‘राजनीति में कुछ भी हो सकता है’: क्या तेलंगाना में भाजपा और बीआरएस के बीच गठबंधन या विलय की संभावना है?

समाज जागरण

‘राजनीति में कुछ भी हो सकता है’: किसी भी संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता है। तेलंगाना मे राजनीतिक उठा पटक ने एक सवाल खड़ा किया है। क्या तेलंगाना में भाजपा और बीआरएस के बीच गठबंधन या विलय की संभावना है? नेताओं ने कहा है कि संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता है। फिलहाल बीजेपी और बीआरएस के बीच बातचीत शुरू हो गई है।

लगातार बीआरएस के नेताओं के द्वारा पार्टी छोड़कर कांग्रेस मे शामिल होने की होड़ लगी हुई है। ऐसे मे पार्टी को चिंता है कि कही कांग्रेस पार्टी को ही खत्म कर दे। पार्टी के नेता ने प्रकाश गौड़ तिरुमाला में विशेष पूजा-अर्चना करने के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के आवास पर उनकी मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए।

रेवंत और प्रकाश गौड़ टीडीपी में रहने के दौरान से ही पुराने दोस्त हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल होने से पहले प्रकाश गौड़ ने दो मौकों पर मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री से दूसरी मुलाकात के बाद उन्होंने बीआरएस में अपने समर्थकों के साथ बैठक की और उनसे कहा कि वह अपनी वफादारी नहीं बदलेंगे।

हालांकि, अपने वादे से मुकर गए और उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने वाले सात अन्य विधायकों के नक्शेकदम पर चलते हुए यह फैसला लिया। इससे पहले दिन में तिरुपति में मीडिया से बात करते हुए प्रकाश गौड़ ने कहा कि उन्होंने तेलंगाना के लोगों, खासकर किसानों के हित में यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि बीआरएस छोड़ने के लिए उन पर कोई बाहरी दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि कई अन्य बीआरएस नेता भी कांग्रेस में अपनी वफादारी बदलने में रुचि दिखा रहे हैं।

राज्य में भाजपा की ताकत बढ़ने और बीआरएस के घटने के, कारण भी दल बदल की स्थिति बढ़ोतरी हो सकते हैं, जिनके कारण दोनों दलों को अपने बीच कोई साझा आधार तलाशने पर मजबूर होना पड़ा। तेलंगाना में भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच गठबंधन की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।

एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत शुरू हो गई है। जैसा कि इंडियन एक्सप्रेस ने बताया, राज्य में भाजपा की ताकत बढ़ने और बीआरएस के घटने के साथ, ये वे कारण हो सकते हैं, जिनके कारण दोनों दलों को अपने बीच कोई साझा आधार तलाशने पर मजबूर होना पड़ा। रिपोर्ट में बताया गया है कि भाजपा के कुछ नेता गठबंधन चाहते हैं, जबकि अन्य ने भाजपा के भीतर बीआरएस के पूर्ण विलय का आह्वान किया है। हालांकि, भाजपा के भीतर कुछ ऐसे भी नेता हैं, जो बीआरएस के साथ कोई गठबंधन नहीं चाहते, क्योंकि उन्हें लगता है कि विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन और लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण हार के बाद बीआरएस के नेतृत्व की साख खराब हो गई है।

हाल ही में, चुनावी हार के बाद, बीआरएस को सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल होने वाले अपने नेताओं के बड़े पैमाने पर पलायन का सामना करना पड़ रहा है, जबकि इसके प्रमुख के चंद्रशेखर राव (केसीआर) जो कि बीमार होने के कारण आम जनता की नज़रों से काफ़ी हद तक गायब रहे हैं।

समाचार रिपोर्ट के अनुसार, बीआरएस इस बात को लेकर भी चिंतित है कि राज्य की कांग्रेस सरकार उसके नेताओं के खिलाफ़ मामले दर्ज कर सकती है। और इससे भी बदतर यह है कि संकटग्रस्त पार्टी केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में है, केसीआर की बेटी और विधायक के कविता दिल्ली में चल रहे शराब घोटाले के लिए जेल में हैं।

समाचार रिपोर्ट के अनुसार, बीआरएस नेता बी विनोद कुमार से जब पूछा गया, तो उन्होंने गठबंधन या विलय की किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया। उन्होने कहा कि “हमारी पार्टी के अधिकांश नेता लोकतांत्रिक और प्रगतिशील हैं। और तेलंगाना एक ऐसा राज्य है जिसने आजादी के पहले के दिनों से ही संघर्ष देखा है… वैसे भी चुनाव बहुत दूर हैं,” पार्टी ने पिछले दिनो कांग्रेस के द्वारा लगातार पार्टी तोड़ने को लेकर राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। इसके साथ ही पार्टी ने कोर्ट जाने की संभावना भी तलाश रही है जिससे की दल बदल को रोका जा सके।

इंडियन एक्सप्रेस ने वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा। कि विनोद कुमार ने कहा, “राजनीति में कुछ भी हो सकता है, और किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।” हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में, बीआरएस, जो कभी नए बने राज्य में प्रमुख पार्टी थी, एक भी सीट नहीं जीत पाई। कांग्रेस और भाजपा ने 8-8 सीटें जीती थीं। यह भी एक कारण है कि कांग्रेस पार्टी मे भगदड़ मची हुई है। पार्टी बीआरएस से बीजेपी बनेगा या फिर बीआरएस एनडीए का हिस्सा होगा। फिलहाल इस गठबंधन से भी भारतीय जनता पार्टी को भी कोई ज्यादा नफा नुकासन नही उम्मीद नही है।