आखिर किसकी कृपा से सीनियरों के कार्यों और अधिकार क्षेत्र में हावी कानपुर नगर निगम का एई ?

सुनील बाजपेई
कानपुर। आजकल यहां नगर निगम का एक एई यानी सहायक अभियंता चर्चा में है ,क्योंकि जितना काम करने वाला ,काम को जानने वाला और अपने साथ जितना उनके हित में काम करने वाला यह सहायक अभियंता (एई ) है, उतना कोई भी अन्य सीनियर अधिकारी अभियंता आदि भी कदापि नहीं। इस चर्चित एई के समर्थक सूत्रों के मुताबिक यह नगर निगम का दुर्भाग्य कि इस एई यानी सहायक अभियंता के ‘गुणों’ को और उसकी ‘काबिलियत’ को बहुत देर से पहचाना गया। अगर उसकी इस काबिलियत उसकी इस योग्यता, उसकी इस कार्य दक्षता और इसी के साथ उसकी ईमानदारी को कानपुर में नियुक्ति यानी लगभग डेढ़ साल पहले पहचान लिया गया होता तो लाभ के हालात उनके पक्ष में और भी अच्छे होते जिन्होंने उसकी काबिलियत को अब पहचाना है।
समर्थक सूत्रों के मुताबिक इस सहायक अभियंता की विशेषताओं को पहचानने का श्रेय मुख्य रूप से एक बड़े नेता को ही जाता है। यह उनकी महानता है जो कि उन्होंने समय रहते इस ऐई की विशेषताओं को ना केवल पहचान लिया बल्कि नगर निगम का जो अधिकारी सक्षम है। उनसे इस एई को जोन के साथ ही मुख्य अभियंता का काम, पर्यावरण का काम ,सी एम ग्रिड का काम ,ए टू जेड प्लान का काम, स्मार्ट सिटी का काम, उद्यान अधिकारी का काम। यहां तक कि लगभग डेढ़ सौ करोड रुपए वाले 15 वें वित्त आयोग का भी काम इसी एई मतलब सहायक अभियंता के हवाले करवा दिया। जिसके बाद उसकी चर्चा के सूर्य का प्रकाश सर्वत्र नजर आ रहा है। वह भगवान सूर्य ,जिन्हें दिवाकर,भास्कर भी कहते हैं। नगर निगम के भरोसे मंद सूत्रों के मुताबिक उपरोक्त जितने भी महत्वपूर्ण कार्य इस जूनियर अधिकारी अस्सिटेंट इंजीनियर के हवाले किए गए हैं ,उससे प्रभावशाली नेता ने
यह साबित कर दिया है कि अपने को प्रमुख सचिव का खास बताने और बड़े अधिकारियों को ठेंगे पर रखने के लिए भी चर्चित इस ए ई को छोड़कर बाकी सीनियर इंजीनियर अयोग्य और बेईमान है।
इस ए ई के भरोसे मंद सूत्रों की नजर में यही वजह है कि एक आध को छोड़कर अधिकांश सीनियर अभियंता खाली बैठे हैं। सूत्रों के मुताबिक यह बात दीगर है कि आरके सिंह जैसे अभियंता हल्के फुल्के भाग्यशाली भी माने जा रहे हैं क्योंकि उनके पास केवल जॉन 6 का चार्ज है। इस तरह से उद्यान अधिकारी कृपा शंकर पाण्डेय पांडे के पास पदनाम तो है लेकिन वास्तविक रूप से उद्यान विभाग के काम पर कब्जा इस सहायक अभियंता यानी ए ई के पास बताया जाता है। अब जहां तक इस चर्चित सहायक अभियंता एई की उपलब्धियां का सवाल है। पर्यावरण और ए टू जेड का क्या हाल है ? जिससे अब तक समाप्त हो जाना चाहिए था, 15 वें वित्त आयोग के डेढ़ सौ करोड़ रुपये से अधिक बताए जाने वाले सीएम ग्रेड के कार्य अब तक शुरू हुए या नहीं ? अगर नहीं शुरू हुए तो क्यों और किस वजह से नहीं ? इन सब महत्वपूर्ण कार्यों का प्रभारी किसी जूनियर इंजीनियर को होना चाहिए या सीनियर को ? कुल मिलाकर यह अधिकारी भले ही जूनियर है लेकिन उसके आगे लगभग सारे सीनियर अधिकारी फेल हैं ,क्योंकि जितना अधिक प्रभावशाली यह सहायक अभियंता यानी एई है, उतना नगर निगम का कोई अन्य सीनियर अधिकारी भी नहीं। अगर आपको ठेका लेना है तो आप भगवान सूर्य को जल अर्पित करने के साथ ही उनके पर्यायवाची नाम दिवाकर भास्कर और बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया का जाप करते हुए इस चर्चित एई की ‘शर्त’ पूरी कर दीजिए आपको मनचाहा लाभदायक ठेका भी अवश्य मिल जाएगा। और अगर यकीन ना हो तो जिनको ठेका मिल गया है या फिर मिल जाता है। इस ए ई के उन चहेते लोगों से पूछ लीजिए। कर्मचारी नेता अनिल कुमार, रामनारायण समुद्रे अनिल कुमार, समाजसेवी राजन तिवारी और आशीष मिश्रा आदि ने भी इस चर्चित ए ई से संबंधित उपरोक्त जानकारी की सत्यता की पुष्टि भरोसेमंद सूत्रों से बातचीत में करते हुए उसकी आय से अधिक लाखों करोड़ों की बताई जाने वाली चल – अचल ,नामी और बेनामी संपत्ति की जांच कराए जाने की भी मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। लेकिन प्रभावशाली नेताओं और अधिकारियों से मजबूत गठजोड़ के चलते इस ए ई के खिलाफ क्या वास्तव में कोई कुछ कर पाएगा। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

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