सेक्टर-आई एलडीए कॉलोनी में बड़ा मंगल आयोजन अभिनंदन समिति की बैठक सम्पन्न
लखनऊ। सनातन परंपराओं में शामिल बड़ा मंगल अब केवल एक धार्मिक आयोजन न रहकर समाज सेवा, सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का भी प्रतीक बनता जा रहा है। इसी क्रम में आज एलडीए कॉलोनी, सेक्टर-आई स्थित एक सभागार में “बड़ा मंगल आयोजन अभिनंदन समिति” की एक महत्वपूर्ण बैठक मुक्तिनाथ सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, जिसमें लखनऊ दक्षिण क्षेत्र में भव्य भंडारों के आयोजकों को सम्मानित करने के लिए भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श हुआ।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि लखनऊ दक्षिण क्षेत्र के उन सभी आदर्श भंडारा आयोजकों को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने बड़ा मंगल के दिन जनसेवा को सर्वोपरि मानते हुए नि:स्वार्थ भाव से भंडारों का आयोजन किया। यह सम्मान समारोह, न केवल उनके प्रयासों की सराहना होगी, बल्कि अन्य आयोजकों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनेगा।
सम्मान समारोह का स्वरूप तय किया गया, जिसमें धार्मिक, सामाजिक और प्रशासनिक प्रतिनिधियों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्य आयोजकों के नामों पर चर्चा कर संभावित सूची तैयार की गई, जिसे अंतिम रूप अगले सप्ताह तक दिया जाएगा।
सम्मेलन में सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न और मंचीय अभिनंदन की व्यवस्था की जाएगी।
इस बैठक में समिति के प्रमुख पदाधिकारी व सदस्यगण मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख रूप से मुक्तिनाथ सिंह, सुरेश सिंह, विपिन शर्मा, शिखर त्रिवेदी, नवल किशोर पाण्डेय आदि गणमान्यजन शामिल रहे।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे समिति के संयोजक प्रो. रामकुमार तिवारी ने बताया कि यह अभिनंदन समारोह “मंगलमय अभियान” का एक हिस्सा है, जिसके अंतर्गत लखनऊ भर के भंडारा आयोजकों को एक मंच पर लाने का प्रयास हो रहा है। उनका उद्देश्य है कि बड़ा मंगल केवल धार्मिक आस्था का उत्सव न होकर संगठित सामाजिक भागीदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण बने।
उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में इस आयोजन को और अधिक व्यापक और संस्थागत स्वरूप देने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे, जिससे इसकी लोकप्रियता, परंपरा और प्रभाव को नई ऊँचाइयाँ मिल सकें।
बैठक में यह भी तय किया गया कि अगले कुछ दिनों में आयोजन की तिथि, स्थान और विशिष्ट अतिथियों की घोषणा की जाएगी। साथ ही आयोजकों की अंतिम सूची तैयार कर उन्हें आमंत्रण भेजे जाएंगे।
इस तरह की सामाजिक पहल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A(g) “प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना तथा जीवित प्राणियों के प्रति करुणा का भाव रखना” — से जुड़ती है। साथ ही यह संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना के अंतर्गत आते हुए विविध आस्थाओं और समुदायों के बीच सद्भाव, सेवा और सहभागिता का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
इस अभिनव पहल से यह स्पष्ट है कि बड़ा मंगल की परंपरा अब सिर्फ आस्था तक सीमित नहीं, बल्कि समाज निर्माण के एक सशक्त मंच में बदल रही है, जहाँ जनभागीदारी और जनकल्याण को प्राथमिकता दी जा रही है।
