क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत निजी अस्पताल का निबंधन आवश्यक



राजीव झा दैनिक समाज जागरण संवाददाता किशनगंज

डाक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन इस पेशे की आड़ में अवैध तरीके से क्लीनिक, नर्सिंग होम व अस्पताल मरीजों के आर्थिक दोहन का पेशा बन चुका है। इस तरह के क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों में अक्सर मरीजों की जान जाने की खबरें आती रहती है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि बिहार में निजी क्लीनिकों को स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है ।यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो क्लीनिक को अवैध संस्थान माना जा सकता है। कोई भी निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल संचालित करने के लिए क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत संस्थान का रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होता है। जिले में अब तक 87 निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा 26 पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक सेंटर एवं 38 अल्ट्रासाउंड सेंटर ही रजिस्टर्ड हैं। जबकि, शहर के मुख्य चौराहे से लेकर गांव की गलियों तक सैकड़ों की संख्या में निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित की जा रही हैं।
बता दें कि निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलाजी के लिए जांच दल गठित किया गया था।
सिविल सर्जन, डॉ कौशल किशोर ने बताया कि जिला पदाधिकारी श्री तुषार सिंगला के दिशा निर्देश के आलोक में निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलाजी के लिए तीन जांच दल का गठन किया गया है, जिनके द्वारा अबतक 19 निजी अस्पताल एवं 10 अल्ट्रासाउंड सेंटर की जांच कर रिपोर्ट दिया गया है। इसमे बहादुरगंज प्रखंड के अशरफ दीप नर्सिंग होम, दीपक कुमार सिन्हा बंसबारी हाट एम एस नर्सिंग होम, ग्लोबल नर्सिंग होम, सहारा नर्सिंग होम,किशनगंज प्रखंड के गेट वेल सून नर्सिंग होम,नूरी क्लिनिक, अफजल साद क्लिनिक, अलसीफा क्लिनिक, परिवार पॉली क्लिनिक, कोचाधामन प्रखंड के जेड एच नर्सिंग होम, कोहिनूर नर्सिंग होम, संध्याधर नर्सिंग होम, ठाकुरगंज प्रखंड के एसएन लाइफ केयर नर्सिंग होम, नियाजी मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ,रॉयल नर्सिंग होम, सीमांचल नर्सिंग होम, न्यू फूटिश हॉस्पिटल, बहादुरगंज प्रखंड के मां अल्ट्रासाउंड सेंटर, बोर्जेस डायग्नोस्टिक सेंटर, रहमत डायग्नोस्टिक सेंटर, रॉयल डायग्नोस्टिक सेंटर , ठाकुरगंज प्रखंड के ए वन अल्ट्रासाउंड सेंटर, मुस्कानअल्ट्रासाउंड सेंटर ,आस्था डायग्नोस्टिक सेंटर ,नियाजी मल्टी स्पेशियल्टी डायग्नोस्टिक सेंटर, अत्रियम डायग्नोस्टिक सेंटर,पटना अल्ट्रासाउंड को रिपोर्ट के आलोक में सभी निजी अस्पताल एवं अल्ट्रासाउंड सेंटर को नोटिस दिया गया है। साथ ही, निजी क्लीनिकों, जांच घरों, डायग्नोस्टिक सेंटरों के पास पंजीकरण नहीं है। उन्हें अब नोटिस भी भेजी जा रही है। नोटिस के सात दिनों के अन्दर शर्तो को पूरा कर पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। यह पंजीकरण के लिए अंतिम अवसर होगा। उसके बाद उन्हें या तो ऐसे केंद्र बंद करने होंगे या उनके खिलाफ नियम संगत कार्रवाई की जाएगी। जिले के विभिन्न हिस्सों में संचालित क्लीनिक को स्वास्थ्य विभाग में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। अन्यथा उन्हें अवैध संस्थान की श्रेणी में रखकर नियम संगत तरीके से कार्रवाई की जाएगी। बगैर पंजीकरण ऐसे संस्थानों को सख्ती के साथ बंद की जाएगी। विभाग की ओर से इसी वजह से तेजी से जांच कराई जा रही है।
प्राधिकार के तहत होता है रजिस्ट्रेशन:सिविल सर्जन, डॉ कौशल किशोर ने बताया कि क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के अनुसार जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके तहत एक साल का औपबंधिक निबंधन किया जाता है। वहीं विधि मान्य अवधि से एक माह पूर्व पंजीयन के नवीकरण के लिए आवेदन देना पड़ता है। अगर उक्त अवधि में नवीकरण के लिए आवेदन नहीं किया जाता है तो संस्थान को प्रति माह की दर से जुर्माना भरना पड़ता है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन के लिए बायो मेडिकल वेस्ट एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र तथा अग्निशमन सुरक्षा प्रमाण पत्र सहित अन्य जरूरी दस्तावेज देने पड़ते हैं।विभागीय कार्रवाई जारी है:सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत अवैध रूप से संचालित निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक सेंटर पर कार्रवाई का भी प्रावधान है, इसके लिए जिलाधिकारी के द्वारा अवैध रूप से संचालित जांचघर, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलाजी, लैबोरेट्री, अल्ट्रासाउण्ड, क्लीनिक, नर्सिंग होम के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश के आलोक में जिले के सभी अस्पतालों के उपाधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी का दल बनाकर जांच करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया की क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) एक्ट 2010 (धारा 11) का नौपालन जरुरी है , इसके तहत कोई भी व्यक्ति या संस्थान बगैर रजिस्ट्रेशन कराये किसी भी तरह का क्लिनिक , नर्सिंग होम , पैथोलाजी व डायग्नोस्टिक , अल्ट्रासाउंड सेंटर का सञ्चालन नहीं कर सकता। ऐसा किया जाना अवेध है , इस एक्ट का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाया जायेगा । एक्ट की धारा 41(1) के मुताबीक आर्थिक दंड का प्रावधान तय है। इसके मुताबिक पहली बार पकडे जाने पर 50 हजार , दूसरी बार में 02 लाख तक और तीसरी बार पकडे जाने पर ५ लाख तक जुर्माना वसूला जायेगा इसके अलावा क़ानूनी कार्यवाही भी की जाएगी |
मानकों का पालन अनिवार्य:सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की जिला स्तर पर गठित रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार में जिलाधिकारी अध्यक्ष और सिविल सर्जन संयोजक होंगे तथा सदस्यों में जिले के पुलिस अधीक्षक, उप विकास आयुक्त और जिला आइएमए के अध्यक्ष को शामिल किया गया है। विभाग के अनुसार किसी भी अस्पताल को निबंधन के लिए न्यूनतम मानकों का पालन करना होगा। निर्धारित कर्मचारियों की उपलब्धता रखनी होगी। जितने भी मेडिकल रिकार्ड हैं उनका रखरखाव करना होगा, रिपोर्ट उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी होगी। रजिस्ट्रीकरण के लिए अस्पतालों को निर्धारित फीस के साथ आनलाइन या आफलाइन आवेदन देना होगा।