ED जांच में खुलासा, चेशायर होम रोड की जमीन की खरीद-बिक्री में प्रेम प्रकाश को मिले 1.5 करोड़*




संजय सिंह, ब्यूरो चीफ सह प्रभारी,समाज जागरण,
दक्षणी छोटा नागपुर प्रमंडल,

राँची (झारखंड ) 18 अप्रैल 2023:-चेशायर होम रोड की जमीन की खरीद-बिक्री में प्रेम प्रकाश को 1.5 करोड़ रुपये का हिस्सा मिला था. फर्जी दस्तावेज के सहारे इम्तियाज अहमद और भरत प्रसाद ने 1.78 करोड़ रुपये में जमीन पुनीत भार्गव को बेची. इसके बाद भार्गव ने यह जमीन 1.80 करोड़ रुपये में विष्णु अग्रवाल को बेची. इसी खरीद-बिक्री के दौरान प्रेम प्रकाश को 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ. शायर होम रोड की जमीन की चल रही इडी जांच के दौरान इस बात के सबूत मिले हैं. जांच में पाया गया है कि कोलकाता स्थित रजिस्ट्री कार्यालय में वर्ष 1933 में रखे गये दस्तावेज में चेशायर होम रोड के खाता – 37, प्लॉट 28, रकबा एक एकड़ के मालिक के रूप में गंगाधर राय का नाम दर्ज है. जमीन कारोबारियों के गिरोह ने इस जमीन की बिक्री के सिलसिले में 1948 की एक फर्जी डीड तैयार की. इसमें इसका उल्लेख किया गया कि गंगाधर राय ने अपनी जमीन जगदीश राय को बेच दी.बड़गाईं अंचल कार्यालय की मिलीभगत से कोलकाता में तैयार इस फर्जी डीड के सहारे जगदीश राय के नाम पर म्यूटेशन दिखाया गया. म्यूटेशन से संबंधित ऑनलाइन ब्योरे में रसीद नंबर 978745 और रसीद नंबर 1909412 को उल्लेख किया गया. सदर अंचल के रसीद नंबर का जिक्र: जांच में पाया गया कि बड़गाईं अंचल के कर्मचारियों ने साजिश के तहत रांची सदर अंचल से जारी इन रसीद नंबरों का उल्लेख किया था. रांची सदर अंचल से रसीद नंबर 978745 श्रीमती कंचन कच्छप की जमीन के लगान के लिए वर्ष 2009 में जारी किया जा चुका था. रसीद नंबर 1909412 भी रांची सदर अंचल द्वारा दिव्या शिखा लकड़ा की जमीन का लगान के लिए वर्ष 2012 में जारी किया गया था.दूसरों के नाम जारी किये जा चुके रसीद के नंबरों का इस्तेमाल करते हुए जगदीश राय के नाम पर लगान रसीद जारी होने के बाद जमीन कारोबारी इम्तियाज अहमद और भरत प्रसाद ने जमीन की खरीद-बिक्री के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी ली. पावर ऑफ अटॉर्नी जगदीश राय के पोते राजेश राय से ली गयी. इसके बाद इम्तियाज और भरत प्रसाद ने चेशायर रोड होम की एक एकड़ जमीन पुनीत भार्गव को बेच दी. पुनीत भार्गव, मनी लाउंड्रिंग के आरोप में जेल में बंद प्रेम प्रकाश का करीबी बताया जाता है. पुनीत ने अपने नाम जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद इसे विष्णु अग्रवाल को बेच दी.