फैक्टनेब ने राज्य सभा सांसद उपेन्द्र कुशवाहा से की महत्वपूर्ण मांगें, वेतन वृद्धि और स्थिर भुगतान की आवश्यकता पर जोर
पटना ।
बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) ने आज एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सभा सांसद उपेन्द्र कुशवाहा को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने शिक्षाकर्मियों के लिए स्थिर वेतन-संरचना लागू करने, प्रतिमाह वेतन भुगतान सुनिश्चित करने और विभिन्न अन्य लंबित मांगों को लेकर अपना पक्ष प्रस्तुत किया। महासंघ का यह कदम लंबे समय से चल रहे संघर्ष को एक नया मोड़ देने की कोशिश है।
वेतन-संरचना में सुधार की जोरदार मांग
फैक्टनेब ने ज्ञापन में बताया कि वर्तमान में संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में शिक्षाकर्मियों को परीक्षा परिणाम आधारित अनुदान के रूप में भुगतान किया जाता है, जो कि न केवल असंगत है, बल्कि बहुत ही अस्थिर और कम है। महासंघ ने यह मांग की कि इस भुगतान प्रणाली को बदलकर एक स्थिर और नियमित वेतन-संरचना बनाई जाए, जिसके तहत शिक्षाकर्मियों को प्रतिमाह निश्चित वेतन प्राप्त हो सके। साथ ही, लंबित अनुदान राशि का बजटीय उपबंध कर शिक्षाकर्मियों के बैंक खातों में एकमुश्त राशि का भुगतान भी सुनिश्चित किया जाए।
महंगाई को देखते हुए वेतन में वृद्धि की आवश्यकता
महासंघ ने महंगाई को ध्यान में रखते हुए यह मांग भी की कि 2008 में निर्धारित वेतन को बढ़ाया जाए और स्नातक तथा इंटर कक्षाओं के उत्तीर्ण छात्रों की वास्तविक संख्या के आधार पर प्रत्येक श्रेणी के लिए नए वेतन मानक तय किए जाएं। इसके तहत, स्नातक प्रथम, द्वितीय और तृतीय खण्ड के लिए छात्र-छात्रा के हिसाब से वेतन राशि में उचित वृद्धि की जाए। महासंघ का कहना है कि बढ़ती महंगाई के कारण यह वेतन मानक अब अपर्याप्त हो गए हैं, और शिक्षाकर्मियों की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए इस पर पुनः विचार किया जाना चाहिए।
हस्ताक्षर अभियान में राजनेताओं का समर्थन
आज के ज्ञापन के साथ एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया, जिसमें राज्यसभा सांसद उपेन्द्र कुशवाहा के अलावा विधायक सुरेश राम और जगरनाथ ठाकुर ने भी हस्ताक्षर कर शिक्षाकर्मियों के पक्ष में अपना समर्थन जताया। महासंघ के महासचिव प्रो. राजीव रंजन के नेतृत्व में चलाए गए इस अभियान में अन्य प्रमुख सदस्य जैसे प्रो. अरुण गौतम, प्रो. श्रवण कुमार, डॉ. पितृ कुमार, डॉ. यादवेन्द्र कुमार, प्रो. अनिल कुमार, डॉ. अमरेन्द्र कुमार सिन्हा, डॉ. शंभुनाथ सुमन, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. मणिन्द्र कुमार और डॉ. सुमन्त कुमार सिन्हा भी उपस्थित रहे।
चार दशकों से जारी संघर्ष
महासंघ ने बताया कि संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षाकर्मियों द्वारा वेतन-संरचना और अन्य सुधारों की यह मांग पिछले चार दशकों से की जा रही है। इस दौरान शिक्षाकर्मियों ने कई चरणों में संघर्ष किया है, लेकिन अब तक इस मुद्दे का कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। महासंघ ने कहा कि यदि इन मांगों को जल्द लागू नहीं किया गया, तो वे संघर्ष को और तेज करेंगे।
महत्वपूर्ण मुद्दे और भविष्य की रणनीति
इस ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि इन मांगों का सिर्फ शिक्षाकर्मियों के लिए ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण असर पड़ेगा। महासंघ ने शिक्षाकर्मियों के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है।
संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षाकर्मियों के इस संघर्ष ने अब तक कई बार ध्यान आकर्षित किया है, और अब फैक्टनेब उम्मीद कर रहा है कि इस ज्ञापन और हस्ताक्षर अभियान से सरकार और संबंधित विभागों पर दबाव बनेगा, ताकि जल्द ही इन मांगों का समाधान किया जा सके।