जगह – जगह संचालित है अवैध पैथालॉजी

आम जनता की सेहत से हो रहा खेलवाड़, जिम्मेदारो ने आंख मे बांध रखी है पट्टी
ब्योहारी। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रो मे इन दिनों जगह – जगह अवैध रूप से पैथालॉजी संचालित है जिसकी जानकारी जिम्मेदार अधिकारी को भी है किन्तु ऐसा लग रहा है जैसे वो अपना कमीशन लेकर मानो आंख मे पट्टी बांध ली हो।
ब्योहारी क्षेत्र अंतर्गत नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रो मे जगह – जगह अवैध पैथालॉजी का संचालन संचालको द्वारा धड़ल्ले किया जा रहा है। अवैध रूप से चल रहे इन पैथालॉजियों की जानकारी क्या यंहा के खंड चिकित्सा अधिकारी को नहीं है? सायद यह कहना गलत होगा क्योंकि सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र ब्योहारी के सामने ही दर्जनों पैथालॉजी संचालित है और ऐसा नहीं है कि वंहा से आते जाते उन पैथालॉजियों पर उनकी नजर न पड़ती हो। जानकारों द्वारा कहा जा रहा है कि ऐसा लग रहा है जैसे जिम्मेदार अधिकारी अपना कमीशन लेकर उन अवैध पैथालॉजियो के संचालको को पैथालॉजी का संचालन करने की खुली छूट दे रखी हो। ताज्जुब की बात यह है कि बिना अनुमति और मान्यता के संचालित इन केन्द्रो के विरुद्ध कार्यवाही करने से परहेज क्यों किया जा रहा है। जबकी नियमानुसार प्रशासन को इन अवैध पैथालॉजी पर शिकंजा कस देना था, ताकि आम जनता का शारीरिक और आर्थिक शोषण रोका जा सके। गौरतलब है कि प्रशासनिक अनदेखी के चलते नगर से लेकर गांव तक बिना पैथालॉजिस्ट और बिना रजिस्टेसन के अवैध पैथालॉजी संचालित हो रही है।सूत्रों की माने तो इनके पास मेडिकल बेस्ट और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है। जिला स्वास्थ्य विभाग की माने तो यंहा संचालित कोई भी पैथालॉजी अभिलेखों मे दर्ज नहीं है। कार्यवाही नहीं होने की वजह से अवैध लैब संचालकां के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि लैब में मरीजों का खुले आम खून चृसा जा रहा है।
नियमों की अनदेखी –
जानकारों के मुताबिक पैथोलॉजी जांच की रिपोर्ट को प्रमांणित करने क लिए एमसीआई (मेडिकल काउन्सिल ऑफ इडिया) द्वारा पंजीकत तथा पोस्ट ग्रेज्युएट डिग्रीधारक चिकित्सक को ही अधिकृत माना है। इसके साथ ही लैब में योग्यताधारी लैब टेक्नीशियन पदस्थ होना जरूरी है।जबकि ब्योहारी में नॉन पैथोलॉजिस्ट तथा झोलाछाप चिकित्सा कर्मी भी खून,पेशाब,खंगार का नमूना लेकर जांच रिपोर्टं दे रहे हैं।जो गलत होने के साथ स्वास्थ्य अधिनियम का भी खुला उलंघन्न है। इसके पालन नहीं करने पर कैद और जुर्माना का प्रावधान है।
अनाड़ी के हाथो बन रही रिपोर्ट –
किसी भी पैथालॉजी में मापदंड का पालन नहीं किया जा रहा।लिहाजा नमूना एकत्र करने से लेकर जांच रिपोर्ट जारी करने का काम अनाड़ियों के हांथों में ही है।ऐसी दशा मे जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में है। आलम यह है कि अधिकांश जांच घरों में अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा ही मरीजों का खून, पेशाब व अन्य जांच की जा रही है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि इसी आधार पर चिकित्सकों द्वारा मरीजों का ईलाज और दवा लिखी जा रही है। जिसका आर्थिक,शारीरिक और मानसिक खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।इस बाबद प्रशासन भी गंभीरता नहीं दिखा रहा है। नियमानुसार प्रत्येक जांच के लिए रेट चार्ट भी लगाने का स्पष्ट निर्देश है। इसके पीछे मूल उद्देश्य यह है कि जांच के नाम पर मरीजों से निर्धारित राशि ही वसूल की जाए और इसमें मनमानी न हो। लेकिन, यंहा के अधिकतर जांच केंद्रों पर शुल्क तालिका नहीं लगी है। इसके कारण जैसा मरीज,वैसा शुल्क का फार्मूला अपनाया जा रहा है।
योग्यता और रजिस्टेशन दर किनार –
लैब संचालन के लिये शासन द्वारा विधिवत नियम लागू किये गये है, लेकिन आश्चर्य जनक रूप से डीएमएलटी व उनके सहयोगी तक लैब संचालित कर रहे है वो ही रिपोर्ट मे साइन करके दे रहे है जबकी लैब संचालक एमबीबीएस, एमड़ी पैथालॉजिस्ट होना चाहिए। इतना ही नहीं अवैध तरीके से संचालित हो रहे लैबो के पास न ही नियमानुसार पाल्यूशन बोर्ड का रजिस्टेशन और न ही पंजीकृत मेडिकल वेस्ट फर्म का पंजीयन है।
इनका कहना है –
आपके द्वारा मेरे संज्ञान मे ये बात लायी गयी है, जांच कराने के बाद अवैध पाये जाने पर कार्यवाही की जायेगी।
ओ. पी. चौधरी
खंड चिकित्सा अधिकारी ब्योहारी