जब से होश सम्हाला है तभी से ‘ अमूल ‘के उत्पादों पर भरोसा करता आया हूँ। अमूल मेरा बड़ा भाई है या बहन ,ये मै नहीं जानता ? लेकिन अमूल तो अमूल है । बिना कसी प्रधानमंत्री को अपना ब्रांड एम्बेस्डर बनाये अमूल आजादी मिलने से ठीक एक साल पहले वजूद में आया। मुझसे 13 साल बड़ा है अमूल। गुजरात के त्रिभुवन दस पटेल साहब की दें है । पटेल साहब के इस उपहार से पूरा देश धन्य हुआ और है । पटेल साहब को उस समय से लेकर आजतक किसी खास आदमी को अपना ब्रांड एम्बेस्डर नहीं बनाना पड़ा । अमूल आम आदमी के लिए था और अमूल का ब्रांड एम्बेस्डर भी आम आदमी ही है ,लेकिन अब अमूल को भी नक्कालों की नजर लग गयी है। देश का आधा बाजार अमूल के नकली घी से अटा पड़ा है।
हम भारतीय किसी और में विश्व गुरू बने हों या न बने हों लेकिन नकल करने में दुनिया के विश्व गुरू अवश्य है । हमारे सामने नकल करने वाले दुसरे देश शायद कहीं नहीं टिकते। हमारे हुनरमंद नक्काल दुनिया के किसी भी उत्पाद की हू-ब-हू नकल करने में समर्थ है। खाने-पीने की चीज हो या पांव में पहनने की चप्पल। अंडर वियर हो या बनियान। हम उसकी नकल तैयार कर सकते है। घी,दवाएं,कपड़े,दाल-चावल,तेल तो सामान्य चीजे हैं। इन नकल विशेषजों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप अब बाजार में नकली अमूल घी भी उपलब्ध है । मुझे जब इस बारे में खबर मिली तब तक मेरे घर में अमूल घी का पदार्पण हो चुका थ। मुझे नहीं पता कि मै असली अमूल घी लाया हूँ या नकल। भगवान मेरे परिवार की ही नहीं अपितु मेरी तरह देश के तमाम अमूल घी प्रेमियों की रक्षा करें।
गनीमत है कि अमूल कम्पनी हमारी सरकारों की तरह गैर जिम्मेदार नहीं है ,वो अपने उपभोक्ताओं का पूरा ख्याल रखती है इसलिए उसने खुद अमूल के नकली घी के बारे में खुलासा किया। अमूल ने नकली घी बेचने वालों के खिलाफ चेतावनी जारी की है। कंपनी ने बताया कि कुछ लोग नकली अमूल घी बेच रहे हैं। खासकर ऐसे एक लीटर वाले रीफिल पैक में, जो अमूल तीन साल से नहीं बना रही है। अमूल ने लोगों से कहा है कि वे घी खरीदने से पहले पैकेजिंग की जांच जरूर कर लें। कम्पनी के इस खुलासे के बाद से हमारे पेट में उपद्रव शुरू हो गया है क्योंकि हम कुछ रूपये बचने के फेर में तीन साल से अमूल के रिफिल पैकेट ही घर में ला रहे थे। यानि हम सब नकली घी खा रहे थे,वो भी अमूल का। उस अमूल का जिसका मतलब ही अनमोल होता है।
हमारे देश में जबसे सरकार ने मेक इन इण्डिया,मेड इन इंडया जैसे नारे दिए हैं तबसे और उससे पहले से ही नक्काल सक्रिय हैं। देश में नकली उत्पादों का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। देश में यदि अमूल का कारोबार 4 बिलियन डालर का है तो नकली उत्पादों का करोबार इससे चार गुना ज्यादा होगा। आप चूंकि आजकल अख़बार कम पपढ़ते हैं और मोबाईल में उलझे रहते हैं इसलिए शायद आपको नहीं पता कि दुनिया में नकली प्रोडक्टका कारोबार कुल बिजनेस का 3.3 फ़ीसदी हिस्सा हो गया है।नकली उत्पादों के कुल मामले में से 84 फ़ीसदी से अधिक सिर्फ पांच सेक्टर में से आते हैं।अकेले भारत में नकली प्रोडक्ट के उत्पादन/बिक्री के मामले सालाना 20 फ़ीसदी की दर से ऐसे बढ़ रहे हैं जैसे अहिन की माता सुरसा का आकार बढ़ता है।
आप जो खा रहे हैं,जो पहन रहे हैं उसमें क्या असली है और क्या नकली है ये भगवान भी शायद आपको नहीं बता सकत। अब दीपावली पर आप जो मावा मिष्ठान खायेंगे,शुद्ध देशी घी के लड्डू खाएंगे उसमें कितना मावा असली होगा,कितना घी असली होगा ये कोई नहीं जनता। बस खाये जाओ,खाये जाओ और हरि के गुण गाये जाओ। क्योंकि देश की कोई भी सरकार इस नकल के कारोबार पर नकेल नहीं डाल सकती । किसी भी दल की सरकार हो,एक इंजिन की हो डबल इंजिन की ,इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। नक्काल सभी राजनीतिक दलों और सरकारों से ऊपर हैं। पूरी दुनिया और खासकर हम हिन्दुस्तानी इन नक्कालों की कृपा,अनुकम्पा पर ही ज़िंदा हैं।
हमें याद है कि एक जमाने में देशी घी तो छोड़िये डालडा भी शुद्ध बिकता था । आज के जमाने में तो तिरुपति बाला जी का प्रसादम भी असली नहीं मिलता । लेकिन जो भी उत्पाद नेताओं की तरह घर-घर पहुंचा ,उसकी नकल बाजार में आ गयी।हमने फिल्मों में ही नहीं बल्कि असल में नकली पुलिस,नकली आईएएस-आईपीएस,नकली डाक्टर देखे हैं और अब तो गुजरात में नकली जज और नकली अदालतें भी सम्मान पा चुकीं है। गुजरात मॉडल केवल विकास और सत्यानाश के मामले में ही अनुकरणीय नहीं है बल्कि नकल के मामले में भी अनुकरणीय है। जिन देशों की आर्थिक स्थिति खराब है वे भारतीय नक्कालों से परामर्श लेकर अपने आपको डूबने से बचा सकते हैं ।
कोई माई का लाल नकली और असली में भेद करके बता दे तो मै उसके लिए पदम् पुरस्कार दिलाने में सिफारिश करने का भरोसा दिला सकता हूँ। वैसे नकल उद्योग को देखते हुए इस देश में नक्कालों का भी हक बनता है कि वे पद्मश्री,पदम् भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से अलंकृत किये जाएँ। भारतीय नक्काल केवल एक उत्पाद की नकल नहीं बना पाए और वो है नेता। देश में नकली नेताओं का घोर अभाव है। जितने भी और जैसे भी नेता हैं ,वे असली है। नकली कारोबार की प्रगति ,उन्नति और प्रतिष्ठा को देखते हुए नवाचार में सिद्धहस्त हमारी सरकार को न सिर्फ केंद्र में बल्कि केंद्र शासित क्षेत्रों और डबल इंजिन से चंलने वाली राज्य सरकारों में एक नकल मंत्रालय और एक नकल मंत्री भी बना देना चाहिए।
आप शायद न जानते हों लेकिन हकीकत ये है कि जैसे दुनिया मदर्स डे,फादर्स डे ,विमेंस डे मानती है उसी तरह हर साल 8 जून को दुनियाभर में एंटी काउंटरफेट डे मनाया जाता है। यानि नकल विरोधी दिवस। इस अवसर पर दि आथंटिकेशन सोल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन एक रिपोर्ट जारी करती है। इस संस्था की एक के मुताबिक भारत में नकली प्रोडक्ट के उत्पादन/बिक्री के मामले सालाना 20 फ़ीसदी की दर से बढ़ रहे हैं। अगर बात पांच प्रमुख सेक्टर में नकली उत्पादों की करें तो दवा, हेल्थ सप्लीमेंट, सुरक्षा उत्पाद, हाइजीन एवं अन्य जरूरी चीजों की बढ़ी हुई मांग का फायदा उठाते हुए धोखेबाज नकली उत्पाद का जाल बिछा रहे हैं। दुनिया भर में नकली प्रोडक्ट का कारोबार कुल बिजनेस का 3.3 फ़ीसदी हिस्सा हो गया है।अब 145 करोड़ की आबादी वाले देश में ये हिस्सेदारी भी कोई हिस्सेदारी है भला ? यहां भी कम से कम फिफ्टी-फिफ्टी का हिस्सा तो होना ही चाहिए ।
मै कल्पना करता हूँ कि 56 साल पहले फिल्म नीलकमल के लिए ‘ खाली डिब्बा-खाली बोतल ‘ गीत लिखने वाले साहिर साहब यदि आज जीवित होते तो वे लिखते –
नकली डिब्बा,नकली बोतल, ले -ले मेरे यार
नकली से मत नफरत करना ,नकली सब संसार
हमारे देश में कोई भी नकल से घृणा करने वाला नहीं है । देश के सबसे बड़े नेताओं पर भी नकल का इस्तेमाल करने का आरोप लग चुका है। लोगों की डिग्रियां और उपाधियाँ तक नकल प्रधान है। उन्हें देश की सबसे बड़ी अदालतों में चुनौती दी जाती है लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत भी नकल को नकल साबित करने में कामयाब नहीं होती। इसलिए हे देशवासियो नकल से घृणा मत करो। नकल हमारा राष्ट्रीय उद्योग है। इसे संरक्षण मिलना ही चाहिए। हर सूरत में मिलना चाहिए क्योंकि हम देश की बढ़ती आबादी को सौ फीसदी असल माल उपलब्ध करने की स्थिति में नहीं हैं।इसलिए नकल माफिया इस देश की जरूरत है।
@ राकेश अचल