्ष लगाएंगे तो हजार गुना फल हमें प्राप्त होगा।
माननीय श्रीमती सुषमा ऋषि जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें अपनी सोच को बदलना होगा जिससे हम स्वस्थ रहेंगे हमारे विचारों का प्रभाव हमारे शरीर पर भी पड़ता है। हम अपनी सोच से हर चीजों को बदल सकते हैं। हमारी सोच से प्रदूषित प्रकृति भी प्रदूषण रहित हो जाएगी।
बीके छाया दीदी (उसलापुर, सेवा केंद्र मुख्य संचालिका) ने विश्व पर्यावरण दिवस पर अपने उद्बोधन में कहा कि प्रकृति परमात्मा की रचना है। यह संपूर्ण सृष्टि कल्प वृक्ष की भांति हैं, जिसका बीज स्वयं परमपिता परमात्मा निराकार शिव है एवं हम मनुष्य आत्माएं उसके पत्ते हैं। जब हम पवित्र थे तो संपूर्ण प्रकृति पवित्र थी, संतुलित थी, सुखदाई थी। आज मनुष्य आत्माओं ने प्रकृति का दुरुपयोग करके उसे प्रदूषित कर दिया है। प्रदूषण दो प्रकार के होते हैं- पहला बाहरी प्रदूषण जो वृक्षों की कटाई, रासायनिक पदार्थों, कीटनाशकों आदि के प्रयोग से होता है। दूसरा आंतरिक या मानसिक प्रदूषण अर्थात नकारात्मक संकल्प, बोल एवं कर्म के कारण बढ़ता हुआ प्रदूषण। प्रदूषित प्रकृति का विनाशकारी रूप हम देख रहे हैं। अब स्व परिवर्तन से सारी प्रकृति को परिवर्तन करने का कार्य हमें करना है। हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना हुआ है एक तत्व के बिना भी हमारा जीवन संभव नहीं है। अतः प्रकृति का सम्मान करें, उसे नुकसान ना पहुंचाएं। ऋषि-मुनियों ने भी प्रकृति को देव तुल्य कहां है- वायु देव, अग्नि देव, धरती माता। प्रकृति हमेशा देने का कार्य करती है लेकिन हमसे कुछ लेती नहीं। प्रकृति हमारे विचारों को रिसीव करती है इसलिए पौधों को बहुत प्यार से लगाएं, उनकी देखभाल करें और उन्हें अच्छे वाइब्रेशन दें। प्रकृति के पांच तत्वों को संतुलित करने के लिए वृक्षारोपण के साथ- साथ श्रेष्ठ विचारों व श्रेष्ठ कर्मों का बीजारोपण अवश्य करें। जिससे संपूर्ण विश्व अपने सतोप्रधान अवस्था में आ जाए। इसलिए 1जून से 5 जून तक विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर ब्रह्माकुमारी, ओम शांति, सरोवर उसलापुर के तत्वाधान में प्रकृति के प्रति विशेष शुभ संकल्पों एवं परमात्म शक्तियों का संगठित रूप में योगदान दिया गया।
आगे उन्होंने कल्पतरुह अभियान की सविस्तार जानकारी देते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित कल्पतरु एक प्रमुख वृक्षारोपण परियोजना है जो मनुष्य को उनकी पर्यावरणीय जिम्मेदारी को समझने के लिए प्रोत्साहित करती है जो कि पृथ्वी की देखभाल करना है जो हमारी सभी व्यक्तिगत जरूरतों को पूर्ण करती है। 5 जून 2022 और 25 अगस्त 2022 के बीच भारत भर में प्रत्येक ब्रह्माकुमारीज केंद्र भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष में 75 पौधे लगाने के लिए कम से कम 75 लोगों को प्रोत्साहित करेगा। इस परियोजना के माध्यम से हम कुल मिलाकर 40 लाख लोगों को 40 लाख पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे इस सिद्धांत के साथ ही एक व्यक्ति एक पौधा लगाएं उसकी देखभाल करेगा। इस परियोजना के तहत लगाए गए प्रत्येक पौधे को कल्प तरुह मोबाइल ऐप पर पंजीकृत (रजिस्ट्रेशन) किया जाएगा। इस मोबाइल ऐप के माध्यम से शांति, प्रेम, सहनशीलता, नम्रता और करुणा इन दिव्य गुणों से संबंधित हम नियमित रूप से रचनात्मक गतिविधियां, लघु कथाएं, मेडिटेशन कमेंट्रीज और टिप्पणियां प्रदान करेंगे। पौधे को बनाए रखने के लिए सुझाव और तकनीक भी दिए गए हैं।
बीके डॉक्टर सीमा जयसवाल (होम्योपैथिक डॉक्टर) ने कहा कि पर्यावरण अर्थात प्रकृति का आवरण! मनुष्य के जीवन यापन के लिए आवश्यक चीजें हमें प्रकृति द्वारा प्राप्त होती है पेड़ पौधों के संरक्षण के अलावा प्रकृति प्रदत जो भी आवश्यक चीजें हैं उसका संरक्षण आवश्यक है एवं पशु, पक्षी, पर्वत, जल, वायु, धरती इत्यादि का भी हमें संरक्षण करना चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन करके किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि माननीय भ्राता श्री धीरेंद्र दुबे जी (भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष), माननीय भ्राता श्री अशोक ऋषि जी (बिजनेस मैन एवं वरिष्ठ सोशल वर्कर), माननीय श्रीमती सुशमा ऋषि जी एवं बीके छाया दीदी (उसलापुर सेवा केंद्र संचालिका) आदि उपस्थित थे। यह कार्यक्रम ब्रह्मा कुमारीज संस्था के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग (मुख्यालय माउंट आबू, राजस्थान) के द्वारा आयोजित किया गया है। कार्यक्रम में 50 से अधिक वृक्षों का वृक्षारोपण किया गया। जिसमें मुख्य आम, अमरुद, नारियल, लीची, चीकू, पपीता, कटहल, केला, अनार, मुनगा, कदम, बादाम, श्री आमला के वृक्ष लगाए गए। वृक्षों के संरक्षण हेतु सभी ने प्रतिज्ञा भी की। 25 अगस्त 2022 तक कई अन्य जगहों में भी 75 से अधिक वृक्ष लगाने का संकल्प सेवा केंद्र द्वारा किया गया है।
कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन बीके कविता बहन द्वारा किया गया, अतिथियों का तिलक व पुष्प गुच्छ द्वारा स्वागत बीके सरिता बहन एवं बीके गरिमा बहन द्वारा किया गया।