वट सावित्री पूजन को लेकर बाजारों में सुहागिन महिलाओं की चहल-पहल*

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दैनिक समाज जागरण
ब्यूरो उमाकांत साह
बांका/ चांदन: हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सुहागिन महिलाओं की अखंड सौभाग्य वती का महापर्व 20 मई 2023 शुक्रवार को मनाया जाएगा. विदित हो कि यह पर्व जेष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। ज्ञात हो कि हिंदू धर्म में महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखती है ।हर साल जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आता है इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती के लिए व्रत रखती है। व्रत के पूर्व यानी गुरुवार को जिले के विभिन्न बाज़ार चांदन, कटोरिया, सुइया, भैरोगंज, लालपुर सहित गांव कस्बों के लोगों ने खूब खरीदारी करते दिखे ‌।

वहीं सुहागिन महिलाएं बांस से बनी पंखा, नारियल,फल,सोलह शिंगार,नये नये कपड़े एवं इस व्रत को करने वाले पूजन सामग्री की खुब खरीददारी करते देखा गया। जहां दिनभर बाजारों में चहल कदमी बनी रही। वहीं इस साल वट सावित्री पूजन के लिए बांस पंखा की कीमत 20-₹30 में बिका जबकि नारियल प्रति पीस 30/40 कैला 40-50रु दर्जन,खीरा 60रु,आम 60-100रु,सेव 150-200 रुपया के भाव में बिका। मान्यता है कि सोहगिन महिलाएं इस व्रत को रखने से अपने पति को दिर्घायु के लिए कामना करती हैं। इसलिए आज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए वक्त वृक्ष और यम देव की पूजा करती है। इस ग्रुप में कुछ महिलाएं फलाहार का सेवन करती है तो कुछ महिलाएं निर्जला उपवास ही रखती हैं।

बट सावित्री पुजन में वट वृक्ष बरगद का पेड़ और सावित्री दोनों का विशेष महत्व है इस दिन महिलाएं सुबह स्नान कर नए वस्त्र और सोलह सिंगार से सज धज कर तैयार होती है इसके बाद बरगद के पेड़ के नीचे सामूहिक रूप से सभी सुहागिन महिलाएं एकत्रित होकर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पूजा करती है। शास्त्रों के अनुसार वट में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवों का वास होता है। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन व्रत कथा सुनने से मनोकामना पूर्ण होती है। वटवृक्ष अपनी लंबी आयु के लिए भी प्रसिद्ध है। इसलिए इस वृक्ष को अक्षय वट के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत के दौरान सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ों के नीचे बैठकर पूजन करने के पश्चात कच्चे धागे से (मौली सुत्र) 12 बार परिक्रमा कर पति की लंबी आयु के लिए पेड़ को बांधते हैं, और सुहागिन महिलाएं अपने पति चंदन तिलक लगाकर उसी बांस के पंखे से बड़े प्यार से हवा देकर व्रत तोड़ती है। फिर प्रसाद वितरण करते हुए खुद प्रसाद ग्रहण करतीं हैं। साथ ही पूजन समाप्ति के बाद दिनभर बरगद के पत्ते को अपने बालों में लगाकर रखते हैं।