गाछपड़ा पंचायत अंतर्गत गायघाट नदी का सौंदर्यकरण के नाम पर अतिक्रमण जारी*

वर्तमान जल स्रोतों का निकासी पूर्ण तरह बंद*

*रमजान नदी नाले में तब्दील अस्तित्व खो बैठी*

*रमजान नदी आज तक नहीं हो सका अतिक्रमण मुक्त भू माफिया का दबदबा*

*रमजान नदी सौंदर्य करण होने जानकारी दिए : मुखिया मतिउर रहमान*

वीरेंद्र चौहान,समाज जागरण ब्यूरो किशनगंज।
शहर को दो भागों में बांटने वाली रमजान नदी का अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच चुका है। ग्रामीणों ने बताया रमजान नदी गाछपाड़ा गायघाट पुल के समीप नदी में मिट्टी भरकर अतिक्रमण कर दिया गया है जल निकासी पूरी तरह बंद कर दी गई है।

वही गाछपाड़ा के मुखिया मतिउर रहमान ने बताया मनरेगा योजना के तहत रमजान नदी का सौंदर्य करण चल रहा है। नदी के सटे कुछ मकान बने हुए हैं जो बरसात होने पर पानी बहाव के कारण क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसी को देखते हुए मिट्टी भरा गया है। जमीन की पैमाइश भी कराई गई है। वर्तमान खेत में धान लगा हुई है। कटने के बाद रमजान नदी की पानी का बहाव के रास्ते दूसरी तरफ से निकाला जाएगा।

कल-कल बहती नदी आज नाले का रुप ले चुकी है। वजह भू माफिया के द्वारा नदी की भूमि को गलत तरीके से सक्रियता के कारण रमजान नदी की जमीन अतिक्रमण कर रहे हैं। जिस कारण आज नदी की गोद में आलीशान भवन, दुकान व बाउंड्री वाल खड़ी हो चुकी और किया जा रहा है। यूं कहा जाए कि नदी के पेटी में मुहल्ला सा बस चुका है। कई बार अतिक्रमण हटाने का जिला प्रशासन के स्तर पर प्रयास भी हुआ। लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। आज भी स्थिति जस की तस है। नदी की जमीन पर भवन बनाने का काम चल रहा है। एक तरफ सरकार जल जीवन हरियाली अभियान के तहत प्राकृतिक जलस्त्रोंतों को बचाने की मुहिम चला रही है। जिसमें सरकारी तालाबों व पोखरों को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री द्वारा कहा जा रहा है सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए बुलडोजर चलेगी लेकिन रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने की दिशा में प्रयास सार्थक नहीं दिख रहा है। हालांकि हाल में रमजान नदी के सौंदर्यीकरण को लेकर जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन द्वारा चहलकदमी शुरु की गयी।लेकिन अब तक प्रयास धरातल पर नहीं दिख रहा है।
जानकारी अनुसार वर्ष 2008 में रमजान नदी के अतिक्रमण का मामला प्रकाश में आया था। तत्कालीन डीएम ने इसे गंभीरता से लेते शहर होकर बहनेवाली रमजान नदी की मापी भी कराई थी। जिसमें डे मार्केट, अस्पताल रोड ,कर्बला व मोहदीनपुर में कई घर नदी के दायरे में आए थे। लेकिन कार्रवाई वहीं तक सीमित रह गयी। तब से लेकर आज तक कई डीएम बदल गए। लेकिन रमजान नदी की स्थिति नहीं बदली। नाले में तब्दील हो गई है
इसको लेकर विधानसभा व संसद में भी आवाज गूंजी।
जानकारी अनुसार पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन डीएम पंकज दीक्षित ने रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए नदी के भूभाग स्थल से इसकी मापी करवायी थी। जिसमें तीन सौ से अधिक अतिक्रमणकारी चिन्हित किए। जिसको नोटिस भी निर्गत किया गया था। लेकिन नतीज कुछ नहीं निकला। नोटिस के खिलाफ 72 लोग पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दिया। उसके बाद मामला फिर लटक गया। अब देखना है कि रमजान नदी कब तक पुर्नजीवित होती है।