💥 नेतृत्व परिवर्तन ही संगठन का मूल मंत्र: जिले में बदलाव की सुगबुगाहट
“अगर हम अपनी ऊर्जा विरोधियों को हराने की बजाय पार्टी को जिताने में लगाएं, तो कोई माई का लाल कांग्रेस को हरा नही सकता।” यह बात झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और जिले के संगठन सृजन अभियान के आब्जर्वर राजेश ठाकुर ने रविवार को बरही क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही।पाली ब्लॉक में प्रवास के अंतिम दिन, श्री ठाकुर ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने पहले नोरोज़ाबाद स्थित इंटक कार्यालय में कार्यकर्ताओं से संवाद किया, फिर पावन नगरी पाली पहुंचकर सीधे संवाद के जरिए ज़मीनी हकीकत को परखा।इस मौके पर कांग्रेस जिला अध्यक्ष अजय सिंह, लालबहादुर सिंह, बबलू खंडेलवाल, प्रीतम पाठक,ओमकार सिंह,सावित्री सिंह,शकील खान,पुष्पराज सिंह,विजय कोल,रवि मिश्र,छत्रपाल सिंह,सहित पदाधिकारी एवम कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे।इस मौके पर कांग्रेस ऑब्जर्वर राजेश ठाकुर ने कहा कि संगठन में समायोजन नहीं, जिम्मेदारी का वितरण होना चाहिए।संगठन को मज़बूत बनाना है तो एडजस्टमेंट की राजनीति से ऊपर उठना होगा। अब वक्त आ गया है कि संगठन में उन लोगों को स्थान मिले, जो वास्तव में ज़िम्मेदारी निभाने की क्षमता रखते हैं।संगठन तभी सशक्त होगा, जब उसमें योग्यता, ज़मीन से जुड़ाव और सामाजिक भागीदारी को प्राथमिकता दी जाएगी।हमें समझना होगा कि सत्ता तक पहुंचने का रास्ता संगठन की मज़बूती से होकर ही गुजरता है। और जब संगठन मज़बूत होगा, तभी हम आम लोगों की वास्तविक मदद कर पाएंगे। संगठन का वास्तविक सृजन तभी संभव है, जब राहुल गांधी जी के सिद्धांत “जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” को धरातल पर उतारा जाए।

दावेदारों में दिखी जोर आज़माइश
जिले में नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाओं के बीच जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दर्जनों दावेदारों ने कमर कस ली है। इनमें प्रमुख रूप से त्रिभुवन प्रताप, ओमकार सिंह, पुष्पराज सिंह, बबलू खंडेलवाल, शकील खान, सावित्री सिंह,वीरेंद्र सिंह सेंगर,रोशनी सिंह, मिथिलेश राय, अमृत यादव, विजय कोल, तिलकराज सिंह, रामगोपाल दाहिया सहित कई नाम शामिल हैं।सूत्रों की मानें तो आब्जर्वर राजेश ठाकुर वन-टू-वन बातचीत के आधार पर एक सूची तैयार करेंगे, जिसमें से सबसे मजबूत 6 से 8 नामों को चयनित कर पैनल के रूप में केंद्रीय संगठन को भेजा जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व उसी आधार पर जिले में नए अध्यक्ष का चयन करेगा।राजेश ठाकुर के संगठनात्मक अनुभव और निष्पक्ष दृष्टिकोण के चलते माना जा रहा है कि जिले में लंबे समय से जीत का इंतजार कर रही कांग्रेस को इस प्रक्रिया से नया संबल मिल सकता है।विपक्ष में बैठी कांग्रेस को जिले में अब एक मजबूत और जमीनी नेतृत्व की आवश्यकता है। ऐसे में यदि नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू होती है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस नए चेहरे पर भरोसा जताती है। यह न केवल संगठन के पुनर्गठन की दिशा में एक बड़ा कदम होगा, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक चुनौती भी, क्योंकि सही दावेदार का चयन करना पार्टी की आगामी साख और भविष्य को तय करेगा।
संगठनात्मक बदलाव की बयार
नेतृत्व परिवर्तन किसी भी संगठन की मजबूती का मूल मंत्र होता है। शायद यही सोचकर राहुल गांधी ने संगठन सृजन अभियान की शुरुआत की है, ताकि पार्टी को जमीनी स्तर पर फिर से सशक्त और प्रासंगिक बनाया जा सके।जिले में कांग्रेस को पिछले दो दशकों से लगातार चुनावी पराजय का सामना करना पड़ रहा है।संयोगवश या रणनीति के तहत, इस पूरे दौर में पार्टी की कमान या तो मजबूत नेता अजय सिंह के हाथों में रही है या फिर उनके करीबी नेताओं को अध्यक्ष बनाया गया।पार्टी का यह भी एक कटु सत्य है कि जिले में नेतृत्व परिवर्तन करना कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए हमेशा आसान नहीं रहा।आंतरिक समीकरण, गुटबाजी और स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली नेताओं की पकड़ के कारण यह प्रक्रिया अक्सर टलती रही, जिसकी कीमत पार्टी को बार-बार हार के रूप में चुकानी पड़ी।अब जब संगठनात्मक बदलाव की बयार चल पड़ी है, तो उम्मीद की जा रही है कि इस बार नेतृत्व में ताज़ा सोच और ऊर्जा को मौका मिलेगा, जिससे कांग्रेस जिले में अपनी खोई जमीन फिर से हासिल कर सके।