भाकपा कार्यकर्ताओं ने शहीद ए आजम भगत सिंह, अमर शहीद सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए किया वैचारिक गोष्ठी का आयोजन।

ब्यूरो चीफ़ विजय कुमार अग्रहरी। समाज जागरण

सोनभद्र। रविवार को अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला क्षेत्रीय कार्यालय पर इंकलाबी नारों के साथ शहीदों को नमन करते श्रद्धासुमन अर्पित किया ।
इस दौरान वैचारिक गोष्ठी का भी आयोजन हुआ, जहां अध्यक्षता करते हुए कामरेड लालता प्रसाद तिवारी जी ने देश की आजादी में अहम योगदान देने वाले अमर शहीदों के संघर्षपूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज देश को पुनः भगतसिंह के विचारों वाले नौजवानों की आवश्यकता है जो, जाति, धर्म और संप्रदायवाद से हट कर देशहित में अपने को समर्पित कर सकें, देश के लोकतंत्र और लोगों के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करे। भाकपा जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा ने कहा कि हमें भगतसिंह के विचारों को लेकर देश के नौजवानों में जाने की जरूरत है, वर्तमान में इस देश का नौजवान धर्म और संप्रदायवाद की जंजीरों में जकड़ा जा रहा है। इन जंजीरों को तोड़ने के भगतसिंह के विचारों से उन्हें प्रेरित करने की जरूरत है। गोष्ठी के दौरान भाकपा नेताओं ने वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर भी चर्चा करते हुए कहा कि अमर शहीद भगतसिंह राजगुरु और सुखदेव के सपनों को साकार करने के लिए और संविधान व लोकतंत्र बचाने के लिए हमें संघर्ष जारी रखने की जरूरत है।
पार्टी सह सचिव देव कुमार विश्वकर्मा ने कहा कि देश भगत सिंह की शहादत को कभी भुला नहीं पाएगा जरूरत है उनके बताए रास्ते पर चलने की भगत सिंह ने हमेशा रूढ़िवाद और पाखंड का विरोध किया उन्होंने धर्म, छुआ छूत का विरोध किया और गैर बराबरी की खिलाफत की और कहा कि भगत सिंह का नौजवानों के लिए स्पष्ट पैगाम क्रांतिकारी चेतना पैदा करने का था उन्होंने असेंबली में बम फेक कर ब्रिटिश राज्य को चेतावनी दी लेकिन बम बहुत कम शक्ति का था और ऐसे स्थान पर फेंका गया था जिससे कोई जन हानि न हो भगत सिंह सच्चे समाज सेवी और क्रांतिकारी थे।
इस अवसर पर भाकपा जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा, देव कुमार विश्वकर्मा, धनुक पनिका, मेवा लाल, कमला प्रसाद, मुन्ना राम, बाबूलाल चेरो, राम सागर शर्मा, कान्ता प्रसाद, पप्पू भारती, विरेन्द्र सिंह गोड़, हृदय नारायण व मोहम्मद मुस्तफा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कामरेड लालता प्रसाद तिवारी जी ने और संचालन कामरेड अमरनाथ सूर्य जी ने किया।

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