*हम सभी को पुलिस का सम्मान करना चाहिए*


दैनिक समाज जागरण
ब्यूरो-रिपोर्ट


प्रखंड क्षेत्र के जाने माने पत्रकार एहसान अंसारी द्वारा वक्तव्य के अनुसार देश के आम नागरिकों को सुझाव कहते हैं जो सत्य है।हम सभी पुलिस प्रशासन को सहयोग करना चाहिए
क्यों की पुलिस 24 घंटे दिन हो या रात हमारी सुरक्षा के लिए अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते है।
यह शिकायत हमेशा पुलिस से सबको होती है की पुलिस हमेशा देर से आती है। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि यही शिकायत पुलिस के घर वाले भी हमेशा करते है ।एक पुलिस ऑफिसर घर देर से पहुंचने के कारण उनकी ड्यूटी हमे सुरक्षित करने की प्रथिमकता होती है जिससे ना कभी अपने घर समय से पहुंच पाते है और ना ही किसी शादी समारोह में। जब कोई अनहोनी घटना होती है तो हर कोई दूर भागता है लेकिन पुलिस उस घटना की और भागती है ताकी उस घटना से हम सभी को सुरक्षित कर सके। पुलिस की जिंदगी जोखिम के आस पास भूमती है चाहे मुंबई अटैक हो या संसद हमला पर जान की बाजी लगाने वाला पहले पुलिस ऑफिसर ही होते है। अगर अंतरराष्ट्रीय संबंध हमारे अच्छे हो तो सेना को तो आराम मिल सकता है। लेकिन पुलिस को तो हर दिन नई चुनौती हर दिन उसी चौराहे पर खड़ा होना हर दिन कोई ना कोई घटना पुलिस को ना सिर्फ अपराधी से बल्कि वकील, कोर्ट , राजनीतिक दल, मानवाधिकार से भी निपटना होता है । रोटी कपड़ा और मकान यही तीन माग सरकार से जनता की प्राथमिक रही है अब शिक्षा बिजली पानी और सड़के हो गई है लेकिन अगर व्यापार दृष्टिकोण से देखा जाए तो सुरक्षा के अभाव में ना तो मांगो की प्रतीस संभव है ना इसको पाने के बाद रख पाना संभव है। पुलिस जिसकी ड्यूटी 24 घंटे 7 दिन की होती है जिससे ना सिर्फ़ समाज की सुरक्षित करना होता है बल्कि हर स्थित में उसका रूप बदल जाता है । कभी एक्सिडेंट की स्थिति डॉक्टर तो कभी आबदा की स्थिति में संकट मोचन बनना पड़ता है । विपदा अनहोनी में सबसे पहली उम्मीद होती है चाहे सड़क पर गाड़ी में डीजल ख़त्म होना या गाड़ी पंचर हो जाना। भारत में पुलिस के विषय में ज्यादातर लोगों में नकारात्मक धारना है जिसका कारण पुलिस का मिडिया टेलीविजन फिल्म पर नकारात्मक दिखाना क्यों की लगभग हर घटना के लिए प्रार्थमिक जिम्मेदार पुलिस को मानकर हर कोई उसी से सवाल करके उसे जिम्मेदार मानता है। लेकिन हम कभी क्या ऐसे समाज की कल्पना कर सकते है। जहां पुलिस ना हो पुलिस ना होने का मतलब है । अराजकता की स्थिति जिससे निपटने के लिए कठौर बनाना पड़ता है और इसी कठौरता में अगर कोई ग़लती हो जाती है तो इसे पुलिस का अत्याचार और असंवेदनशीलता मान लिया जाता है। सरकार और जनता के बीच मैं हमेशा तनातनी रहतीं हैं जब भी जनता सरकार से कोई मांग या उसकी किसी निती का विरोध करती हैं तो सरकार अपने बचाव के लिए पुलिस का उपयोग लाठी चार्ज बल प्रयोग के रूप में करती है। जिससे आम जनता समाचार पत्र और न्यूज़ चैनल के माध्यम से देखकर सरकर का अत्याचार ना समझती है । जबकि पुलिस सरकार के आदेशों का पालन कर रही होती है। भारतीय पुलिस व्यवस्था बेहद प्राचीन है यह ब्रिटिश सरकार द्वारा अपनी सहूलियत के अनुसार बनाई गई थीं।जो करीब डेढ़ सौ साल के बाद आधुनिक भारत में अप्रासेगिक लगती है। इसमें सुधार की बेहद आवश्यक है पुलिस अधीक कुशल बाहरी दवाबो से मुक्त और जनता की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाने की जरूरत है। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि संध लोक सेवा आयोग द्वारा सबसे वरिष्ट 3 पुलिस अफसरों की सूची तथा ऑपरेशनल पदों पर तैनात पुलिस अफसरों के पद पर बने रहने की मियाद तय किया जाए। लेकिन राज्यों ने राजनीतिक, इच्छाशक्ति की कमी की वजह तथा पुलिस को अपने हित के अनुसार साधने के लिए इन सुधारों को लागू नहीं किया। ऐसे ही राज्य सुरक्षा आयोग पुलिस शिकायत प्राधिकरण आदि बेहद ढंग से अनोपचारिक आदेश देकर पुलिस अफसरों का ट्रांसफर करवा लेते है। लेकिन अगर कार्यालय की सुरक्षा मिल जाए तो पुलिस ऑफिसर अपनी ताकत का भरपूर उपयोग कर सकते है। मॉडल पुलिस एक्ट भी इसी तरह की अड़चनों में उलझ गया सुधार सिर्फ कार्य अवधी और स्वायत्तता तक सिमित नहीं है क्यों कि बड़े पुलिस अफसरों का रूझान किसी ने किसी राजनीतिक पक्ष में जरूर होता है ब्रिटिश काल की दास्तां की प्रतीक इस पुलिस व्यवस्था में स्वतंत्र भारत के अनुसार सुधार की आवश्यकता है जिसमें पुलिस अधिक कुशल संवेदनशील बनें कभी भी पुलिस के प्रति नकारात्मक धारणा लाने से पहले पुलिस अफसरों की जिवन की कल्पना जरूर करना चाहिए। आम जनमानस को पुलिस सुधार अपनी अन्य जरूरी मांगों की तरह मागना चाहिए जिससे राजनेता जनता के दवाब में आकर अपने चुनावी घोषणा पत्र में घोषित करे तथा सुप्रीम कौन के निर्देशो के अनुसार सुधार करे। और जिस देश में एक रक्षा बजट जारी होता है देश की सुरक्षा के लिए उसी तरह समाज की सुरक्षा के लिए पुलिस के लिए एक अच्छे बजट की जरुरत है। जिससे पुलिस को लगभग सभी मुलभुत सुविधाए मिल सकें और वह जानता के उसकी आवश्यकता के अनुसार सहायता कर सके। हमारे समाज की सुरक्षित रख सके क्यो की सुरक्षित समाज ही विकसित समाज हो सकता है। हमारे देश में सेलिब्रेटी या क्रिकेटर फिल्मी एक्टर को जितना सम्मान देते है उसको भगवान का दर्जा तक दे देते है क्या आपका वही सेलिब्रेट जब आप और आपके परिवार किसी मुसीबत किसी घटना या किसी आबदा में होते है तो आपके लिए आपका सेलेब्रिटी या फिल्मी हीरो नही आता आपके मदद के लिए बल्कि आपकी पुलिस आती है जो अपनी जान की बाजी लगाकर आपकी मदद में आपके परिवार को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए आता है । इसलिए आप पुलिस अफसरों का सम्मान करे उसका हमेशा हौसला अफजाई करे।