संवाददाता/ शिव प्रताप सिंह। दैनिक समाज जागरण
ओबरा/ सोनभद्र। ओबरा अपने पावर प्लांट के लिए ज़माने भर में फेमस है। ओबरा नगर पंचायत में बोर्ड द्वारा सीएसआर फंड से भी तमाम निर्माण कार्य कराए जाते हैं। इसीलिए बहुत से कार्य ऐसे भी कराये जा रहे हैं जिसे एक ही वक़्त में ओबरा पावर प्लांट भी दावा करता है कि इसे हमने कराया है और ओबरा नगर पंचायत भी। आखिर एक ही काम को एक ही समय में दो दो संस्थानों द्वारा कैसे कराया जा सकता है। लेकिन इस पर जिम्मेदार अधिकारी मौन धारण किये रहते हैं। जांच के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया जाता है। ओबरा नगर पंचायत अंतर्गत तापीय परियोजना के चिल्ड्रेन पार्क में निर्माण कार्य में चल रहा भ्रष्टाचार चर्चा का विषय बना हुआ है।
मौके पर निर्माण कार्य में भस्सी से हो रही है जोड़ाई। ऐसे में मानक विहीन निर्माण कार्य को अंजाम देकर लाखों रूपए के बन्दर बांट की साज़िश रची जा रही है। नियम को ताक पर रखकर निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जबकि यह सार्वजनिक पार्क बच्चों के मनोरंजन हेतु बनाया गया है। अगर इस चिल्ड्रेन पार्क में गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं होगा तो इससे खतरा भी बना रहेगा। निर्माण कार्य के दौरान घटिया किस्म के मैटेरियल का उपयोग किया जा रहा है। जिसपर जिम्मेदार विभाग को जांचकर गुणवत्तापूर्ण कार्य करवाया जाना चाहिए। ताकि पार्क सुंदर और कार्य टिकाऊ नज़र आये। ज़िम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते ही निर्माण कार्य सिर्फ कामचलाऊ बनाया जा रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि नगर पंचायत से मात्र सौ मीटर के दूरी पर है यह पार्क। इसके बाद भी घटिया निर्माण कार्य ऊपर से नीचे तक भृष्टाचार में संलिप्तता को उजागर कर रहा है।
जिम्मेदार लोग मलाई काटने में मस्त किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है कि कार्य कैसा होना चाहिए। आखिर खुलेआम मानक विहीन घटिया निर्माण कैसे कराया जा सकता है।
जबकि उत्तर प्रदेश में ईमानदार यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शासन है। इसके बाद भी निर्भय होकर घटिया निर्माण कार्य कराकर लाखों रुपए का बंदरबांट करने की साज़िश रची जा रही है। खैर हर आम ओ खास को पता है कि सरकारी ठेकों में जमकर कमीशनखोरी चल रही है। जब काम का ठेका हासिल करने के लिए कमीशन देना पड़ेगा तो ऐसे में कैसे मानक के अनुरूप कार्य की उम्मीद की जा सकती है। अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे कुँए में ही भांग पड़ी हुई है। इससे निजात पाने के लिए योगी आदित्यनाथ को स्वयं ही मोर्चा संभालना होगा। जब तक सरकारी विभागों से कमीशनखोरी के खरपतवार को नष्ट करने के लिए खरपतवार रूपी कीटनाशक का छिड़काव नहीं किया जाएगा तब तक गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य की उम्मीद करना ही बेईमानी है। अब तो पत्रकारों की क़लम भी घटिया निर्माण कार्यों पर चाहे जितना स्याही घिसे कुछ होने वाला नहीं है। अब तो ठेकेदार खुलेआम कहते हैं पत्रकारों के लिखने से हमारा बाल भी बांका नहीं होता, हां यह बात जरूर है कि हमारी जेबें कुछ ढीली ज़रूर हो जाती है। अब इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सिस्टम को भ्रष्टाचारी दीमक ने अंदर तक खोखला कर चुका है। रुट कैनाल ट्रीटमेन्ट भी अब इसे ठीक नहीं कर सकता। ठीक करने के लिए अब इसे जड़ से उखाड़ना होगा।