दहेज कुप्रथा पर हिंदी नाटक “ये आग कब बुझेगी” का भव्य आयोजन, समाज में जागरूकता का संदेश

नाटक के माध्यम से दहेज प्रथा की गंभीरता को दर्शाया, समाज में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता को उजागर किया

अररिया/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

जिला मुख्यालय के तेरापंथ जैन धर्मशाला स्थित होटल अर्ग के सभागार में दहेज कुप्रथा पर आधारित एक प्रभावशाली कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दहेज प्रथा पर समाज को जागरूक करने और इसके निवारण हेतु एक गहरे संदेश को व्यक्त करने के लिए मनोकामना अररिया संस्था द्वारा प्रस्तुत हिंदी नाटक “ये आग कब बुझेगी” का मंचन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव रोहित श्रीवास्तव, जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक शंभू रजक, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी बबलू पाल और भाजपा जिलाध्यक्ष आदित्य नारायण झा ने उपस्थिति दर्ज की।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया, साथ ही सभी मुख्य अतिथियों को बुके देकर सम्मानित किया गया। उद्घाटन के बाद गायिका ने “ईश्वर सत्य है, सत्य ही ईश्वर है… सत्यम शिवम सुंदरम” गीत से एक भव्य और आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण किया, जिसके बाद मैथिली लोकगीतों ने भी मौजूद सभी लोगों में समाज सुधार की प्रेरणा दी।

कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षण “ये आग कब बुझेगी” नाटक ने दहेज प्रथा की गहरी और मार्मिक तस्वीर प्रस्तुत की। नाटक में दर्शाया गया कि कैसे एक पिता अपनी बेटी की शादी के लिए अपनी मेहनत की कमाई और संपत्ति गिरवी रखता है, बावजूद इसके दहेज की भारी मांग के सामने वह हमेशा असहाय महसूस करता है। इस नाटक के माध्यम से यह सवाल उठाया गया कि समाज में फैली दहेज प्रथा के कारण कितने परिवारों की सामाजिक और मानसिक स्थिति खराब हो जाती है। जैसे-जैसे नाटक आगे बढ़ता गया, यह स्पष्ट होता गया कि दहेज प्रथा ने न केवल परिवारों को आर्थिक रूप से कमजोर किया है, बल्कि कई अनहोनी घटनाओं को भी जन्म दिया है, जिसके कारण बेटी-बेटों के जीवन में अंधकार छा जाता है।

मुख्य अतिथि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव रोहित श्रीवास्तव ने नाटक की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समाज में दहेज कुप्रथा जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। उन्होंने कहा, “समाज को जागरूक करना और इस तरह की कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाना बहुत जरूरी है।” इसके साथ ही उन्होंने कार्यक्रम के आयोजनकर्ताओं की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज में सुधार लाने के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकते हैं।

जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक शंभू रजक ने भी कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक है। उनका कहना था, “इस तरह के आयोजन समाज में छिपी कुरीतियों और सामाजिक असमानताओं पर विचार करने का एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं।”

कार्यक्रम के समापन के बाद, नाटक के निर्देशक और मनोकामना अररिया के सचिव दीपक कुमार वर्मा (रिंकू) ने नाटक के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए बताया कि “ये आग कब बुझेगी” नाटक का उद्देश्य दहेज प्रथा के खिलाफ समाज में जागरूकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि यह नाटक मन्नू भंडारी द्वारा लिखा गया है और इसके माध्यम से समाज में दहेज प्रथा के गंभीर परिणामों को उजागर किया गया है। उन्होंने कहा, “दहेज प्रथा के कारण कई बेटियों को शारीरिक, मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, और कई बार तो यह प्रथा उनके जीवन का कारण भी बन जाती है।”

दीपक वर्मा ने कहा कि समाज में इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों की आवश्यकता है, ताकि लोग जागरूक हो सकें और दहेज के खिलाफ एकजुट हो सकें। उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि सरकार ने इस कुप्रथा को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं, फिर भी यह प्रथा कई शादियों में चुपचाप जारी रहती है।

कार्यक्रम में दर्जनों महिला, पुरुष, युवा और गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे, जिन्होंने इस आयोजन की सराहना की और इस सामाजिक मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने का संकल्प लिया। इस नाटक ने न केवल दहेज प्रथा के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।

इस आयोजन के जरिए एक बार फिर यह साबित हुआ कि जब समाज एकजुट होता है, तो कोई भी सामाजिक कुरीति चाहे वह दहेज प्रथा हो या अन्य, उसे समाप्त किया जा सकता है।

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