सैकड़ो ट्राली से पट गया नदी का पाट
समाज जागरण
विजय तिवारी
उमरिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले सहित जिला मुख्यालय में अवैध कब्जों की बाढ़ आ गई है, यहां लोग न सरकारी भूमि छोड़ रहे और न ही नदी तालाब को, हर जगह अवैध कब्जे कर उसे फिर मंहगे दामों में प्लाट काटकर बेंच दिया जायेगा। सूत्र बताते हैं कि जिला मुख्यालय स्थित घंघरी नाका के समीप बनी सांईं कालोनी जहां नदी के छोर पर मिट्टी पाटकर पहले उसका स्वरूप इधर से उधर किया जायेगा फिर उसे बेच दिया जायेगा। करीब पांच दिनों तक साईं कालोनी में अवैध कब्जा जमाने के लिए उमरार नदी के एक बड़े हिस्से को पाटा गया, जिस पर कार्यवाही नहीं होने के कारण अब स्थिति यह है कि साहब नहीं जा सके और वहां फीता लगाकर नाप जोख कर ली गई, जिसकी भनक सभी को है।
कॉलोनी कीवस्तु स्थिति
साईं कालोनी के पीछे तरफ हो रहे कब्जे पर किसकी मूक सहमति है? खनिज विभाग को जानकारी दिये जाने के बाद क्या खनिज विभाग ने यह जानने की कोशिश की कि उक्त करीब 300 ट्रेक्टर ट्राली मिट्टी कहां से खोदकर लाई गई और उमरार नदी को पाटा जा रहा है.? क्या राजस्व विभाग ने यह जानने की कोशिश की कि उक्त अवैध वाली भूमि नदी के कितने बड़े रकवे को अपने में समाहित कर रही है.?
उमरिया की लाइफ लाइन को बिगाड़ रहे माफिया
उमरिया की लाइफ लाइन को समय समय पर माफियाओं ने बनाने कम बिगाड़ने का अधिक प्रयास किया है, साईं कालोनी में हो रहे अवैध कब्जे पर जिस प्रकार से सैकड़ों ट्राली मिट्टी डाली गई है जिस पर खनिज विभाग को चाहिए था कि उक्त मिट्टी किस जगह से खोदी गई है और इसका खनिज को जमा करना वाला पैसा मिला या नहीं अगर नहीं तो जिसने मिट्टी खोदी और जिन वाहनों से कब्जे वाली जगह पर लाया गया उन पर कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए। राजस्व विभाग ने अवैध कब्जे वाली जगह पर जाकर देखना था और नाप करते हुए कड़ी कार्यवाही के लिए वरिष्ठ अधिकारी गणों को पत्राचार करना चाहिए जिससे नदी का स्वरूप बिगाड़ने वालों पर लगाम लगाई जा सकती है। बहरहाल जो भी हो अवैध कब्जे का यह कोई नया मामला नहीं है, और भी मामले सामने आये मगर लेन देन कर सभी ने अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ लिया।
राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है भू माफिया
मिली जानकारी के अनुसार उमरिया भू माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। जिला मुख्यालय में ऐसे भू माफिया भी है जोकि राजनीतिक दल में पदाधिकारी है और उन्हें उनके ही पार्टी के प्रमुख नेता ने मंच से उतार भी दिया था। आज की स्थिति यह है कि वह अपने जिला स्तर के नेता के साथ-साथ कदमताल मिलाकर चल रहे हैं। घघरी नाका में रहने वाले महाराज के साथ इस भूमिया के भी जुगलबंदी की चर्चा है।