हत्या के चार दोषियों को उम्रकैद, अर्थदंड

  • पांच वर्ष पूर्व हुए विजय उर्फ गुड्डू हत्याकांड का मामला

ब्यूरो चीफ़ सोनभद्र/ दैनिक समाज जागरण

सोनभद्र। पांच वर्ष पूर्व हुए विजय उर्फ गुड्डू हत्याकांड के मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दोषसिद्ध पाकर चार दोषियों को आजीवन कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 4-4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक छोटेलाल पुत्र बंधुराम निवासी पड़री टोला कमरी डाँड़ , थाना म्योरपुर, जिला सोनभद्र ने 20 मार्च 2020 को म्योरपुर थानाध्यक्ष को दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसके परिवार से दशरथ व उनके ससुराल वालों से पुरानी रंजिश चल रही थी। उसका भाई रामसजीवन व भतीजा रामअवध दुद्धी न्यायालय से म्योरपुर लीलासी मोड़ पर पानी पीने गए थे जहाँ पर जनविजय ने उसके भतीजे को मारपीट दिया और 800 रुपये भी छीन लिया। जिसपर उसका भाई और भतीजा अप्लीकेशन लिखवाने वकील साहब के घर चले गए तभी रेनुकूट से काम करके उसका बेटा विजय उर्फ गुड्डू भी आ गया। जिसे देखते ही पुरानी रंजिश को लेकर गांव के दशरथ पुत्र ब्रह्मा, गड़िया गांव निवासी जनविजय व राजेश पुत्रगण स्वर्गीय मोहब्बत यादव तीनों चाकू हाथ में लेकर तथा संतोष उर्फ सोनू पुत्र ओम प्रकाश यादव व अखिलेश पुत्र जनविजय अपने हाथ मे लाठी डंडा लेकर उसके भाई, भतीजा और बेटे के ऊपर प्रहार कर गम्भीर चोटें पहुंचाई। चाकू से गम्भीर चोट लगने से बेटे विजय उर्फ गुड्डू को लेकर भाई और भतीजा अस्पताल में ले जाकर डॉक्टर को दिखाया, जहां डॉक्टर ने देखते ही मृत घोषित कर दिया। इस तहरीर पर पुलिस ने हत्या समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचना के दौरान विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान व पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर चार दोषियों क्रमशः जनविजय, दशरथ, राजेश व संतोष को आजीवन कारावास व क्रमशः 41 हजार रूपये, 26-26 हजार रुपये व 21 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 4-4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील विनोद कुमार पाठक ने बहस की।

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