जहां संतों के चरण पढ़ते हैं वह भूमि स्वर्ग  के समान है/ हजूर कंवर साहेब

हरियाणा/हिसार (राजेश सलूजा) :  जहां सत्य और प्रेम है वहीं परमात्मा का वास है,जिस भूमि पर सन्तो के चरण पड़ते हैं वो भूमि स्वर्ग के समान है और सतनाम के सौदे से बढ़कर कोई नफा नहीं है।यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब ने बरवाला के हाँसी रोड पर स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए।हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने फरमाया कि सत्संग आठ साल के बच्चे से लेकर साठ साल के बुजुर्ग के लिए सबसे उत्तम औषधि है जो हर व्याधि का इलाज है।गुरु महाराज जी ने कहा कि त्याग तप परिश्रम के बिना भक्ति नहीं हो सकती।त्याग और तप के बिना दया और प्रेम नहीं पनपते और परिश्रम किये बिना सत्य को नहीं खोजा जा सकता।हुजूर ने कहा कि कोटि जन्मों के भटके बाद यह इंसानी चोला मिला है।सुख दुख कभी खत्म नहीं होंगे ये चलते ही रहेंगे।जो इनके फेर में फंस जाता है वो इस चोले को व्यर्थ कर लेता है और जो इसमें समभाव रखना सिख जाता है वो इस चोले को सार्थक कर जाता है।उन्होंने कहा कि माया के अनेको फंदे हैं और फंदे भी इतने सूक्ष्म कि दिखाई नहीं देते और इंसान इनमें फंस जाता है।इन फन्दों से कोई शब्द मार्गी गुरु ही बचा सकता है।सन्त महापुरषो ने कितनी बानी रची।कोई चेतावनी की तो कोई प्रेम की।कोई विरह की तो रोचकता की।बानी का एक ही ध्येय है कि जीव भक्ति में लगा रहे क्योंकि जो लगा रहता है वो धीरे धीरे अपनी बना भी लेता है।गुरु महाराज जी ने फरमाया कि इंसान अमर शरीर से नहीं बल्कि कर्मो से बनता है।गोपीचंद को उसकी मां ने यही ताना मारा था और मां की शिक्षा का यह असर हुआ कि गोपीचंद ने कठोर तपस्या की।उन्होंने कहा कि सोना आग में तप कर ही सोना बनता है।साधु और सज्जन भी जीवन रूपी भठी में परीक्षाओं रूपी अग्नि में तपकर ही बनते हैं।उन्होंने कहा कि ग्रहस्थ में रहकर मन मार कर अपनी सुरति को पाक पवित्र सच्ची बना लो आप घर बैठे ही फकीरी को पा जाओगे।जिसकी लग्न सच्ची होगी उसकी भावना भी अच्छी होगी।हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि काम तो केवल एक है वो है प्रभु की भक्ति बाकी काम तो संसार की कामनाएं हैं।उन्होंने कहा कि हाथ कारवल मन यारवल यानी हाथ आए बेशक काम करते रहो लेकिन मन से परमात्मा को मत उतरने दो।सन्त सतगुरु परमात्मा का ही रूप हैं।गुरु महाराज जी ने कहा जो इंसान अपने मानसिक ब्रहचर्य को गिरा लैता है उसका कोई भला नहीं कर सकता।इंसान जैसी शक्तियां किसी के पास नहीं हैं लेकिन इन शक्तीयो की पहचान सतगुरु ही कराता है।हुजूर ने फरमाया कि मन और मनसा को पवित्र बनाओ।ध्यान और ख्याल हमेशा उसका करो जिसने मन को जीत लिया है।एक एक सांस तीन लोक के मोल के बराबर है इसलिए हर सांस में परमात्मा का गुणगान करो।परमात्मा रूपी साहूकार से जो पूंजी ले कर आये थे उस से लाभ कमाओ तभी अच्छे व्यापारी कहलाओगे।उन्होंने कहा कि हमारे कर्मो के निर्माता हम स्वयं है।कर्मो का फल पक्का मिलेगा।कर्मो की फटकार से कोई नहीं बच सकता।जब हम इस दुनिया में आते हैं तो अच्छा करने का ही संकल्प लेकर आते हैं लेकिन यंहा कर्मो की चक्की में पीस कर वो वादा भूल जाते हैं।उन्होंने कहा कि सोच बड़ी रखो क्योंकि काम की आधी सफलता तो आपकी सोच पर ही निर्भर करती है।आप को किस बात की चिंता।जिसने आपके पेट लगाया है आपकी भूख मिटाने की चिंता भी उसी की है।उन्होंने कहा कि सत्संग जीवन बदलता है और ये तभी सम्भव होगा जब आप सत्संग के वचन पर अमल करोगे।पहले अपना सामाजिक जीवन ऊपर उठाओ तभी अध्यात्म ऊपर उठेगा।घरों में प्यार प्रेम शांति बनाए रखो।बच्चों को अच्छी शिक्षा दो।बड़े बुजुर्गों की सेवा करो।राम नाम का जाप करो।हृदय को शुद्ध और पवित्र बना कर रखो क्योंकि शुद्ध हृदय में ही परमात्मा वास करते हैं।