पुलिस के ट्रांसफर के विरोध में पटना के सड़को पर उतरे परिजन

समाज जागरण पटना जिला संवाददाता:- वेद प्रकाश

पटना/ हाल ही में हुए पुलिसकर्मियों के बड़े पैमाने पर ट्रांसफर को लेकर नाराजगी खुलकर सामने आ गई है। पुलिस मुख्यालय द्वारा 5 जून 2025 को करीब 20 हजार पुलिसकर्मियों का एक साथ तबादला किया गया था। इस फैसले से न केवल पुलिसकर्मी खुद परेशान हैं, बल्कि उनके परिजन भी मानसिक तनाव और पारिवारिक संकट में हैं। इसको लेकर सोमवार को राजधानी पटना के आर ब्लॉक चौराहे पर पुलिसकर्मियों के परिजनों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में खास बात यह रही कि सिर्फ पुरुष या जवान ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नियाँ, छोटे-छोटे बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता भी शामिल थे। उन्होंने हाथों में पोस्टर-बैनर लेकर सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। महिलाओं का कहना था कि एकाएक और दूर-दराज के स्थानों पर किए गए ट्रांसफर से परिवार की पूरी व्यवस्था बिगड़ गई है। सहरसा की निक्की कुमारी, जिनके पति का ट्रांसफर बहुत दूर के जिले में कर दिया गया है, ने कहा कि यह सिर्फ एक ट्रांसफर नहीं, बल्कि पूरे परिवार के जीवन को अस्त-व्यस्त कर देने जैसा है। उन्होंने बताया कि बच्चों की पढ़ाई, घर की जिम्मेदारी और पति की अनुपस्थिति में सबकुछ संभालना मुश्किल हो गया है। उनके अनुसार, यह ट्रांसफर नीति पूरी तरह से अव्यवहारिक और अमानवीय है। प्रदर्शन में कई बुजुर्ग परिजन भी शामिल हुए। एक सिपाही के पिता देव सिंह, जो नेपाल सीमा के पास के इलाके से आए थे, ने भावुक होकर बताया कि उनका बेटा ही उनके परिवार का एकमात्र सहारा है। बेटे का ट्रांसफर इतनी दूर हो गया है कि छुट्टी मिलने पर भी वह समय से घर नहीं आ सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि बेटा तनाव में आकर कोई गलत कदम उठा लेता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? राजेंद्र प्रसाद यादव, जिनके बेटे का भी ट्रांसफर हुआ है, प्रदर्शन के दौरान कैमरे के सामने फूट-फूटकर रो पड़े। उन्होंने कहा कि यह केवल नौकरी का मामला नहीं है, यह एक पूरे परिवार के अस्तित्व का सवाल है। सरकार को बुजुर्गों और परिजनों की स्थिति को ध्यान में रखकर ट्रांसफर नीति बनानी चाहिए। इस मामले को लेकर कानूनी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। पटना हाईकोर्ट में इस ट्रांसफर को लेकर मामला दर्ज है। हाईकोर्ट के वकील मिथिलेश कुमार ने जानकारी दी कि कोर्ट ने 22 जून तक ट्रांसफर आदेश पर रोक (स्टे) लगा दी है और अगली सुनवाई 23 जून को होनी है। उन्होंने यह भी कहा कि यह विरोध केवल ट्रांसफर का नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों और फैसलों की प्रक्रिया के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ट्रांसफर नीति में पारदर्शिता की कमी है और यह निर्णय बिना मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखे लिया गया है। कुछ पुलिसकर्मी ऐसे इलाकों में भेज दिए गए हैं जहां बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है, जबकि कई ऐसे हैं जिन्हें घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर भेजा गया है। इससे परिवारों की सुरक्षा, बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों की देखभाल पर गंभीर असर पड़ रहा है। पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर को लेकर पटना में हुआ यह विरोध प्रदर्शन एक सामाजिक और मानवीय संकट की ओर इशारा करता है। यह केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि इससे हजारों परिवारों की भावनाएं, भविष्य और सुरक्षा जुड़ी हुई हैं। सरकार को चाहिए कि वह ट्रांसफर नीति को पुनः विचार कर व्यवहारिकता और संवेदनशीलता के आधार पर नई दिशा दे ताकि पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों का निर्वहन मानसिक शांति के साथ कर सकें और उनका परिवार भी सुरक्षित रह सके।

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