क्या विंध्य से हो सकता है भाजपा प्रदेश का नया मुखिया?

दैनिक समाज जागरण
विजय तिवारी
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव पहले बूथ,मंडल, चुनाव संपन्न हो चुके हैं जिला अध्यक्ष पद के लिए भी सूची जारी होने वाली है ।प्रदेश एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना निश्चित हो चुका है। जानकारी के अनुसार 15 जनवरी के अंदर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का भी चुनाव होना है। पिछले पदाधिकारी का लगभग 5 साल का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है । इसी बीच पूरे प्रदेश में भाजपा के संगठन का नया मुखिया चुने जाने की सुगबुगाहट तेज हो चुकी है। पूरे प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर तमाम गुट के वरिष्ठ नेता अपने अपने चहेतो के लिये दाव पैंच लगा रहें हैं । यह आम कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का माहौल बना हुआ है मध्य प्रदेश के सभी दिग्गज अपने-अपने आकाओ के चक्कर लगाने भोपाल से दिल्ली तक का सफर प्रारंभ कर चुके हैं इस बीच विंध्य क्षेत्र में यह चर्चा है कि क्या पहली बार प्रदेश अध्यक्ष की कमान विंध्य को मिल सकती है? अगर यह बात सही होती है तो उसमें सबसे पहला नाम मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का है जो की पिछले पांच कार्यकाल से विधायक व मंत्री के पद पर रहे हैं राजेंद्र शुक्ला सरल,सौम्य छवि के नेता माने जाते हैं अगर प्रदेश में जातिगत समीकरण को बैठने के लिए ब्राह्मण चेहरे को पुनः प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है तो इनमें शुक्ला का नाम सबसे वरीयता में माना जा रहा है। राजेंद्र शुक्ला अपने मंत्री कार्यकाल में विंध्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करते रहे हैं जिससे पूरे प्रदेश में उनके कार्य प्रणाली के विषय में चर्चा होते रहती है। बीच में शुक्ला जी का दिल्ली दौरा कई बार हुआ उससे यह प्रयास लगाया जा रहा है कि इस बार उनका नाम लगभग तय हो सकता है अगला नाम पार्टी के कद्दावर नेता आदिवासी चेहरा पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम भी काफी तेजी से लिया जा रहा है फगन सिंह कुलस्ते स्वर्गीय अटल बिहारी जी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं पूर्व में भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं और पूरे देश में बहुत बड़ा आदिवासी चेहरा माने जाते हैं उनके नाम को लेकर चुनाव के समय यह चर्चा थी कि विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद इन्हें मुख्यमंत्री पद भी दिया जा सकता था पर दुर्भाग्य से कुलस्ते विधानसभा चुनाव हार गए किंतु प्रदेश अध्यक्ष की रेस में यह भी काफी आगे चल रहे हैं। मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग होने के उपरांत लगभग 24 सालों से आदिवासी वर्ग से प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। आदिवासी चेहरों में समर सिंह सोलंकी का नाम भी चर्चाओं में है ।भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक व मंत्री भूपेंद्र सिंह दांगी सागर क्षेत्र से आते हैं और पार्टी का पिछड़ा चेहरा माने जाते हैं। भूपेंद्र सिंह पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के काफी करीबी माने जाते हैं और चर्चा यह भी है कि अगर शिवराज सिंह चौहान की चली तो भूपेंद्र सिंह का नाम लगभग प्रदेश अध्यक्ष के पद पर फाइनल हों जाएगा कुछ दिन पूर्व ही इन्होंने संगठन से अपनी नाराजगी भी व्यक्त की थी और सार्वजनिक कार्यक्रम से मंच को छोड़कर चले गए थे। ऐसा भी हो सकता है कि इन्हें नाराजगी दूर करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष का पद दे दिया जाए क्योंकि इन्हें मंत्री भी नहीं बनाया गया है। अन्य नाम में नरोत्तम मिश्रा का नाम भी आ सकता है जो की पूर्व में मंत्री रह चुके हैं और अपनी बेबाक बात के लिए भी जाने जाते हैं दुर्भाग्यवस इस बार विधानसभा चुनाव हार जाने के कारण मंत्री पद पर नहीं पहुंच पाए किंतु हारने के बाद भी उनकी सक्रियता बनी रही एवं लोकसभा चुनाव के पूर्व दूसरी पार्टी से नेताओं को भाजपा ज्वाइन करने के लिए इन्हें पूरे प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था। प्रदेश अध्यक्ष की रेस में चंबल से अरविंद सिंह भदोरिया का भी नाम आ सकता है भदोरिया विद्यार्थी परिषद के जमाने से छात्र राजनीति मैं सक्रिय रहे हैं पूर्व में प्रदेश उपाध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
प्रदेश अध्यक्ष की रेस में आ सकते हैं अप्रत्याशित नाम
भारतीय जनता पार्टी अपने चौंकाने वाले निर्णय के लिए सदैव जानी जाती रही है जैसे विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश के दिग्गज नेताओं को केंद्र की राजनीति से वापस लाकर विधानसभा चुनाव लड़कर प्रदेश में मंत्री बना दिया गया और मुख्यमंत्री पद के लिए भी अप्रत्याशित नाम डॉ मोहन यादव का लाया गया था इसी प्रकार अगर प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, गोपाल भार्गव, राकेश सिंह का भी नाम आ जाए तो यह निर्णय अप्रत्याशित नहीं लग सकता है।
ब्राह्मण एवं क्षत्रिय वर्ग का रहा दबदबा
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण एवं क्षत्रिय वर्ग का ही दबदबा रहा है और छह बार ब्राह्मण एवं पांच बार क्षत्रिय वर्ग से भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है हालांकि 9 महीना के लिए अनुसूचित जाति वर्ग से सत्यनारायण जटिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।

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