झोलाछाप डॉक्टर के एक इंजेक्शन से ग्रामीण युवक पहुँचा मौत के मुँह में….गंभीर स्थिति में चल रहा ईलाज, इधर परिजन कर रहे कार्रवाई की मांग



समाज जागरण संवाददाता विवेक देशमुख

मस्तूरी – ग्रामीण क्षेत्रों में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से अब भी लोग झोलाछाप डॉक्टरों से ईलाज कराने मजबूर है और यही वजह है कि उनकी जान से झोलाछाप डॉक्टर खिलवाड़ कर रहे है। मस्तूरी थाना क्षेत्र से सामने आई इस घटना में एक ग्रामीण युवक मौत के मुँह में है, जिसका ईलाज शहर के एक बड़े हॉस्पिटल में कराया जा रहा है जहाँ 10 प्रतिशत ही उसके बचने की उम्मीद है, जहाँ चिकित्सक सघन उपचार में जुटे है। मिली जानकारी के अनुसार मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम वेद परसदा निवासी हेतराम पटेल 40 वर्ष को साधारण सर्दी बुखार की समस्या आई थी जो 31 अगस्त को गांव के ही झोलाझाप डॉक्टर निखिल विश्वास (बंगाली डॉक्टर) के पास इलाज कराने गया, जहाँ बंगाली डॉक्टर द्वारा एक इंजेक्शन लगाकर कुछ गोलियां खाने दी गई। डॉक्टर द्वारा किये गये उपचार के कुछ घंटे बाद ही युवक के इंजेक्शन लगाये गये स्थान ( कमर ) में सूजन एवं काले घाव होने की स्थिति निर्मित होने लगी , जो लगातार बढ़ती ही जा रही थी। उक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते परिजनों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मस्तूरी ले गए, जहाँ के डॉक्टरों द्वारा गंभीर स्थिति को देखते हुये शीघ्र ही उसे सिम्स हॉस्पिटल बिलासपुर स्थानांतरित किया गया । सिम्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा भी युवक की स्थिति को गंभीर बताते हुये अन्य हॉस्पिटल में इलाज कराने संबंधी सलाह दी गयी। इस दौरान बंगाली डॉक्टर भी वहाँ पहुँचा और उनके द्वारा अपने परिचित हॉस्पिटल नोबल , बिलासपुर में स्थानांतरित किया गया । जहां खून के परीक्षण उपरान्त 90 % जान का खतरा बताते हुये उनके द्वारा भी अन्य हॉस्पिटल में भर्ती कराने की सलाह दी गयी । उक्त स्थिति के मद्देनजर युवक को तुरन्त महादेव हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है जहाँ उसका ईलाज किया जा रहा है।


क्षेत्र में हो चुकी कई मौतें फिर भी चल रहीं झोलाछाप क्लीनिक


विगत वर्षों में झोलाछाप क्लीनिक में ईलाज कराने से कई मौतें हो चुकी है, वही कई लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन ठोस शिकायत न होने की वजह से कोई बड़ी कार्रवाई नही होती, लेकिन इस ओर स्वास्थ्य महकमा उदासीन बना हुआ है जिनके द्वारा जानकारी एकत्र कर ऐसे झोलाछाप क्लीनिक पर कार्रवाई नही की जा रही है, और ग्रामीण ऐसे झोलाछाप डॉक्टर से ईलाज करा अपनी जान को जोख़िम में डाल रहे है।